Skip to playerSkip to main content
  • 1 day ago
केन्या के मसाई मारा की नासुलाई कंजर्वेसी में मसाई जनजाति के लोग और जंगली जानवर एक साथ रहते हैं और एक दूसरे का ख्याल रखते हैं. नासुलाई स्थानीय भाषा 'मा' का एक शब्द है, जिसका मतलब होता है सह-अस्तित्व. नासुलाई की स्थापना साल 2016 में हुई थी. मकसद यही था कि यहां के 6 हजार लोग यहीं रहेंगे. इसके बाद मसाई समुदाय के लोगों ने शेरों, जेब्रा, जिराफ और ऐसे ही कई दूसरे जंगली जानवरों के साथ जीना सीख लिया. नासुलाई में एक कॉलेज है, जहां लोगों को रेंजर और टूरिस्ट गाइड बनने की ट्रेनिंग दी जाती है.. कंजर्वेंसी की कमाई इसी से होती है. नासुलाई में कोई कमर्शिल टूरिज्म इंवेस्टमेंट नहीं है, इसलिए यह फंडिंग के लिए काफी हद तक डोनेशन पर निर्भर है और कई चुनौतियों का सामना कर रहा है. मौसम में बदलाव से पशुओं को चारा मिलना मुश्किल हो जाता है. ऐसे में यहां के लोग पौधारोपण जैसे प्रोग्राम चला रहे हैं. नाशुलाई को दुनियाभर के अमीर टूरिज्म ऑपरेटरों से भी खतरा है.. लेकिन मसाई समुदाय हर चुनौती का मिलकर सामना करने के लिए तैयार है.  

Category

🗞
News
Transcript
00:00केनिया के मसाई मारा में आपका स्वागत है
00:06यहां नसुलाई कंजर्वेसी में इंसान और जंगली जानवर साथ रहते हैं
00:10और एक दूसरे का खयाल रखते हैं
00:12नसुलाई का मतलब है सह अस्तित
00:15इसे 2016 में बनाया गया था
00:20मकसद था करीब 6,000 लोग अपनी जमीन और जानवरों के साथ सुरक्षित रहें
00:25मसाई समुदाई ने शेर, जिराफ, जैबरा जैसे जानवरों के साथ रहना सीख लिया
00:30पहले जंगली जानवरों को बचाने के लिए बाहरी लोग जमीन लेकर घेराबंदी करते थे
00:35लोग पैसा कमाने के लिए अपनी जमीन टूरिजम कमपनियों को देते थे
00:39लेकिन मसाई समुदाई अपनी जमीन और संस्क्रिती को बचाना चाहता है
00:43नसुलाई माडल का मतलब लोगों, पालतू और जैंगली पच्छूँ का मिलजुल कर रहना है
00:53इसमें कोई बाहरी नहीं आना चाहिए, ये अनोखा माडल है
01:00नसुलाई में कॉलिज भी है, यहां युवा, रेंजर और टूरिस्ट गाइड बनते हैं
01:07कंजरवेशी के कमाई यहीं से होती है
01:09नसुलाई मॉडल को दुनिया ने भी सरह, 2020 में उसे UNDP का Equator Prize और हाल ही में Collective Action Award मिला
01:18ये मॉडल अच्छा है क्योंके हम कंजरवेशी, रेफ्यूजी पैदा नहीं करते
01:25हम कंजरवेशी, रेफ्यूजी को ना पसंद करते हैं क्योंके हम कहां जाएं
01:32यहां मौसम बदल रहा है, कभी चारा नहीं मिलता, कभी सूखा पड़ता है
01:43लेकिन मसाई समुदा है, पोधा रोपन और सरक्षन के नए तरीके अपना कर, चुनोतियों का सामना करता है
01:49यह सच है कि जमीन से सांस्कृतिक जुड़ाओ खत्म होने का खत्रा है
01:59हमारे जीने का जो जरिया है, उस जमीन को खोने का गंभीर खत्रा है
02:03इस जमीन में हमारे पुरवजों की हड़ियां गड़ी है
02:10नसुलाई में कोई कमर्शल टूरिजम इन्वस्टमेंट नहीं है
02:14इसलिए ये फंडिंग के लिए काफी हद तक डोनेशन पर निर्भर है
02:18और कई चुनोतियों का सामना कर रहा है
02:21नसुलाई को देश भर के अमी टूरिजम ऑपरेटर से भी खत्रा है
02:24लेकिन मसाई समुदाय के लोग हर चुनोति का मिलकर सामना कर रहे है
02:29ब्यूरो रिपोर्ट इटीवी भारत
Be the first to comment
Add your comment

Recommended