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  • 5 hours ago
सुप्रीम कोर्ट के राष्ट्रपति और राज्यपाल वाले फैसले पर सियासी संग्राम, देखें दंगल

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00:00आज का दंगल देश की सबसे बड़ी अदालत की बहुत बड़ी राई को लेकर और आम तोर पर हमने देखा कि ये बामला राज्यपाल को लेकर है और उसको लेकर विधायकों को विधियादे वाली मंसूरी को लेकर दूए है
00:15सुप्रिम कोर्ट की पाँज़ेस की बेंच ने कल राज्यपाल की ओर से सवाल पूचे गए थे चाओदा सवाल पूचे गए थे उसको लेकर अपनी राई साफ दिया और ये कॉन्सिक्टूशनल बेंच था जिससे साफ हो गया है कि कोई भी अदालत राज्यपाल और राज्य�
00:45फैसले के पाथ राश्ट्रपती ने 14 बिंदू पर सवाल पूचे थे सुप्रिम कोट को जो उनका अधिकार होता है सुप्रिम कोट का जो निरने था उसमें ये भी कहा गया था कि अगर तीन महेने के भीतर फैसले नहीं होंगे तो इन विधायकों को मन्जूरी मान ली जाए
01:15कही गई मुख्य बाते क्या है वो जरा माफ को दिखाते हैं तो पहली बात उन्होंने कहिए कि राज्यपाल या राश्ट्रपती को विधायकों पर फैसले के लिए समय सीमा लागू करना समविधान के खिलाफ है उनका ये कहना है कि किसी भी तरीके से ऐसी समय सीमा लागू �
01:45पूरी बात पूरी बात लिए से जाखत करने की जो बात कही गई थी उसकी इज़ाजध समय स्मय नहीं देता है क्योंकि इसके पहले फैसले में कहा गिया था कि अगर बिल लंबित रहता है तो उसको मान लिया जाएगा कि इस बिल को पास कर दिया गया है
02:12लेकिन इसकी इजाज़त समविधा नहीं देता है ये भी इस Constitutional Bench ने कह दिया है
02:17साथी किसी भी विधायक पर राज्यपाल या राश्टरपती की मंजूरी और इसका फैसला अदालत नहीं ले सकती
02:25राज्यपाल या राश्टरपती को अपने पास लंबित विधायक पर अदालत से सलहा लेने के लिए कोई किसी भी तरीके से बात या नहीं है
02:35जाहिर तोर पर केंडर सरकार और बीजेपी सुप्रिम कोट के इस पूरे फैसले का स्वागत कर रही है
02:40जबकि गैर NDA विपक्षी दलों के तरफ से का गया है कि इस पूरे मामले को लेकर सुप्रिम कोट का राश्टरपती को दिया गया
02:48एक तरीके से हम कह सकते हैं कि यह मश्विरा बताकर इसे निश्प्रभावी करार दे दिया
02:54उटका कह रहा है कि यह सिर्फ पश्विरा है और इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा
02:58तो देख लेते हैं एक बार ज़रा कि इंडिये के तरफ से और विपक्ष के तरफ से इसको लेकर क्या कहा दे
03:03देखिए बहुत बड़ी बात है
03:08मैं विनमबरता से भारत के समविधान के एक स्टूडेंट के रूप में कहूंगा
03:15सुप्रिम कोड का दो जज निरने गलत था
03:19जो खुद एक समविधानिक पद पर है न बड़े पद पर है
03:28और यह दीम डेसंट क्या होता है
03:30कि आटकिल 142 में हम पावर देते हैं
03:33अगर इस दिन में नहीं किया
03:34नो
03:35देट वसे कम्विधी रॉंग अप्रोच
03:37मैं पहली बार बोल रहा हूं
03:39और आज सुप्रिम कोड ने उसको करेक्ट किया है
03:41कि बेसिक स्ट्रक्चर में सेपरेशन आफ पावर भी होता है
03:46बीजेपी के लिए सुप्रिम कोड की राय राज्यपाल और राश्ट्रपती को मिली
03:51समधानिक शक्तियों को की स्पष्ट व्याख्या भी करता दिख रहा है
03:55लेकिन विपक्ष को लगता है कि सुप्रिम कोड ने यह राय राश्ट्रपती की सिफारिशों पर दी है
04:01और 8 April 2025 वाला फैसला रज नहीं किया है याने वो फैसला अभी भी कायम है वो भी सुन लेते हैं कि विपक्ष क्या कह रहा है
04:09A presidential reference is an advisory opinion from the Supreme Court to the President of India
04:18whenever questions are raised about any issue.
04:21This has often happened way back from the 1950s when the Kerala Education Bill was referred by the President for the Supreme Court's opinion.
04:31Any opinion expressed by the Supreme Court in a reference is not binding in the same manner that a judgment of the Supreme Court is.
04:45So the Supreme Court's reference though answered by five judges will have great persuasive value in future cases but it is not yet a precedent.
04:58तो दरसल संजे एगड़े ये कहने की कोशिश कर रहा है कि presidential reference पर जो राय दी है Constitutional Bench ने वो बाध्य नहीं है
05:06किसी भी तरीके से Supreme Court ने जो फैसला कर चुका है उस पर बाध्य नहीं है
05:10हला कि presidential reference पर Supreme Court की राय के बावजूत राज्य पालो से इस पूरे मसले पर Supreme Court ने जो
05:178 अपरेल 2025 को फैसला सुनाया था वो बरकरार है याने रज नहीं हुआ है और इसके पास इसके पक्ष में जो तथ्य रखे गया है
05:27तर्क दिया गया है वो यह दिया गया है कि एमदाबाद सेंट जेवियर्स कॉलेज सुसाइटी बनाम गुजरात सरकार के 1974 के एक मामले में
05:37Supreme Court के 9 जज़ के बेंच ने पैरा 109 में यह कहा था कि निया अले की सलाकारी राय
05:45फैसलों या कानूनी अधिकारियों की राय से अधिक प्रभाव नहीं होता
05:50यानि सिर्फ राय की तरह इसे देखना चाहिए किसी भी तरीके से फैसले के रूपे इसे नहीं देखना चाहिए
05:55यानि 8 अप्रेल वाला फैसला प्रभावी रहेगा और वो फैसला नहीं था कि राज्यपालों को अधिक्तम वो फैसला दरसल ये था कि अधिक्तम तीन भहिने से विधायक पर फैसला करना पड़ेगा
06:08दरसल ये मामला सुप्रिम कोट तब पहुचा था जब देश में गैर एंडिये शासित सरकारों की तरफ से सुप्रिम कोट पे गुहार लगाई गए थी और उनके विधान सबासे पारित विधायकों पर राजभवन से कोई फैसला नहीं लिया जा रहा था और दो दो तीन तीन
06:38है उदर पश्चिम मंगाल से लेकर केरल तक भी जो राज्या है वो भी उसमें शामिल थे लेकिन तब तमिलनाडू सरकार ने कहा था कि राज्यपाल चार-पांथ साल से दस बिल रोक कर बैठे हुआ हैं केरल सरकार ने कहा था कि राजभवन में उनके भी साथ बिल 23 महनों त
07:08और राज्यपालों को तुरंट इस पर कारवाई करनी चाहिए अदालत ने ये भी कहा था कि राज्यपाल अगर विधैक से सहमत हो तो एक महने के अंदर मनजूरी दे अगर राज्यपाल को विधैक से सहमत ही है तो तीन महने के अंदर उसे आपको वापस करना चाहिए अगर
07:38राज्यपाल को इसको मन्जूरी देनी होगी, यानि एक समय सीमा सुप्रिम कोट की इस फैसले से तै हो गई थी, सुप्रिम कोट की इस फैसले की तब गैर एंडिये शासित राज्यों की तरफ से एक राहत के तौर पर उसको देखा गया था, लेकिन उन राज्यों का अरोप थ
08:08प्रती जवाब देया नहीं है और उन्हें सदन से बने विदय को बेमियादी तौर पर इसी तरीके से रोक कर रखने का अधिकार नहीं होना चाहिए.
08:38इम्मेड़ो के मुख्या मंतरी, स्टैलन ने तक कह दिया है कि अगर सुप्रम कोट यह पुराने कर नहीं है नहीं है तो यह निगार नहीं है तो नहीं है।
09:08आदेश को रद भी कर दिया जाता है तो भी समभीधान संशोधन करके लड़ाई जारी रखी जाएगी
09:14और स्टैğlu आलिन कह रहें कि दरसल राज्जों के हक के लिए हमारी लड़ाई इसी तरीके से जारी रहेगी
09:19गवर्नर के लिए समय सीमा तै करने के लिए सविधान से संशोधन अगर किया जा तो उसको नहीं रोकेंगे गवर्नर के पास बिलको खट करने की या उसको रोकने की किसी भी तरीके से चौथा विकल्प नहीं होना चाहिए और उनके पास बिलको सीधे तौर पर रोकने का कोई
09:49पुरे मामले को पक्का कर दिया गया है।
10:19कर साफ शब्दों में कहा था कि सुप्रीम कोट इस तरीके से संसत का काम नहीं कर सकता।
10:26तब धनकड ने सविधान के अनुच्छे देक सो ब्यालीज के तैयं सुप्रीम कोट की शक्ती की तुलना परबाडू मिसाइल से कर डाली थी।
10:33यह रिसेंट जेज्जमेंट?
10:38कैसे हम नहीं है?
10:48अवरल्ग एक तरह्णीं के लिट ने एक वावेस्टी पूर्लीजिसेंज।
11:04तो इस तरह सुप्रीम कोट के फैसले को लेकर तब के उपर राश्ट्रपती जगदीब धंकड ने बड़े सवाल खड़े किया थे और फिर इस फैसले को लेकर राश्ट्रपती की ओर से
11:26सुप्रीम कोट को 14 बिंदू वाली एक प्रेसिडेंशल रेफरेंस मांगी गई थी जिसका जवाब अब सुप्रीम कोट ने कल दिया है
11:33आपको इस पूरे मामले में बताते हैं कि 8 अपरेल 2025 के सुप्रीम कोट के फैसले पर राश्ट्रपती ने क्या सवाल पूछे थे और अदालत ने उसका क्या जवाब दिया था
11:43राश्ट्रपती ने पूछा था कि विधाइक पर फैसला लेने के लिए राज्यपालो या राश्ट्रपती के पास क्या विकल्प होते हैं?
11:51अदालत ने कहा कि या तो विदाइक मंजूर करते हैं या ना मंजूर करते हैं या राज्ट्रपती के राई के लिए रोख सकते हैं
11:57दूसरा सवाल यह पूछा था कि विदाइक पर फैसला लेते समय राज्यपाल मंत्री परिश्ट की सलहा मानने को बाध्य है
12:04अदालत ने कहा कि राज्यपाल मंत्री परशित की सलह से कार्य करता है
12:09और विधाइक पर फैसला मानने को बाध्यन नहीं है
12:12राश्टरपती ने पूछा था कि अनुच्छे 361 के तहट राज्यपाल के फैसले की न्याइक समिक्षा पर प्रतिबंद है
12:20लेकिन अदालत ने कहा कि अनुच्छे 200 के तहट लंबे समय तक मिश्क्रियता की सूरत में उनकी भी न्याइक समिक्षा हो सकती है
12:29ये बड़ी बात है
12:30राज्यपाल या राज्यपाल या राज्यपाल या राज्यपाती को फैसला लेने के लिए नाईक आदेशों के जरीए समय सीमा निर्धारित की जा सकती है
12:38अदालत ने कहा था कि राज्यपाल या राश्टरपती ऐसे कोई भी तैसेवे सिमा मानने को बाद ये नहीं है
12:46राश्टरपती ने पूछा था पांचवा सवाल ये पूछा था कि राश्टरपती से राए बांगे
12:52तो राश्टरपती को सर्वोच नयाले से सला लेना जरूरी है क्या
12:56तो अदालत ने कहा था कि सला लेना बिलकुल आवश्चक नहीं है
13:00और छटा सवाल ये था कि कानून बनने से पहले ही किसी विधैक पर नयाले कोई फैसला ले सकता है क्या
13:09अदालत ने कहा था कि नयाने सिर्फ बन चुके कानून की ही समिक्षा कर सकता
13:15यानि कानून बनने के पहले उस पर फैस्दा नहीं ले सकता
13:17राश्टरपती ने ये भी पूचा था कि विधेक पर राज्यपाल या राश्टरपती की राए नहीं मिलने पर
13:23अदालत उसे मानी गई सहमती पर कर सकता है
13:28किया तो अदालत ने कहा थे कि अदालत नहीं हो सकता
13:32कानून समधान इसकी इजाज़त नहीं देता है
13:35ये भी सवाल पूछा गया था कि विधान मंडल से बना कानून
13:39बिना राजजपाल की सहमती के क्या कानून बन सकता है
13:43तो राज्यपाल ने कहा कि अनुच्छे दोसों के तहट सहमती जरूरी है
13:48हलाकि अभी राज्यपालों के लिए अधिक्तम तीन महिने में विदेख पर फैसला करने की
14:02ये समय सिमा तै की गई है, समय सिमा खतम हो चुकी है
14:05लेकिन आदेश लागू तो है, लेकिन इसके पल्टे जाने की पूरी प्रभावना बढ़ गई है
14:12आज सवाल इस बारे में है कि राजनेतिक पहलू को लेकर है
14:15कि आखिर पिछले कुछ बरसों में राजभवन और राजसरकार के बीच जिस तरह से कटूता बढ़ रही है
14:22जिस तरीके से खबरे आ रहे है क्या लोग तंतर के लिए ये ठीक रहेगा
14:27क्योंकि आम तोर पर सहमती से एक दूसरे से बाचीत करके ये सारी बाते हो सकती है
14:31तो क्या अब इसके बाद ये बाचीत होगी
14:33अदालत चाहती है कि इस पर बात्चीत होनी चाहिए इसके लिए वुड का कहना है कि समय सिमा नहीं होनी चाहिए लेकिन पिछला फैस्टा भी बाद है इस पर हम चर्चा करेंगे
14:41अबारे साथ में गुरु प्रकाश पासवान भारतिय जिन्ता पार्टी के प्रवक्ता जुड रहे है अड़ोकेट महीमा सिंग कॉंग्रेस की प्रवक्ता इसमें शामिल हो रही है सत्यपाल सिंग पूर्व एस जी वो भी इस चर्चा में शामिल हो रहे है अभिशेक अभिसार
15:11प्रेसिदेन्शल रेफुरेंस पर उसके बारे में क्या दोबारा दालत पर जाएगी क्योंकि मामला अभी भी वही है, क्यांग भी समय सीमा लाग हुआ यह भी माना जा रहा है, तो क्या इसको लेकर बात होगी और दूसरा सवाल यह भी है कि अभी भी हम देख सकते हैं, कि 33 ब
15:41आपने बहुती विस्थित तरीके से पूरे मामले की जानकारी दी है, कितने प्रशनाय थे, प्रेजिदेंशल रिफरेंस का क्या हुआ, कोड का क्या जवाब था, लेकिन मुझे नहीं लगता है कि Constitution Bench और Constitution Bench का महत्व होता है, पांच Senior Most Judges के द्वारा इस निर्णे को दिया ग
16:11Defined है, Executive का ये काम है, Legislature का ये काम है, Judiciary का ये काम है, और Judiciary बार-बार Executive में इसमें काम नहीं करेगी, तो विपक्षी सरकारों का जो ये आरोप है, ये निराधारे, बेबुनियाद है, और सर्वोच नयायले के इस निर्णे से ये सिद्ध होता दिखता है, अभी आपने कहा क
16:41दिखता है, और सरकार को भी डाटा है, कि इस तरीके से आप नहीं कर सकते, मैं दोबर आता हूँ, गुरू परकाज जी आपके पास में महिमा सिंग भी हमारे साथ में जुड़ी है, उनके पास भी मुझे जाना है उसको लेकर, लेकिन उससे पहले ज़रा सत्यपाल जैन जी स
17:11गई थी, वो समय सिमा अभी भी बाद्या है या इससे बदलना पड़ेगा?
17:41जाता है, महतविन हो जाता है, इसलिए इस निर्ने के आने के बाद, जो पहले वाला निर्ने था, के तीन महीने में मान लिया जाएगा, करना पड़ेगा, वो सारा का सारा अर्थीन और महतविन हो जाता है, यह समिधान की, यह निर्ने माना जाएगा या राय मानी जाएगे
18:11तीन जजिज का कोई भी निर्ने जो है वो निरस्त माना जाएगा दूसरा भारत की कानूनी इतहास में एक बहुत बड़ी प्रंपरा है और एक पूरी ज्यान की बात है जब कभी किसी केस का निर्ने करते समय को सुप्रीम कोड के दो निर्ने दखाये जाते हैं तो जो बड़े
18:41जाखे पाल उसे वापस नहीं करते हैं इस राह में यह भी कहा गया कि आपको अदिश्चित काल तक बिना किसी वज़या आप अपने पास नहीं रख सकते हैं और सुप्रीम कोड निर्ने भी कहाए कि आप जासकते हैं उस वक्ड़ी सुप्रिम कोड के पास कोई विशेश अ�
19:11जो तीन महिने की छे महिने की और मान लिया जाएगा धीमड असेप्टेंस वाली बात बिल्कुल समाप्त हो गई है हाँ स्रवोचा नियारला ने बहुती संतुरित निड़ने लिया है इसे वेरी बैलेंस डिसीजन क्यों सुप्रीम कोड ने ये कहा है कि जहां राज्यपालों क
19:41की धारादोसों के अंतरगाज राज्यपाल को दी है तो उनको थोड़ा समय आपको जो समचित समय हो देना पड़ेगा विचार विमश करने के लिए बाचीत करने के लिए अपने विचार लगाने के लिए चिंतन करने के लिए उनको समय के जरूरत होती है बात तो सही है अ�
20:11उस पर कुछ clarity के लिए किया जाएगा, क्योंकि आप ही के विपक्ष की ही राजज़ यहां पर दिख रहे हैं कि जिनके बिल यहां पर लटके हुए है।
20:19जैहिंद, साहिल जी बड़ी अच्छी चर्चा है और बड़ा अच्छा यह बड़ी अच्छी राय आई है यह जो पांच जजों की राय आई है और जैसा भाजपा प्रवक्ता ने प्रकाश डाला कि यह से जो वरिष्ट जज हैं वो हैं सरवोचिन आयाला के मुखे नयाधीश
20:49बड़ा एहम है क्योंकि सवाल नंबर 13 था अनुच्छेद 142 के उपर आज के बाद भाजपा का कोई नेता अनुच्छेद 142 को नुक्लियर मिसाइल नहीं बोला पाएगा जैसा आपने बताया था कि जगदीध धनकर जी ने बुलाया आउस समय और वो सब करने के बाद भी �
21:19इनेबल भी है यह जो प्रेजिदेंशल रेफरेंस है तब भी हम इसे रिटर्न कर सकते हैं वापस भेज सकते हैं तो बारा चौदा और तीन सवालों के जवाब मना करते हुए बारा और चौदा जो सवाल थे यह भी गौर तलब है कि उन्होंने यह उसमें प्रेजिदेंशल
21:49तो आप यह देखिए कि बाकी के सवालों में तो सब्सक्राइब कुल मिलाकर सुप्रिम कोर्ट यह जो कॉंस्टिटूशनल बेंच है उन्हें लगता है कि यह सारे फैसले एक दूसरे से बाचीत करकर सुलजाने चाहिए डॉक्टर अंबेटकर को भी उन्होंने उसमें उद
22:19कोर्णिम कोट में जो राय रखी है इसके बाद कम से कम इस तरीके के डेड लॉक नजर नहीं आएंगे या अभी इसमें राजनीती नजर आएगे
22:26हो सकता है कि आगे ये फर्दर पार्लियमेंट में रेफर हो कुछ अमेंडमेंट हो नया कानून बने मैं उस पर नहीं जाता हूं अभी देखिए जहां तक आर्टिकल 200 का सवाल है और 201 जो जो पावर्स देता है गवर्नर को और प्रेसिडेंट अफ इंडिया को उसके इसाब
22:56प्रेसिडेंट उसमें कोई टाइम सीमा जो है टाइम लिमिट उसमें मेंशन नहीं है आर्टिकल 200 या 201 में वो यह कहता है कि as soon as possible तो अब as soon as possible को किस तरह से डिफाइन किया जाए इसके लिए ही मामला पहले रेफर किया गया था सुप्रीम कोट को स्टेट आफ तामिल नाड
23:26इस एक एक बाटशीत होनी चाहिए और उसी के आधार पर जल्द से जल्द फैस्टे लिए जा सकते हैं वो सकता है कि राज्यपाल किसी फैस्टे से संतुष्ट ना हो और उन्हें लगे कि उसमें कुछ बदला होने चाहिए लेकिन उसको लेकर बाटशीत भी कही ना कई जर�
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