120 फुट ऊंचा, 70 फुट चौड़ा बेहड़ा का पेड़....600 साल से ज्यादा पुराना, जानवरों और पक्षियों का बसेरा है. अपने में बड़ी जैव विविधता को समेटे हुए हैं. महाराष्ट्र के कोल्हापुर के नेचर लवर्स इस पेड़ को बचाने की कोशिश में लगे हैं. आर्बोरिकल्चरल एसोसिएशन, लंदन के CEO जॉन पार्कर, फिलिप स्माइल इसको देखने आएंगे. जिसके बाद उम्मीद की जा रही है की ये पेड़ वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स की लिस्ट में शामिल हो जाएगा. इंटरनेशनल लेवल पर पहचान मिलेगी.सहाद्री टाइगर रिजर्व के खेड़ा गांव के पास ये बेहड़ा का पेड़, इस गांव के लोग भी इसे बचाने की कोशिशों में लगे हैं. डाल और पत्तियां किसी को भी नहीं तोड़ने देते. रोज इसकी पूजा करते हैं. ये पेड़ खुद में इतिहास और ज्ञान को समेटे हुए हैं. अपनी तरफ नेचर साइंटिस्टों को खींचता है.बेहड़ा के पेड़ का आयुर्वेद में बड़ा महत्व है. इसकी छाल का इस्तेमाल हिरदा और आंवला के साथ त्रिफला पाउडर में किया जाता है. इस पेड़ के आसपास दवाइयों का खजाना मिलता है.
00:00एक्सोबीस फूट उंचा, सत्तर फूट चोड़ा बेहडा का पेड, छोसो साल से ज्यादा पुराना, जानवरों और पक्षियों का इस पर बसेरा है, अपने में बड़ी जयविवित्ता को समेटे हुए है, महराश के कोलहपूर के नेचर लवर्स इस पेड को बचाने की कोश
00:30बाद उमीद की जा रही है कि ये पेड वर्ल्ड हेरिटेज साइट की लिस्ट में सामिल हो जाए, और इंटरनेशनल लेवल पर इसे पहचान मिले, सहाद्री टाइगर रिजर्व के खेडा गाउं के पास ये बेहडा का पेड, इस गाउं के लोग भी इसे बचाने की कोशिस
01:00बेहडा के पेड का आयरुवेद में बड़ा महत्व है, इसकी छाल का इस्तेमाल हिर्दा और आउनला के साथ त्रिफला पॉडर में किया जाता है, इस पेड के आसपास दवाईयों का खजाना मिलता है, ETV भारत के लिए कोलापूर से महेश कामले की रिपोर्ट
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