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हिंदी साहित्य में कैसे दी 'बेज़ुबानों को ज़ुबान', आजतक पर लेखक-लेखिकाओं ने शेयर किए अनुभव
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00:00अब क्योंकि बात पैट और जानवरों की हो रही है तो आप में से कितने लोग हैं जो पैट लावर्ज हैं या फिर अपने घर में पैट रखते हैं तो जाहिर तो पर इस पूरे जो आयोजन में और इस पूरे सैशन में आपकी काफी रुची होगी क्योंकि तीनों ये लेखक �
00:30जिनने पश्यों के प्रती जो प्रेम जाहिर करना चाहते थे सडकों पर उन्होंने उतर कर उस फैसले का विरोत किया लेकिन इस बीच इन तीनों का एक बार जोड़ा तालियों के साथ स्वागत कीजिए हमारे बीच मनीशा जी है निदी जी और अमिर जी है सबसे पहले मनीशा
01:00आपने जिस जानवर का चुनाव किया सबसे पेरे तो मेरे में कौतूहर यही है कि हाथी का चुनाव आपने क्यू किया क्यों कि जाहतर लोग तो कुते बिली यही सब परशू पालते हैं हाथियों को तो आप किसी वन में देख पाएंगे किसी सैंचुरी में जाएंगे किसी
01:30आज तक का शुक्रिया आदा करूंगी और आप सभी का कि आप सब यहां इतनी देर बैठे हैं और हम सुतीनों को सुनने वाले हैं और काफी गर्मी भी है इतनी गर्मी है तो नेहा का जो सवाल है तो दरसल मैं वायू सेरा अधिकारी की पत्नी हूँ तो हमारी हमेशा जंगलों
02:00देखा कि बाकी सारे जानवरों में नर की सत्ता होती है और हातियों में मा की सत्ता होती है कुलमाता होती है पूरे जुंड की नेत्री जो होती है वो हतिनी होती है और आप सब लोग जोग्राफिक चैनल देखते हैं कि जब शेर शेरों की जुंडों में सत्ता परिवर्तन हो
02:30करेंगे कि हाथियों में सूज बूज के साथ ये चुना जाता है अगर कोई कुल नेत्री मर जाती है तो बाकी सारी हत्निया मिलकर अपनी कुल माता चुनती है तो मुझे ये सबसे जादा बात अच्छी लगी और मैंने वहां ये सोचा कि मैं मात्र सत्ता पे उपन्यास लिख�
03:00गई जहां पे नायर समाज था तो मैंने तीनों समाजों में देखा कि आज भी हाथियों में मात्र सत्ता चली आ रही है लेकिन किसी ना किसी कारण से मनुश्यों में मात्र सत्ता का लगातार विरूद हो रहा है और सबसे मत्यदार ये बात है कि मैं जब जल्दापारा में र
03:30रिसर्च में यही बता रहे हूँ कि वहां पर जो लेला नाम की हती नहीं थी उसको रेस्क्यू करके वहां लाया गया था तो उसने बाखी सारे जो अनाद बच्चे थे उनको अपना लिया और वो इतनी इंटेलिजेंट थी कि वो कम्यूनिकेट करती थी और मैंने फिर हातियो
04:00और उसके बारे में बहुत सारी research की और animal narratology पे बहुत सारी पढ़ाई की कि मैं हतिनी बनकर अब उसकी कहानी कैसे लिख सकती हूँ
04:09तो मैंने soon से देखना शुरू किया, मैंने soon अपने अंदर महसूस की और घास की ओस को वो कैसे महसूस करती है
04:18तो मुझे लगता है कि जो लेखकों के लिए कहा जाता है कि कायांतरन करते हैं और काया में प्रवेश करते हैं
04:25तो मुझे लगता है कि research तो जो थी, वो scientific research थी क्योंकि मैं biology background से हूँ
04:31उसके अलावा जो एक अनुभूती होती है, उसको मुझे जगाना पड़ा
04:36तो वो अनुभव कैसा था, क्योंकि कई बार आप लिखनी में इतना डूब जाते हैं कि आसपास की जो विवस्था होती है, जो वातर होता है, उसको बिलकुल दरकिनार कर देते हैं, आप अपनी अलगी जीवन में जी रहे होते हैं
04:47बलकुल बलकुल जब मैं तριमाया में इस हतनी माया के बारे में लिख रहे ही थी, तो मैं उन सब चीजों को महसूस कर रहे ही थी, क्योंकि मैंने टी गार्डंस देखे हैं, टी गार्डंस में जब हतिनियां आती और उन के जुनड आ जाते हैं, उनके पर पटाके चलाए जा
05:17जिन रास्तों को सदियों से सोचते आए हैं
05:20तो मुझे पीडा जादा हुई
05:21मुझे घबराहट बहुत जादा हुई
05:24कि एक दिन जब हाती नष्ट होंगे
05:25उससे पहले, बहुत पहले मनुश्य नष्ट हो जाएगा
05:28अब तो काफी जागरुकता आ गई है
05:31जागरुकता तो आईए लेकिन
05:33पुझीवाद खतम नहीं हो रहा है
05:36और उसमें बहुत सारे
05:37रेट टेपिजम और अलग-अलग अलग अब धान है
05:39क्योंकि आप एक अफसर की वीवी हैं
05:41तो आप ये भली बात ही समझते हैं
05:42और बिलकुल बिलकुल
05:45और मैं अगर सैनाओं की भी बात करूँ
05:47तो बहुत सारे ऐसे नई स्टेशन हैं
05:50जहां से हातियों के रास्ते होके गुजरते हैं
05:53तो आज भी हाती तो दर्वा से तोड़ के गुज जाते हैं
05:56निदी जी गिल्लू की नहीं कहानी
05:58और क्योंकि आपके किरदार में
06:02सेंट्रल में एक ऐसी चोटी सी जिसे हम कहेंगे जन्तू है
06:07उसको नायग बनाना कितना साहसिक अदम था आपके लिए
06:11और कई लोग यह भी जाना चाहेंगे
06:13क्या आपने इसके द्वारा महादेवी वर्मा को एक सीधी चुनौती दिये
06:17नहीं नहीं वो इतने स्टालवर्ड लोग हैं उन्हें बिलकुल चुनौती नहीं दे सकते हम हमेशा उनको प्रणाम करते हैं और उनसे सीखते हैं
06:28लेकिन यह जरूर है कि जब हम गिलहरी को देखते हैं तो उसके लिए जो भी बातसल्य हमारे मन में उमरता है
06:35जो प्यार उमरता है उसको देखके एक जिग्यासा आती है तो कहीं नहीं उसके क्रेडिट जरूर महादेवी वर्मा को जाता है क्योंकि हम लोग ने सभी ने अपने स्कूल की बुक्स में पढ़ा और जब पढ़ते थे तो हमेशा लगता था कि कैसा अनुभव होगा कि एक �
07:05जिसके बार में कहानी है गिल्लू हमने गिल्लू नाम भी उस गिलहरी के बच्चे को इसलिए दिया महादेवी वर्मा जी से प्रेरित होकर तो यह एक अनात बच्चा था जो कि हमारे घर के आंगन में हमको मिला था और बहुत छोटा था और कुछ मालूम नहीं था कि अब क्
07:35अलग रूम में हो गए और वो अलग रूम में तो घूमता फिरता हमारे पास आ जाता था और सबसे एक जो एक्सपीरियंस है जो तो मैं लाइफ लॉंग कभी भूली नहीं सकती क्योंकि गिलहरी हमने कभी उसको केज में नहीं रखा वो ओपन में रहता था और डेली हम उसक
08:05है इसके हैसा है है जैसे हम आफियमर के और लॉप ही इसका इसकि उनिक निच्टो के ओल्स बिंखो कर गा खोंदिये, जयसे बच्यों का होता है यह संव libro को करते हैं तो जो मात्रुथ को ग्लोरिफाई करते हैं तो जो हम अ Israelis को गलोरिफाय करते हैं वह जन देने की प्रक्रि
08:35इसको मैं खिलाओंगी तब यह खाएगा, मैं इसको साफ करूँगी तब यह साफ रहेगा, तो अगर आपने जीवन में कभी भी एक जानवर पाल लिया, एक बच्चा पाल लिया, तो वो आपको अंदर से इतना तरल कर देगा, जो कहते हैं न मा का हिर्दे, तो वो मा का हिर्�
09:05मूख भाषा को ही आपको समझना पड़ेगा, तो यह जो अपने बच्चे बड़े होते हम उने डाटने लगते हैं लेकिन आप अपने पैट को कभी नहीं डाट पाओगे, तो कोई रोचे काहनी सुनाई है ना, जैसे बच्पन की कई सृतियां भी इस से जुड़ी होईगी
09:35मेरी लएप में आता था और फे ले लफ में सो जाता था तो यह जो कि यह ज़गता है, मैंने तो आज तर किसी गवरी को पास से अपने हम इस इस महिसुष करने कर ओसे सुनाया हो और अपने लएप बहुत पहचांत लोग इस बेarlा गर थेला हो यह तो बहुत सारे लोग ऐस
10:05आज से गिलहरी खाना खा लेती है अगर वो आप पर ट्रस्ट करने लगती है और मैं हमेशे एक बात कहती हूं कि मनुष्य को पते हैं किस चीज का इतना घमन रहते हैं चिडिया तक तो आप पर विश्वास करती नहीं है आप जाते हैं और वो उड़ जाती है तो हमें खुद क
10:35अब तो मनुष्य का इमनुष्य पर विश्वास नहीं रहा लेकिन एक समय थास जरूर ऐसा जब पशुपक्षी भी मनुष्य पर विश्वास कर दे थे तो उस विश्वास को वापिस पाने के लिए शाएद हम इतना तरल होगा और उस तरल होने का रास्ता ऐसे ही है कि आप
11:05जी सबसे परे तो आपको बहुत-बहुत बढ़ाई कि आपको नहीं बताना है ठीक बढ़ाई लेकिन ले लीजे बाद में बता देजी बंकु आपने लिखी है जो की एक कुत्ते की कहानी है और कुत्ते से तो काफी लोग रिलेट भी कर पाते हैं क्योंकि जात अलोग के घर
11:35या उसके द्वारा हम एक अलग जीवन को देख पा रहे हैं या फिर वो आपके जीवन का कोई हिस्सा रहा है जिसको आपने रिरेट किया है
11:42बंकू ना इंसान मैं इसको ऐसे कहूंगा कि जब मैं किसी को बताता हूं सामाने तरीके से तो ऐसे बताता हूं कि जो जानवर है ना वो अपनी किसी भाशा में कुछ तो सोचता होगा कुछ तो समझता होगा जैसे हम अपनी भाशा में सपने देखते हैं अपनी भाशा में ह
12:12जानवर भी वो जो भी भाशा जानता होगा उसकी जितनी बुद्धी होगी उसमें वो सोचता होगा समझ पाता होगा तो इंसान के साथ क्योंकि कुट्ता खास करके वो ऐसा प्राड़ी है जो इंसानों की इड़िड रहता है तो इंसान के साथ रहते हुए जो समवेदना उसन
12:42उसने महसूस किया होगा
12:45हो सकता है उसको अपनी भाशा में
12:48किसी तरीके से बुरा भी लगा हो, लगता भी है
12:51तो मैंने सोचा कि यह ऐसा होगा
12:55और रो बंकू बनके
12:57मैंने लिखने की कोशिस की
12:59उन सब्दों में कि क्या करता होगा
13:02अब जाहिड सी वात है मैंने सोचा तो इंसानी भाशामी सोचा होगा
13:05लेकिन कोशिस किया कि उसकी समवेदना को मैं अपने भीतर उतार पाऊं
13:10या मैं इंसान से कुट्टा हो पाऊं
13:12कुट्टे को इंसान होने के जरूरत है या नहीं मुझे नहीं पता
13:16लेकिन मैंने उन दिनों में जब मैं लिख रहा था
13:19तो मैं कोशिस कर रहा था कि मैं कुट्टा हो पाऊं
13:21और वो कुट्टा होते हुए मैं कैसे महसूस करूँ
13:25उसके दर्द को जब उसे चोट लगती है
13:27जब उसे कोई दुद्कारता है
13:30जब वो कोई प्रेम करता है
13:33और अगले ही छाड कुछी दिनों बाद वो उसका दुश्मन बन जाता है
13:36मलब आप सोचिए इसको मैंना ऐसे भी कहूंगा
13:40कि जिसे जानवर है अभी जानवर से मुझे डर लग रहा है
13:43मालीजी कोई कुट्ता है या कोई भी जानवर डर लग रहा है
13:45लेकिन उसने कोई ऐसी हरकत की खुश होने वाली
13:48कि हमें महसूस होगा कि नहीं वो हम पर खुश है
13:51यानि कि अब हम उस पर सौ प्रतिशत भरोसा कर सकते
13:54अब वो नहीं काटेगा क्योंकि वो खुश है
13:56और ये जानवर की खुबी है कि अगर वो आपको देख करके खुश हो गया
14:00तो आप ये विश्वास में रह सकते हैं कि वो अब नहीं आप पर हमला करेगा
14:05लेकिन इनसान के साथ ऐसा नहीं है
14:08इनसान अगर खुश है तो वो खुश है एक समय पर उसके साथ
14:12लेकिन हो सकता है कुछ दिन बाद उसका मन बदल जाया और उसके ऊपर वही इंसान
14:17जो प्रेम धिखा रहा था वो अस में धनशील हो करके उस पर फ्रहमला भी कर देग
14:22तो ये बात नहीं ये इनिकनेस जो है खराब एनिकनेस इस नहीं आपने की कोशिश की
14:29एक जब तो इन्हुमन और इन्हुमन तो हुमन
14:32जी अभी तो है से समय है कि कोई जादा खुश हो जादा प्यार दे तो जादा डड़ लगने लगता है
14:37लेकिन मैं इन्हान चाहती हूँ आमेद क्योंकि कहुंकि पहुँ चारे आज कर सोशल मीडिया में वीडियो आते हैं
14:59Нό
15:19इन्सानो के दवारह किस तरीके से सब्हाता जाता है किस तरीके से प्रताडित किया beiden है
15:27करना ना बड़ी एक ultimate बात
15:28हो गए कि यह तो आखरी हो गया कि जो
15:30आखरी आखरी एसामविनाशित्ता मनुषय ने दिखाई
15:32वो बाद की बाद है उसके पहले
15:34बड़े चरण है उसके पहले के चरण
15:36है दुद्कारना दुद्कारने
15:38में भी कई चरण है कि किस तरीके के दुदकारना है ना रोटी भी अगर हम दे रहे हैं तो रोटी देने में किस तरीके से किस मंशा से रोटी देना देखे जो हम कृत करते हैं वो हमें उसके तरफ व्योहार नहीं दिखाता है वो हमें यह दिखाता है कि एक इंसान के रूप मे
16:08आप कहानी को पढ़ेंगे तो आपको आप समझेंगे कि हरे इग्नोरेंस भी ना बहुत बड़ी आसमवेंदन शिल्ता होती है और जो डॉक तो छोड़ाते हैं कई बार इतने साल रखते हैं और कई बार छोड़ाते हैं वो किस कैटेगरी में नहीं वो तो मतलब मैं आसमवें�
16:38लेकिन आभी ये शब्द मेरे मुझे यही निकल रहा है कि मैं उसे पाप मानूंगा कि मैं आप कैसे कर सकते हूं ये धोखा है आप समझे आप सिर्फ इंसान के लिए धोखेवाज नहीं हैं कुत्ते के लिए धोखेवाज नहीं हैं हमें समझना होगा कि जब हम जानवर के ल
17:08situation बदलते ही हम वही हैं जिसने उसको दोखा दिया है और यहां भी दोखा देंगे यहां भी दोखा देंगे यह इस बात का प्रमाड है
17:15बड़ा कॉमन टर्म है आजकल गोस्टिंग जो आजमी इंसान अचानक से गाइब हो जाता है करी बार अपने पालतू पैच के लिए भी हो सकता है कि उनने छोड़ाया फिर गाइब हो जाए हैं लेको लगता है कि जिससरीके से आप तीनों यहां पर इस मंश्वर हैं सेंट्रल
17:45अनिमल्स असेंटल थीम ऑफ नोवल्स एंड बुक्स हाँ क्रश्णी चंदर की बात करूं तो उन्होंने एक गधी की आत्मगधा बहुत पहले लिग दिया था और अलेक्जांडर क्यूपरिन ने एक घोड़े पे लिखा है और मुझे लगता है कि पाश्चात दुनिया में
18:15समवेधन शीन समाज होता जा रहा है हमें उस आत्मा में उतर के कायांतरन करके बार बार इस बात को लिखना पड़ेगा और आज में बहुत खुश हूँ कि निधी और अमित के बहाने हमारा क्लब बन गया है और हम इस क्लब को और बड़ा बनाएंगे और यतीश को भी शाम
18:45पॉधे पशुपक्षी वहां बने ही रहते थे स्वधेश दीपक कि मैंने मांडू नहीं देखा कितना चडियाओं का कितना सुंदरवर्णन वहां पर आता है प्रेम चंद जी ने लिखी है कुट्टे की आत्मकता है उनकी कुट्टे की कहानी करके उनकी कहानी है गोड़ी �
19:15कॉप बहुत से लोग तारीफ ख़एर है किताब लक्ये और युग नहीं दी पड़ा था श्यॣू में जब पता चला तो हुआ था कि अरे हाती पर तुमने लिखा है मैंने का हाती ने हाती ने हाती पर लिखा है हाती ने खुद पर लिखा है तो उन लोगों को विश्वास �
19:45और वहां पर उसे साफ कैसे महसूस होता है तो हाथियों की आखे बहुत कमजोर होती है वो जो कुछ महसूस करते हैं सून से महसूस करते हैं और अगर उनकी सून कर जाए तो वो उनके पैर या कोई बहुत बड़ा ओर्गन कर जाने जैसा है तो मुझे लगा कि मैंने जो हतीनी
20:15को कहें कि जानवरों की जो समवेदना है उसको हम अपने साथ ले जा पाएं उसके प्रती एमपथी रखने रख सकें तो वह एमपथी मुझे बढ़ी और मुझे लगता है कि हम और बार-बार ऐसा कुछ लिखते लएंगे
20:29मेरा तो अनुभाव पिल्कुल अलग रहा क्योंकि जब गिल्लू हमारे पास आया तो बिल्कुल कोई दिमाग में कहीं नहीं था कि लिखना है लेकिन सब को चितना खूबसूरत था उसके साथ उसका जो साथ वो इतना सुन्दर था कि मैं फेस्बुक पर लिखती चल रही थी �
20:59पार्क में भी मिल गया तो वो उसकी फोटो खीच कर मुझे जरूर भेजेगा और कहीं पर भी कोई गिल्लू की टी-शर्ट दिख गई गिल्हरी की तो वो मुझे रिकनाइस करते हैं गिल्हरी को देखकर मतलब जैसे होता है न कि हमारी फीलिंग सटाइच हो जाती है अन प�
21:29और काफी डिमांड में रहे वो तो देखकर अच्छा लगा और बहुत सारे बच्चे फिर चाहते हैं कि हम भी केर करें तो सबसे खूबसूरत बात और ये बात जो तो मैं बोलना भी चाहूंगी कि एक किताब मैंने क्यू लिखी यहां पर तो मैं अपनी छोटी बेटी के सा
21:59खिवा, तुम हर्जद के शुरू हो जाती ही अभी देभी देएंगे तो कल क्या होगा तो पोली तो हो सकता है कल कोई और आजा ऐसे ही तो उसकी बात मुझे बहाँ पर चुगई वो बात बिलकॽत कि हम इतना क्यो सोचते हैं कि कल क्या होगा जब आज हम सामने आज हम जो कर
22:30वाप जायके या अद्वल्ट सही शहिए मैने कि इसे बच्चे भी पर सकते हैं
22:39कि भी के लिए नहीं है बड़ों के लिए नहीं है
22:42तो ऑल्लख की और जादा पढ़ना चाहिए मैं थो आज भी टॉम अण जेर्ई देख रहों
22:46और उतने ही रिलाक्स होती, उतने ही कुछ होती हूँ
22:49आपका हस्वुक, स्वभाव प्रवती सब यहां पर एकदम दिखाई दिखाई दे रहा है
22:53अमित आपका क्या एक्सपिरियंस तो मतलब ऐसा रहा बंकु लिखते समय कि
23:02मैं उसे बया कैसे करूँ, यह नहीं समझ में आ रहा है
23:06क्योंकि जब आपना, मैं ऐसे बोलूँगा कि मैंने सीखा बहुत
23:11अनभाव के आधार पर यही कह सकता हूँ कि बंकु ने सिखाया बहुत
23:16हर एक जानवर को जब आप पल पल आप उसका अलोकन कर रहे हैं
23:23और तब नहीं जब वो था, तब तो आपने देखा था, जाने के बाद आप उसे याद कर रहे हैं
23:31और याद करके एक-एक वो इंसिडेंट याद कर रहे हैं, हर एक चीज याद कर रहे हैं
23:36जो घटित होई थी
23:38और तब जब आप
23:40और उसमें मैं अपने आपको
23:42अपने आपको भी
23:44मैं बहुत जगह आसवामेशिल पाया
23:46मैंने
23:47कि यह ऐसे हो सकता था
23:50यह मैं ऐसे समझ सकता था
23:51उसमें क्यों नहीं समझ में आया
23:53या इस बात को जो उसके साथ घट रही थी, मैं यहां कर सकते हैं।
23:57वह भाग है आपकी किसाब के जब रिराइट करना चाहेंगे।
24:02ने रिराइट नहीं करना चाहूंगा, राइटिंग में तो है, जो मैं रिलिव करना चाहेंगे।
24:07वह यह है कि जैसे एक उसमें हिस्सा है ना कि जब उसे चोट लगती है।
24:11और वह बहुत ज्यादा चोट लगती है क्योंकि वह उसके लड़ाई होती है जंगली सूवर से और बहुत घायल हो जाता है।
24:19तो उसकी दवा कराई जाती है, मेरे पिताजी उसको हॉस्पिटल ले जाते हैं, दाओं का हॉस्पिटल है, गाओं में इतनी ब्यवस्था नहीं है, जो मौझूदा ब्यवस्था थी, उस मौझूदा ब्यवस्था में उसकी दवा कराई गी, जितना हो सका, हर दूसरे तीसर
24:49थीक नहीं हुआ था, शायद अगर मुझे वो उतनी संवेदना रही होती, मैं गाव गया होता, घर जा करके उसको ले करके शहर मिया करके अच्छे हस्पताल में मैंने उसको दिखाया होता, शायद उसके जितना अब मैं जानता हूं क्योंकि इस समय मेरे पास पिट है, मैं उस
25:19मुझे बार-बार चुभती है और वो मुझे बार-बार इस बात को हिसास दिलाती है कि हम सामानितिया जो जिंदगी जीते हैं वो दिन भर में हम बहुत सारी असमवेदन शीलता करते हैं और बहुत सारी इग्नोरेंस में ये काम करते हैं, तो मैं उसे शायद रिलीव करना च
25:49के लिए खड़ी हो रही है और लड़ रही है तो मुझे लग मैं उसको सेल्यूट करना चाहूंगी कि जो आज की बिल्कुल करण जेनरेशन है वो बहुत समवेदनशील है जानवरों के प्रती हमारी जेनरेशन से ज्यादा मेरी जेनरेशन के बाद इन दौनों की जेनरेशन है
26:19के साथ जादा अच्छी होती है तो मुझे लगता है कि जानवर हम मनुश्यों के लिए एक वर्दान है अगर हम उनको समझ सकें तो
26:27अवित आपने किसी अनमल प्रोटेस्ट में हिस्सा लिया है जो हाल फिलाल हुई है बिल्कुल लगभग कोई भी प्रोटेस्ट होता है प्रोटेस्ट देखिए एक बात है मैं प्रोटेस्ट के मानता हूं कि चलो आपका एक छदम काम है प्रोटेस्ट से जादा जो काम होते ह
26:57और अभी लगातार कर रहा हूं
26:58और अभी आगे तो ये प्लान है कि
27:00किस तरीके से मैं अपना जीवन समर्पित कर पाऊ हूं
27:03जिन समवेधना करो
27:04अगला कॉन सा जानवर हुंगा
27:05ये रिवील अभी ने करूंगा
27:07ये रिवील अपन ने है मन में
27:09यहां है
27:10निरी आप भी अपनी नेक्स नॉवल, अपनी लेखनी जानवर पर आधारत रखेंगी
27:15क्योंकि आशकल तो बारतर प्रेम आधारत मुद्दे, सामाजिक मुद्दे
27:20चित्रा जी मेरी
27:21चित्रा
27:22नेहा
27:23वो अग चैनल में शरी गए, यह तिकत हो जाई
27:26नेहा जी, मेरी जो है तीन किताबे हैं, एक है जिसका नाम है कोई फ्लैमिंगो कभी नीला नी होता
27:32एक यह जो नही कहानी हो, और यह कभी जो कहानी संग्रे आया है, उसका नाम है प्लेम एक पालतु बिल्ली
27:38तो मुझे लगता है कि मेरी कहानियों में तो जानवरों की उपस्तिती, पक्षियों की उपस्तिती हमेशा बनी ही रहती है, वो जीवन आप उनको देखेंगे ना उनसे इतना आप जो हम फिलोसुफी पढ़ते हैं ना फिलोसुफी पढ़कर हमको जीवन नहीं समझ में आता, �
28:08बनाने के लिए, एक इलहरी ने हमारी एसी की आउटर यूनिट में अपना घर बना लिया, और बहुती अनफॉर्चनेट वो इंसिडेंस हुआ कि जब एसी चलाया हमने आवाज भी बंद करी तो पता चला खोला उसको कि क्या हुआ है तो पता चला गिलहरी थी उसके अंदर
28:38तो उसके दाथ इतने तेज होते हैं कि वो कात लेती है उसको तो हमें कंटिनुसली उसको रिव्यू करता रहना पड़ता है कि उसने कोई नई ओपनिंग तो नहीं बना ली और अभी जब मैं यहां ही उससे पहली किलहरी कि बहुत छोटे-चोटे तीन बच्चे उसके अंद
29:08हो या बिली के संग हो इंकोटेन वह पीलिग है वहॉरव मच ऌराइप किसी के लिए कुछ करते हो ना रंदिशनल लव तो अनकंडीशनल लव जो आप को इतना समर्प करते हैं न आपको कुंडली या जागरत कर देता है बिलकों किहना चाहिए वह इंपॉरधेंटेंट है �
29:38तो वहां से मतलब अगर आप एक पर आप करके देखे चड़ियों को दाना डाल के देखिए गिलहरी को डाल के देखिए जो आपके पास गुत्ते है जाता है नितीजी खुद के लिए तो समय है नहीं जानवरों के लिए समय कहां से निकाले इस भागदौर बरी जिंदगी में
30:08जेके पुल्स देख खुद कर लीजी ओरों को अचिए डांस कैम से बान सो अखुद कर लीजी तो आप जाटा उसे सीहें एंगे
30:30मनिशा जी, जो स्टीरियो टाइप होता है, बड़ी रूडिवादी सोच होती है, हाथियों के प्रति, स्त्रीयों के प्रति, आपको लगता है आपकी ये किताब, ये नॉवल उस रूडिवादी सोच को कही ना कहीं तोड़ेगी, बदलेगी?
30:44बिल्कुल बहुत बड़े इस तरफे, बहुत सारे लोगों ने कहा कि हाथियों के बारे में इतना हम जानते ही नहीं थे, और क्यूंकि मेरी घर में मैं और मेरी बेटी चौती पीडी होगी, एन्वाइमेंटलिस्ट की, तो हमारे घर का माहौल ही सारा परियावरन वादियों का
31:14नई पीडी जैसे कि निजी ने अपनी बेटी की बात की, तो मेरी भी बेटी ऐसी है कि वो ब्राइड होने वाली थी, उसका ब्राइडल फेशल होने वाला था, और वो दिन बर धूप से बचती रहती थी, और जैपूर में क्या होता है, सक्रांती पे बहुत सारे कभूतर प
31:44शुक्रिया आदा करना था, उसका पूरा धागा खोला गया, जो गले में लटका वा था वो एक पेड से, और वो दूसरे चज्जे पर कूदा और उसने पीछे मुड के देखा, गुटुर्गू की और उड़ गया, तो मुझे लगता है कि यह जो अभी जो बच्चों की पी
32:14जितना की हमारे समय में होता था, और मुझे लगता है कि तरिमाया लिखने के बाद, बहुत सारे लोगों में इक उत्सुकता जगी है, कि वो मैट्रेलिनी और मातरसत्ता के प्रती उत्सुकता दिखा रहे हैं, और उसको पढ़ना चाह रहे हैं, आपको कभी इस नई पीडी
32:44और और बी जो यंग्स्टर्स हैं, काम करते हैं, उनकी तरफ से मुझे इंपुट्स मिले, कि ममा ऐसा एक्सपरिमेंट करिये, ममी ये लिखिये, या कही इने जैसे अवनी की जो क्लासमेट्स हैं, जो एफ राई में दरादून में पढ़ती हैं, उनसे जब मैंने बात की तो
33:14और हाँ, भाषा की तोर पे उनको लगता है कि थोड़ी क्लिष्ट हो जाती है, तो मुझे लगता है कि हमें और भाषा को सरलतर बना के और इस नई पीडी के तक पहुँचने की ज़रूरत है, तो अगर मैं गलत हुँ तो आँ मुझे करेक्ट करेगा, इस आपके उपन्यास
33:44जाता है, तो इन ही एक हैपी एंडिंग होती है, तो एक हैपी एंडिंग क्यों नहीं?
33:48Actually, sad ending तो बहुत नहीं है, पहले कोशिस थी कि इसको बहुत typical sad ending रखें, पर कुछ लोगों ने जब पढ़ा तो कहा कि नहीं, बहुत sad ending थोड़ा कम ठीक होगा, तो इसलिए ending उसकी
34:06जो है, वो sad तो नहीं है, हैपी भी नहीं है, ऐसे in between सी है, लेकिन पढ़ते हुए जब आप खतम करते हैं, तो वो sadness जो किताब के end में नहीं है, लेकिन वो आपके अंदर आ जाती है, ट्रांसफर हो जाती है, वो आप पढ़ते पढ़ते जब खतम करेंगे ना, तो वो ending से फ
34:36happiness नहीं रहती, वो एक तरीके कि आपका भाव आपके अंदर उतर जाता है, वो बंकु आपके अंदर उतर जाता है, मुझे यह लगते है कि कुत्तों की उम्र तो होती 15 साल है, तो आपके जीवन में आएंगे, तो 15 साल पे एक अंत तो होगा, वो दुख होगा, लेकिन वो ज
35:06चोड़ के जाता है इनसानों को, वो नकार देता है, कि अब तुम्हारे साथ नहीं रहना, और फिर जिन को छोड़ के जाता है, वो महीनों ढूटते हैं, और फिर कहानिया बनती है, लोग दूर-दूर से सुनातने आते हैं, कि अरे हमने तुसको वहाँ देखा था, फिर को�
35:36क्या करता है, वो किताब का टिस्ट है, लेकिन जाता वो छोड़ करके है, और नेहा जी, मुझे लगता है कि अगर कोई किताब पाठक के भीतर दुख छोड़ जा रही है, तो एक अच्छी बात है, क्योंकि आप चाहोगे न कि अगर एक बंकु बिचड गया तो लेकिन बाक
36:06लेकिन अगर कोई sad ending लेकिन अमित कह रहा है कि sad ending नहीं है, नहीं, इसलिए में कह रहा हूँ कि वो इस तरीके से जो आपको आपको आउसाद में नहीं बदलती, वो आपके अंदर ऐसी संवेदना जानती है, ऐसी सोचने को मजबूर करती है, कि शायद आप उस संवेदना से �
36:36क्योंकि जो मैं ने किताब लिखी तरिमाया, जो आप लिखी, जो हमने लिखी, जो और भी लोगों ने लिखी होगी, जो पशु प्रेमी होंगे, वो तो बड़ी आसानी से उठा के पढ़ लेंगे, वो तारीफ कर देंगे, लेकिन उनको ज्यादा पढ़ने की ज़रूरत है
37:06लोगों को भी एक संदेश है, जो शेहरी करन के शर्ते, पेड काट देते हैं, पर्यावरन पर ध्यान नहीं देते हैं, उन तक भी एक संदेश पचानी की कोशिश, बिल्कुल नेहा जी, जो जो जानवर होता है वो अपने पर्यावरन को समझता है, जैसे मैं आपको एक बह�
37:36करता था, अभी तीन पिलो रखे हैं, फिर हमने एक हटा दिया, तो जब मैं दुबारा उसको बोलूंगी कि जंप करो तो वो ऐसे ही नहीं कूच जाएगा, वो रुकेगा, साइट में देखेगा, उसको तो तो तुरन समझ में आ जाएगा, कि अब जो हाइट है मेरी, जो म�
38:06परिशान होता है, जानवर, अगर आप उसका जो परिवेश है, उसका घर है, उसको बदल देंगे, और पेड तो जब आप काट देते हैं, तो इस पर गोसले होते हैं, बहुत नवजाद बच्चे होते हैं, उसमें तो वो तो खुद को मतला कूद कर बचा भी नहीं पाएँ
38:36है, और जो मैम से मैं उसको जड़ना चाहरी थी, जब मैम अपनी बेटी का बता रही थी, और आप कहा रहे थे कि कब दें खाना खुद खाने को टाइम नहीं है, तो मुझे लगता है कि ये वक्त की ज़रूरत है कि हम अपने एडुकेशन सिस्टम को रिवाइव करें, और सा
39:06कराते कंवा बच्चो कहा अप उनके हाथों पेड क्यों नहीं लगवाते हाथों अपने ऐस च्रिया को दाना क्यों नहीं dal Владême चाहा दे गार एक बच्चा जो जम अपने प्रामरी सिक आ उस्से च्छल रहा है करता हूश
39:18से परियवन को समझता हूँ चल रहा है उसे प्रेम करता हूँ जब बड़ा होगा सवयो पेड लगा चुका होगा वो किसी भी परिस्थिती में पेड काटेगा ही नहीं वो बहले ही अफसर बन जाये उसको अपनी दुकान बनाने हो अपना घर बनाना हो वो कहेगा मैं घर थो�
39:48कि बच्चे नई किताब खरीदें, आप चेंज कर रहे हो तो उसमें जो वक्त की मांग है, उसके हिसाब से कहानिया तो डालिए, उसके हिसाब से कविता हैं तो डालिए, बच्चों को तक पहुचे तो कि उनको क्या करना है, कैसा जीवन उनको चाहिए आगे का.
40:00पासओन नहीं होती हैं बुक्स और वो इसलिए वजह से क्योंकि सिल्बस आप कह रहे हैं चेंज हो जाता है, वो तो खैरून का मार्केटिंग का है कि वही वो खोगी तो बच्चे क्यों खरीदेंगे, उनको तो पबलिशर से कमिशन भी तो चाहिए तो हर साल सिल्बस बदलते
40:30पारना बड़ा तो हम लोगों ने पेज बिनाये था गिल्लू, गॉरेया और गुस्ताखिया क्योंकि गॉरेया भी गॉरेया कि इतना लुप्त हो गई हैं, गाजियाबाद में तो मुझे दिखती ही नहीं है, वो इतना च्रेंड था कि अगर मैं उसको दाना खिला रही हू�
41:00ब्रांच पर आएगा और फिर मुझ से लेगा, कौन बहुत पसंद था उसको, और एक और इंट्रेस्टिंग बात में आपको बताती हूँ, कि मैंने कुल मिल आके छह गिलहरी के बच्चे बाले हैं, छह एक बार एक आया, फिर तीन बच्चे आया और फिर दो बच्चे आया
41:30कि उन छह का इंट्रेक्शन हमसे बिलको लालक है, गिल्लू एकदम अलग है, बागी के जो बच्चे आया, उनको अपना अपना परसनेलिटी ले कर आया, जैसे आपके घर के बच्चे होते हैं, भले ही आपको सब प्यारे बराबर से लगते हैं, लेकिन उनका जो व्यक्तित
42:00तो आप छोटे से छोटे जाजासा कि परसनालेटी की बात की, मेरे पास भी बहुत सारे बच्चरी गर्स थे, उनके से कोई शर्मीला था, कोई शेतान था, सब की परसनालेटी अलग होती है, तो मनिशन जी अगर आपकी किताब की बाद फिर से चर्चा करें, मानविय अतिक
42:30जाकर देखा और उसे लिखा, परसनली तो देखा ही, उसके बाद बहुत सारी फिल्में देखी, रीसर्च हुआ, वहाँ पे जल्दापारा में एक एक एक्सपर्ट है, वो रहते हैं, उन्होंने कहा कि मनिशा जी आज से दस साल पहले हातियों में मैंने इतनी एंग्जाइ�
43:00हो जाना, उनकी जंगल कम हो जाना, और उनकी दुनियाओं में इंसानों का घुश जाना है, तो यह जो आकरामक्ता है कि हातियों पे हम दोश दे देते हैं, कि हातियों ने अटैक कियो, तो हाति अटैक नहीं कर रहे हैं, हम उन पे पटाके छोड़ रहे हैं, हम उनको और जि
43:30प्रदर्शन होने लगा है, जाडियां हटा हटा के हाथियों को दिखाया जाता है, और हाथियों का इस्तेमाल होता है, मंदिरों में, हमारी तो भारतिया सब्विता की खासियत है, जिस चीज को पवित्र मानते हैं, उसे कैद कर लेते हैं, चाहिए वो इस्त्री होगी हाथी, �
44:00बहुत सारे rescue centers आये हैं अब हातियों की सार संभार हो रही है लेकिन मुझे लगता है कि वह बहुत धीरे हैं हम नश्र जादा तेजी से कर रहे हैं
44:10कभी कभी आपको दर्द होता है जिस तरह से हम cages में हाथियों को डाल देते हैं बेडियों में chain कर देते हैं अब तो हाला कि सरकस अली प्रथा खत्म हो गई है लेकिन एक समय वो भी था जब हातियों को उसमें बहुत जादा इस्तमाल किया जाता था
44:24मैं केरल में रही हूँ और वहां पर हाती केवल मंदिरो के बड़े बड़े जो जो जूलूस निकलते उनमें ही खोले जाते हैं और कई बार उन हातियों में से एक का देमाग
44:34हो जाता है, तो वो सब को कुछल्ग讒, when in time of all falling and çđला
44:37जाता है, तो वो उसको और ज़ादा बं
44:46हाती नहीं मुझे तो मुझे दुुख होता है जैसे कि इन्हों
44:48ने गिल्लु को कभी नहीं बॉढ़ा मेरे पास ऐग ऑजड़ी-घज्रे कर
44:54पिंजरे में नहीं रखा था उसको आदती नहीं थी तो मुझे लगता है कि कोई भी जीव किसी भी पिंजरे में किसी भी कैद में मुझे तो नहीं अच्छा लगता मुझे बहुत दर्द होता है
45:05अमित, अगर रसकिन बॉंड आपने पढ़ी हो तो रसकिन बॉंड भी शेरों के बारे में बहुत लिखते हैं, और उनके जो परस्नल अनुभाव है, वो इतनी सरलता से लिखते हैं, मैंने तो कई बार रसकिन बॉंड को बहुत क्लोजली पढ़ाया और मैं बहुत बड़ी फै
45:35कि जब वो भाव आपके अंदर पूरी तरह से उतर जाते हैं, तो जब आप उसे कलंबध करते हैं, तो बड़े आसान तरीके से बस बहते जाते हैं, और जब बहते जाते हैं, तो मुझे लगता है कि वो क्योंकि सिर्फ आपके नहीं होते हैं, तो पिर आप नहीं होते हैं, �
46:05दो आसान अपने नपे दया होती चलिया कि प्रहूज आई दिया तो मिलब जान भूछ के आज निया वने कैसे पर गुण
46:19पवह मूँच तो आंप दो конц fortune हो जाते हैं और में और नहें तो आम पाठक कर पहुचना थोड़ा मुचकिल को
46:28मतलब वो कहानिया सरल लिखती है भाशा में लेकिन जो उनका सबसे बड़ा गुना है कि वो सरस है आप पढ़ते हो तो कोई भी पाठा को समय रखने का मन नहीं करता रखने का
46:37एतनी ज़्यादा बच्चे पसंdesig करते हैं कि रसकिन बॉन जहां होंगे दूर दूर तक बच्चे होंगे तो मुझे लगता है कि रसकिन
46:45बॉडन ने अपणी लेखनी के अंदर वच्चा हमेशा ज़न्दा रखा था तो मुझे लगता है कि हम सब
46:51वह लगाशा पाठिक्रम का भी हिस्सा बने, इस्कूल तक पहुचें, आप तीनों ऐसी अफलाशा रखते हैं कि स्कूल तक पहुचें, मैं तो पहुच्च की हूँ, मेरी कहानी है, दसवी क्लास में बिग्रायल बच्चे चलती है, बंगाल, वेस्स बेंगल, बोड बे, दसव
47:21पाठिक्रम में या इसका कुछ बाग लगाएंगे, और एक लेखर के नाते नहीं, एक पर्यावन प्रेमी होने के नाते में, मैं चाहती हूचा हूचा मेरी किताब हो, चाहे किसी और की किताब हो, लेकिन इस परीकी की किताबें जादा से जादा बच्चों तक पहुचें, �
47:51में वो बंको बच्चों को हर वीकेंड पर पढ़के सुनाई जाती है और उन्होंने उनका जो स्कूल का ग्रूप है कई स्कूल का चेन है वो तो नागपुर मुसका है तो उसमें रिक्मेंट की गई है कि वो टीचर्स ट्रेनिंग प्रोग्राम में भी वो डाली जाएगी और �
48:21जो उसमें डाली हुई है तो कुछ जगा तो जा रही है तो जारी है अमित एक ऐसे युवा है जो अपनी लेखनी के जरिये बहुत सारे युवाओं को तो प्रहावेट करते हैं लेकिन यहां पर में देख रही हूं उनके बहुत सारे ऐसे भी 60 पार जो व्यक्ति हैं वो भी
48:51बढ़ते हुए आप तीनों से मेरा ही सवाल यह है कि आजकल बहुत सारे पर्यावरन प्रेमी पशु प्रेमी अचानक से उनकी एक लंबी छोड़ी खेप तयार हो गई है आपको लगता है क्या वह वाकई पशु प्रेमी पर्यावरन प्रेमी आपर सर्फ पैसे के लिए हो र
49:21है अगर दस काम किया है और सौ लोगों ने डिडोरा पीटा है तो अच्छी बात है वह सौ लोगों से प्रेरित हो के दस लोग और काम करेंगे और सौ लोग फिर डिडोरा पीटेंगे इससे दायरा बढ़ेगा डिडोरा पीटने से दायरा बढ़ता है और वह बढ़ना चाह
49:51का बहुत वह important है कि एक मुद्दा उठाया गया है कि बहुत हम बात करते हैं लोक्तंथ्र huge
49:56, जहां देखो बात होती है लोकतंथी खतर्ने में है है लोकतंत्र लोकतंथ्र, और ये पिछले
50:01घ़ड़ सो साल से लोकतंत्र की बात हम करते ही जा रहे हैं
50:03हमें अगर
50:25बंद कर देना चाहिए अब वो समय है जब उसे जीवतंतर कहा जाना चाहिए
50:30तो जीव तंत्र भाशा होनी चाहिए
50:32लोग तंत्र बहुत पुरानी हो गई
50:34तोड़ा सा
50:36गेटिंग बिलो सा
50:38वेल्ट हो गया क्योंकि
50:39लोग तंत्र, जीव तंत्र अगर अगर हम दोनों का समा वेश कर दें
50:42तो कहीं न कहीं कई लोगं को दिक्कत हो जाएगी
50:45जो लोगतंत्र में हैं और लोगतंत्र चला रहे हैं
50:47नहीं मैं कहता हूं उसके आगे बढ़िए ना
50:49वो खतम करने की बात नहीं है
50:51आप इंक्लूड करिए समाई उजित करिए
50:53आप सिर्फ इंसानों के लिए क्यों सोच रहे हैं
50:56आप और जानवरों के लिए सोचिए
50:57फिर आप पक्षियों के लिए सोचिए आप पेड़ पॉनों के लिए सोचिए और सब को
51:01officially आप include करिए मलब ये तो हमारी समवेदना की बात हो गई नहीं
51:05कि हम समवेदना लोगों के बीच में फैला रहे हैं लोग समवेदित हो रहे हैं लेकिन
51:09आधिकारिक रोप से ये क्यों नहीं बिल्कुल जैसे मैं देखती हूं कि न हम अपने आस पास से
51:15कच्रा उठाके जंगलों में फैक देते हैं अपनी सारी पॉलिथीन और सारी गंदगिया जो हमने जैनरेट की है
51:22वो जाके जंगल में पटक देते हैं और जानवर उससे बिल्कुल अन्भिग्य है कि इसका क्या करना है समझ ही नहीं आता जानवरों की गंदगी क्या होती है तिनके और मनुष्यों की गंदगी देखे तो तिनके से लेके
51:33molecular waste से लेके पूरा पर्मानू और सारी जो शक्ति है उसका waste तक भी होता है और सारा हम किसके माते थोपते हैं जानवरों के जबकि उन्होंने नहीं मांगा उन्होंने यह सब इजाद नहीं किया यह धर्ती उनकी बराबर से है लेकिन उनके हिस्से में भी हमारी गंदगी आ र
52:03कई लोगों को देखती हैं बहुत पर्यावरन पर्यावरन चिलाते हैं लेकिन सबसे ज़्यादा कपड़े वही खरीदते हैं उसमें मैं कई बार अपनी बेटी को भी टोकती हूँ कि यह फिर से तेरा यह आ गया तू तो एन्वरमेंटलिस्ट है तो मुझे लगता है कि हमें
52:33मैं आपके प्रश्ट पर वापिस आती हूँ जो आपने कहा था कि एंजियो खुल गए और अमित ने कहा कि धिंडोरा भी पिटना चाहिए लेकिन जब इतना धिंडोरा पिट रहा है और चीजे सामने आ रहे हैं तो थोड़ी गाइडलाइन्स भी बननी चाहिए ऐसा मुझे
53:03हमारे ड्यूटी बनती कि हम थोड़ा सा एक्स्ट्रा एफट करें कि आपकी बिल्डिंग में आपकी सोसाइटी में जितने डॉक्स हैं उनका रेबीस का वैक्सिनेशन हो उनके लिए क्लीन ड्रिंकिंग वाटर हो आपके पस वैट के दो तीन नंबर हो और प्राइमरी मेडि
53:33है जो भी हो रहा है अच्छा बुरा जो भी हो रहा है लेकिन उसको सिस्टेमाइज करना स्ट्रीम लाइन करना हमारा एम तो यह होगा ना हम यह जज़ करने में क्यों अपनी एनर्जी लगाएं कि यह सही है यह यह सही काम कर रहा है यह नहीं कर रहा है हमारी एनर्जी पर ज
54:03अपनी सोसाइटी से शुरू करें, फिर आगे देश की चंताओं में बात कर सकते हैं.
54:07कोड का कोई डिसिजिन जो आप लोग जिससे लगा कि यहां ये ठीक है, ये जानवरों के हित्मे है या नहीं है?
54:13अभी तो बहुत ही कॉंट्रडिक्शन वाला ही उनका आया था, जो आया था कि सारे सोसाइटी के उनको डॉक्स को हटाने की बात आय थी, तो वो तो बहुत एक स्ट्रीम स्टैप था, क्योंकि ऐसा नहीं है कि जो अपना कूल है वो डॉग ही खो रहा है, कई बार आदमी भी ख
54:43संग भी यही रवय अपनाया जाएगा, एक्चुली है कि जो सिस्टम का एड्मिनिस्रेशन का फेलियोर है, यह उसका काम है कि जितनी भी जानवर आ रहे हैं उनको एक प्रॉपर जगे देना, उनको खानपान देना, लेकिन क्योंकि एड्मिनिस्रेशन नहीं कर रहा, तो व
55:13बताया जा रहा है कि लेकिन मैं तो अपने शहर में देख नहीं रही है, अभी भी सड़क पर ही हैं गाय साही, एक बहुत बड़ा नियम है, जो जंगलों के लिए है, कि लेंड यूजज़ चेंज कर दिये जाते हैं, कि जमीन जंगल है और कल खेत बन गई अचानक से, तो य
55:43एक बड़ी लेंड किसी को मिलती है, किसी पुझी पती को, तो आधी मैं से किसके लिए लड़ रहे हैं, इसी बात के लिए लड़ रहे हैं, कि जो लेंड यूज़ का जो एक नियम है, उसको अगले दिन बदल के फैक्टरी या खेतों के लिए दे दिया जाता है, और खेतों
56:13चाहिए अमिद कुछ कहना चाहिए तो बिल्कुल बिल्कुल मैं आखरी दो किया के अपनी बात खतम करूंगा कि पहला तो कोर्ट पे कि वह बहुत ही जल्दबाजी में गैर जिमेदार आना इस्टिप था मुझे लगता है इसके लिए उनके बहुत समय देना चाहिए दूसरा
56:43तो मैं उमीद करते हूं जितने भी पशु प्रेमी जीव प्रेमी यहां पर होंगे इन तीनों लेखों को सुनके उने मजा आया होगा क्योंकि बहुत कम ऐसा होता है कि एक ही मंच पर तीन एक साथ ऐसे लेखक जिन्होंने जीव और पशुओं के बारे में देखा और हम की का
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