संयुक्त राष्ट्र का COP30 जलवायु सम्मेलन ब्राज़ील में खत्म हुआ। आयोजकों ने इसे “सबसे मजबूत” समझौता बताया, लेकिन आलोचक इसे लेकर संतुष्ट नहीं हैं। लगभग 200 देशों ने एक नई घोषणा पर हस्ताक्षर किए, जिसमें जलवायु कार्रवाई तेज करने और तापमान बढ़ोतरी को 1.5°C से नीचे रखने का वादा किया गया।
एडाप्टेशन यानी जोखिम वाले देशों की मदद के लिए फंड को 2035 तक $120 बिलियन तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है।
लेकिन इस समझौते में तेल, गैस या कोयले का कोई सीधा जिक्र नहीं है, जिससे 80 से अधिक देश और यूरोपीय संघ निराश हैं, जिन्होंने फॉसिल फ्यूल्स बंद करने का स्पष्ट रोडमैप मांगा था। अमेज़न में वनों की कटाई पर भी सिर्फ मामूली ध्यान दिया गया। जलवायु विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि “छोटे कदम” पर्याप्त नहीं होंगे क्योंकि वैश्विक तापमान अब 1.3°C के करीब पहुँच रहा है।
COP30 ने कूटनीतिक एकता बनाए रखी, लेकिन दुनिया अब भी साहसिक और ठोस कदमों की उम्मीद कर रही है
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