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Kumar Ketkar News: कांग्रेस नेता कुमार केतकर के हालिया बयान ने 2014 लोकसभा चुनावों पर नई बहस छेड़ दी है। उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस की हार केवल राजनीतिक माहौल का परिणाम नहीं थी, बल्कि इसमें विदेशी खुफिया एजेंसियों के हस्तक्षेप की भूमिका हो सकती है। केतकर के अनुसार कांग्रेस 2004 और 2009 में मजबूत स्थिति में थी, इसलिए 2014 में अचानक 44 सीटों तक गिरना स्वाभाविक नहीं लगता। उनके आरोपों ने भारतीय राजनीति, अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों और चुनावी रणनीतियों को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह वीडियो पूरे मामले को तथ्यात्मक और विश्लेषणात्मक रूप में समझाता है।

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Transcript
00:00CIA और मोसाद ने रची थी कॉंग्रेस को हराने के साजिश
00:03लोगसभा चुनाव 2014 पर कॉंग्रेस नेता का संसनी खेज दावा
00:08क्या है मामले का सच? जाने एक एक बात
00:11अब देश में मोधी युग की शुरुवात हो चुकी है
00:15Day after that stunning victory of Narendra Modi and the BJP with a thumping majority, a landslide win
00:22कॉंग्रेस नेता कुमार केतकर के संसनी खेज और हैरान कर देने वाले दावे ने
00:39राजनितिक हलकों में हल्चल मचा दी है
00:41समिधान दिवस पर मुंबई में आयोजित कॉंग्रेस के कारिक्रम में
00:45उन्होंने जो बाते कहीं वो किसी राजनितिक टिपड़ी से कम
00:48और एक रुमान्चिक रहसे खता से ज़ादा लग रही थी
00:50केतकर ने कहा कि 2014 के लोगसबा चुनावों में कॉंग्रेस की भारी हार
00:55कोई सामानिय राजनितिक घटना नहीं थी
00:57बलकि इसके पीछे अमेरिकी CIA और इसराइल की मोसाद की गहरी साज़िश काम कर रही थी
01:02उनकी माने तो ये सब कुछ पहले से तैक कर लिया गया था
01:05और कॉंग्रेस को हर कीमत पर सत्ता से दूर रखना इन एजनसियों का उदेश्य था
01:09केटकर ने दावा किया कि 2004 और 2009 के चुनाव परिणामों को देखकर
01:14कॉंग्रेस पूरी तरह मजबूती से आगे बढ़ रही थी
01:172004 में पार्टी में 145 सीटे जीती और 2009 में ये संख्या 206 तक पहुँच गई
01:23अगर यही रफ्तार जारी रहती तो 2004 में कॉंग्रेस 250 सीटों तक भी पहुँच सकती थी
01:28लेकिन हुआ इसका उल्टा
01:30कॉंग्रेस न सिर्फ सत्ता से बाहर हो गई बलकि महज 44 सीटों पर से मटकर उसके राजनितिक ताकत लगभग कत्म हो गई
01:36केतकर के मुताबिक ये गिरावट इतनी अप्राखुर्तिक थी कि बिना किसी बाहरी दखल के ऐसा होना मुश्किल था
01:43इन्होंने कहा कि असली खेल यहीं से शुरू कुआ
01:45उनके अनुसार कुछ ताकतवर अंतराश्टे संगठन ये तै कर चुके थे
01:49कि कॉंग्रेस की स्थिर सरकार उनके हितों के अनुकूल नहीं है
01:53इसलिए हर हाल में उसके प्रभाव को कम करना जरूरी था
01:56केतकर ने इस कत्थित साज़िश में दो एजन्सियों CIE और मोसाद का नाम लेते हुए दावा किया
02:01कि दोनों ने मिलकर भारत की राजनितिक परिद्रश्य को प्रभावित करने की यूजना बनाई
02:05उनका कहना था कि ये एजन्सियां जाती थी
02:08कि दिल्ली में ऐसी सरकार बने जो उनके लिए अनुकूल हो
02:11और उनके रणनीतिक हितों को सहचता से लागू कर सके
02:14कॉंग्रेस की जीद इस रास्ते में सबसे बड़ी बाधा मानी जा रही थी
02:18केतकर ने तो यहां तक कहा कि इन एजन्सियों ने राज्यों और चुनाव शित्रों का विस्तरित डेटा तयार किया
02:24ताकि राजनीतिक समयकार्णों को अपने मर्जी के मुताबिक मोड़ा जा सके
02:27उन्होंने ये भी कहा कि हाला कि 2014 में जनता मनमोहन सिंग से कुछ हद तक नारास थी
02:32लेकिन ये गुस्सा इतना नहीं था कि कॉंग्रेस सीधे 206 से 244 बेरा जाए
02:37इस तरह कि भारी गिरावट उन्हें सुभाविक नजर नहीं आती इसलिए वो इसे योजना बधहस्तक शेप मानते हैं
02:43उनका तर्क था कि अगर कॉंग्रेस की मजबूत सरकार सत्ता में लोटा थी तो ना तो CIA और ना ही मोसाद भारत में अपने रणनीतिक खेल को आगे बढ़ा सकती थी
02:52केत करके इन दावों ने राजनीतिक चर्चा को एक नया मोड दे दिया है
02:55उनके मुताबिक ये सिर्भार जीत की बात नहीं थी बलकि भारत की सत्ता वैश्विक जासुसी नेटवर्क और अंतराष्ट्रे हितों का एक गहरा और रहस्यमय खेल था
03:04जिसे आम लोगों ने सिर्फ एक चुनावी परिणाम के रूप में देखा था
03:07उनके आरोप कितने सही है ये तो जांच और इतिहास के पर नहीं बता पाएंगे
03:11लेकिन इतना तय है कि उनके बयान ने 2014 के चुनावों को लेकर एक नहीं भहस छेड़ दी है
03:16जिसमें साजेश, विदेशी दखल और राजनितिक नाटिकियता के सभी तत्व मौझूद है
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