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  • 1 hour ago
रोज सुबह आने वाला अखबार अगले दिन रद्दी हो जाता है इस रद्दी ने झालवाड़ा की एक महिला की किस्मत बदल दी सुशीला देवी ने न्यूज पेपर की कतरनों को हथकरघे पर बुनकर ऐसा इनोवेशन किया. इनके बनाए बैग, लैपटॉप बैग, और सगुन लिफाफों की डिमांड अमेरिका तक से होने लगी. अकेले काम शुरू करने वाली सुशीला ने अपने साथ 50 महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया है.सुशीला देवी ने बताया कि वो एक्सपेरीमेंट करती रहती हैं. एक दिन न्यूज पेपर को हथकरघे पर चढ़ाने का आइडिया आया. अखबार के कतरनों को रंग दिया और उपयोगी सामान बनाने लगीं.सुशीला के लिए ये राह इतनी आसान नहीं थी. 17 साल पहले पति की मौत ने उन्हें तोड़ दिया. कंधों पर पांच बच्चों को पालने की जिम्मेदारी थी. उन्होंने हैंडलूम, सिलाई और ब्लॉक प्रिंटिंग की ट्रेनिंग ली. इस राह पर चल पड़ी. समाज ने ताने भी दिए. जमाना इनकी सफलता पर इनकी तारीफ कर रहा है.भरतपुर की अमृता हाट में झालरापाटन स्वयं सहायता समूह के नाम से इन्होंने स्टाल लगाया है. जिस पर बैडशीट, टॉवल, जैकेट सहित कई सामान बिक रहे हैं

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00:00रोज सुबह आने वाला ख़बार अगले दिन रद्धी हो जाता है इस रद्धी ने जालाबार की महिला की किस्मत बदल दी सुशीला देवी ने न्यूज पेपर की कत्रनों को हाथ करगे पर बुन कर ऐसा इनुवेशन किया कि इनके बनाए बैग, लैपटॉप बैग और सग�
00:30सुशीला देवी ने बताया कि वो एक्सपरिमेंट करती रहती है एक दिन न्यूज पेपर को हाथ करगे पर चढ़ाने का आइडिया आया
01:00अक्वार की कत्रनों को रंद्या और उप्योगी समान बना ले लगी
01:03हमने एक दिन सोचा कि जैसे कपड़ा तो हम बना ही रहे हैं, इसको क्यों नहीं हम बाणे में पेपर डालके तयार किया जाए इसको
01:12तो हमने वो किया, उसके बाद में हमें किसी ने कहा कि आप डाई करके भी बना सकते हो
01:17हम इंडिको डाई है, नचुरल डाई में जैसे हल्दी का है, जैसे सगुनली भापा है, हल्दी में भी जाना चीए
01:23सुशीला के लिए राह इतनी आसान नहीं थी, 17 साल पहले पती की मौत ने उन्हें तोड़ दिया, कंदो पर 5 बच्चों को पालने की जिम्मेदारी थी
01:38फिर क्या था, उन्होंने हैंड लूम से लाई और ब्लॉक प्रिंटिंग की ट्रेनिंग ली और इस राह पर चल पड़ी, समाज ने ताने भी दिये, पर सफलता पर आज हर कोई इनकी तारीफ कर रहा है
01:48मैं सुरू सुरू में हमारे परिवार की आर्थिक इस्तिती बहुती खराब थी, और मुझे कोई एडिया भी नहीं था, अब क्या करें, क्या नहीं है, मेरे हस्पेंड करीबन 17 साल पहले इस्तायर हो गए थे, मेरे उपर जुम्मेवारी थी, पांच बच्चों की, चार बे�
02:18बनाने की और इसी लाई की और प्रिंटिंग की ट्रेनिंग ली, उस ट्रेनिंग से जब मैंने काम सुरू किया, तो मेरे बच्चों को भी पढ़ाया, मैंने उनकी शादी भी की है, और इससे काफी मेरे इंकम हो गए, मेरे परिवार की इस्तिती बहुत अच्छी है
02:34भरतपूर की अमरिता हाट में जालरा पाटन सोयम साहता समू के नाम से इन्होंने स्टॉल लगाया है, जिस पर बेशिट, टॉबल, जैकेट सहीद, कई समान विक रही है, इनके बनाए प्रोडक्ट की कीमत 50 सिलिकत 25 सव रुपय तक है, ये इक्जबिशन में रोज 10 से 12 हज
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