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Karnataka CM Change: कांग्रेस नेता राशिद अल्वी की तीखी टिप्पणी ने पार्टी नेतृत्व की अंदरूनी कमजोरियों को फिर उजागर कर दिया है। कर्नाटक में सिद्धारमैया और डी.के. शिवकुमार के बीच सत्ता-संघर्ष ने संगठनात्मक असंतोष को खुलकर सामने ला दिया है। ढाई साल के अनौपचारिक समझौते, सत्ता हस्तांतरण की बहस और हाईकमान की निष्क्रियता ने विवाद को और गहरा किया। अल्वी की नसीहत पुराने नेताओं की नाराज़गी दूर करने और संवाद बढ़ाने कांग्रेस के मौजूदा संकट की असली जरूरत है। यदि पार्टी समय रहते समन्वय बनाए, तो यह विवाद संगठन की मजबूती में बदल सकता है।

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~PR.250~HT.408~ED.276~

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Transcript
00:00कॉंग्रेस की दुर्गती के लिए आला कमान जिम्मेदार
00:04सोनिया के खास राशिद अलवी की तीखी टिपपणी
00:08अपनी ही पार्टी को धी कैसी नसिहत
00:11कॉंग्रेस नेटा राशिद अलवी द्वारा हाल ही में दी गई ये नसिहत
00:15कि पार्टी को अपने पुराने लोगों की नाराजगी दूर करनी चाहिए
00:19सीधे सीधे उन राज्यों की ओर इशारा करती है
00:22जहां संगठनात्मक असंतोष चरम पर है
00:25ये सलाह करनाटक की मौझूदा स्थिती से बहुत गहराई से जुड़ती है
00:30जहां मुख्यमंत्री सिधा रमय्या और उप मुख्यमंत्री डीके शिफ कुमार के बीच
00:35लंबे समय से चली आ रही खेंचातान अब खुली कलहे में बदल चुकी है
00:39अलवी का तर्क ये है कि पार्टी केवल बाहरी आरोप प्रत्यारोप से मजबूत नहीं होती
00:45बलकि अपने अंदर के असंतोष, उपेक्षा और नेतरित्व द्वंदो को समझ कर ही एक जोट रह सकती है
00:52यही बात करनाटक के संदर्व में सटीक बैठती है
00:55जहां दोनों बड़े नेता अलग-अलग शक्ती केंदर बन चुके हैं और पार्टी के स्थिती लगाकार अस्थिर हो रही है
01:02करनाटक में 2023 में सरकार बनने के साथ ही एक अनौपचारिक समझ बनी थी की सिध्धा रमय्या
01:08पहले ढ़ाई साल मुख्य मंत्री रहेंगे और उसके बाद सत्ता का हस्तान तरण शिवकुमार को होगा
01:14ये बात कभी आधिकारिक रूप से घोशित तो नहीं हुई लेकिन कॉंग्रस के भीतर इसे स्वीकार्य सच माना जाता रहा
01:20शिवकुमार और उनके समर्थक विधायक इस समझोते को वैद और लागू करने योग्य मानते हैं
01:26जबकि सिध्धा रमय्या का रुख ये है कि ऐसी कोई बाध्यता नहीं थी और वे पूरे पांच साल का कारेकाल पूरा करेंगे
01:33यही विरोधा भास आज के संकट की जड़ है
01:35जैसे जैसे ढ़ाई साल का समय बीता शिवकुमार खेमे में असंतोष बढ़ने लगा
01:41उन्हें लगा कि पार्टी नेत्रो तो उनकी अंदेखी कर रही है और सत्ता हस्तांतरन की चर्चा टालते रहे हैं
01:48उधर सिधारमया समर्थब मानते हैं कि राज्य में सरकार स्थिर चल रही है
01:52कही कल्यान कारी योजनाय लागू हो चुकी हैं और ऐसे समय में नेत्रो तो बदलना राजनीतिक और प्रशाशनिक नुकसान करेगा
02:00इससे दोनों पक्षों के बीच अविश्वास और भी मजबूत हुआ
02:03ये स्थिती तब गंभीर हुई जब शिवकुमार समर्थक विधायक दिल्ली पहुचकर हाई कमान पर दबाव बनाने लगे
02:10उनके इस कदम से सपष्ट संकेत गया कि ये अब सिर्फ नाराजगी नहीं बलकि खुले राजनेतिक संगहर्ष का लूप ले चुका है
02:17कई विधायकों ने यहां तक कहागी अगर सिधार अमया नहीं हटते तो पार्टी को किसी तीसरे व्यक्ति को मुख्य मंत्री बनाना चाहिए
02:25इससे कॉंग्रेश के भीतर दो खेमों की खाई और भी गहरी हो गई
02:29राशिद अल्वी के नसियत ऐसे ही क्षणों में प्रासंगी खो जाती है
02:33अगर पार्टी समय रहते इन नाराज नेताओं की सुनवाई करती, समवाद स्थभित करती
02:39और जिस समझोते का हवाला दिया जाता है उस पर स्पष्ट स्थिती लेती तो ये परिस्थिती यहां तक नहीं पहुँचती
02:45कॉंग्रेश की समस्या ये है कि वो असंतोष को दबाने की कोशिश करती है
02:50जबकि समाधान समवाद और सहभागी निर्णय प्रक्रिया में है
02:53यही वो पुरानी नाराजगी है जिससे अलवी आगाह कर रहे थे कि पुराने नेताओं की अंदेखी
02:59दूसरे स्तरके नेताओं की महत्वा कांग्शाओं को नजर अंदाज करना
03:03और संगठन में पार दर्शिता का अभाव अंततह बड़े संकट में बदल जाता है
03:07करनाटक की ये लड़ाई सिर्फ दो नेताओं की व्यक्तिकत महत्वा कांग्शा नहीं है
03:12बलकि ये पूरे संगठन में मौजूद विश्वा संकट का प्रतीक है
03:16अगर कॉंग्रेस इसे संभालने में विफल रहती है
03:20तो न सरकार स्थिर रह पाएगी न पार्टी संगठन
03:23और अगर इसे सुलजा लिया जाए
03:25तो यही वो उधारन बन सकता है जो अलवी की सला का असली उद्धेश था
03:30नाराजगी दूर करो, लोगों को जोडो और पार्टी को भीतर से मजबूत बनाओ
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