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  • 57 minutes ago
एशियन कुश्ती चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतने के बाद जब सनी घर पहुंचा तो परिजनों ने माला पहनाकर, कंधे पर उठाकर स्वागत किया. सनी का सोना जीतने का ये सफर इतना आसान नहीं था. इनके पिता नंदी बैल घुमाकर और इनकी मां सुई धागा बेच कर घर चलाती हैं.इनका परिवार महाराष्ट्र के बीड का रहने वाला है. 15साल पहले पूणे आया. लोहेगांव में खुली जगह पर अपनी झोपड़ी बनाकर रहने लगा. पिता सुभाष कुश्ती करते थे. तो तीन बेटे को भी इन्होंने यहीं खुली जगह में कुश्ती सिखाना शुरु किया. सनी तीसरे नंबर का बेटा है. इसकी प्रतिभा को देखकर सुभाष ने पहलवानी सिखने के लिए बड़े पहलवानों के पास भेजा. सनी के  चाचा संदीप भोंडवे भी कुश्ती सिखाते हैं. जिन्होंने इसे गोद लिया. कुश्ती के गुर सिखाए और 17 साल के सनी ने  एशियन कुश्ती चैंपियनशिप में 60 किलोग्राम भार में गोल्ड मेडल जीत कर नाम रोशन किया है. अब सनी के पिता का सपना सनी को ओलंपिक खेलते देखने का है.

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