दूसरों को दुख देकर सुख नहीं मिलता, यह शिवमहापुराण का संदेश है।
|| श्री शिवाय नमस्तुभ्यं ||
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00:00कई लोग ऐसा सोचते हैं कि दूसरे को कष्ट देकर अपन सुखी हो जाएंगे श्यू महापुराण की कथा करती है कि दूसरे को कष्ट देकर जिन्दगी में आप कभी सुख पाई नहीं सकते हैं
00:16कभी नहीं पासा
00:30कि ट्रेन में सबर गराया आप लोगों ने अरे बोलो तो जम के कराया समय ठीक है टिकेट लिया
00:41कि अरे बोलो तो लिया ना कई बार ऐसा होता यह दम जल्दी से ट्रेन आगे हो टिकेट नहीं लिया तो फिर अंदर जाके बेठे इतने में पोई आता दिखा तो लगा
00:59टीसी आ रहा है फिर कोई आता दिखा चेकर आ रहा है पकड़ लेगा कोई भी आएगा ऐसा लगेगा कि हमको पकड़ेगा क्यों क्योंकि हमने टिकेट नहीं लिया बस जैसे ट्रेन में सफर करते समय टिकेट ले लिया एक गम सतंत्र हो गये तुमारी मर्जी पड़े जहां �
01:29खाओ और तुम्हारी मर्जी पड़े किसी के प्रान खाओ तुमारा मन पड़े लड़ो जगड़ो को च्या कर रहे हैं अंदर बेट किसको वाल माल टिकेट हो ना
01:40अरे बोले जंके, टिकेट नहीं है तो टेंसन, खाने में भी मन लिया, कुरा लिया, तुमने भो एसा कन क्या क्या, आइसा भेल कुरी, और खाई रहे थे इत्ते में,
02:06टिकेट वाला, टिकेट वाला, नहीं है,
02:10फिर खाने, फिर थोड़े बात,
02:12तिकिट था तो अराम से खारो तिकिट था अराम से बेठो तिकिट था अराम से पानी पियो तिकिट था खूब प्रेम से आनंद से खूब गप्पे मारो खूब बात करो पर टिकिट नहीं है तो तुम स्वतंतर तासे रह नहीं सकते
02:34उसी तरह तिकिट है तो स्वतंत्र जिंदगी जी सकते हो उसी तरह संसार रूपी ट्रेन में अगर बेठे हो और संकर जी कि शिम महापुरान की कथा का तिकिट है तो कैसे भी जिंदगी जी हो मस्तर जी कोई टेंसन नहीं कोई जिंता नहीं
03:04शिवनाम टेंशन नहीं शिवनाम मेंशन है चिंता खत्म कर देंशन आप जितना उसका उचारण करोगे वो जीवन में सुख देटा जाए शडानन सामने जो खड़ा है वो तारका सुर है और इस तारका सुर का संधार तुझे करना है
03:30मा ये करता क्या है इसने देवताओं को कश्ट दे राखा देवताओं को परेशन को किसी को कश्ट दे कर आप सुखी नहीं रहता है
03:47सुखी नहीं रहता है
04:00मारा तारका सुर के उपद्राव को देखा चडानन कार्थी के जी ने कहा मां क्या मेरे जन्म का कारण यही है कि मुझे इस तारका सुर का संधार करना है
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