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  • 2 hours ago
आख‍िर क्या हैं 'भारत में भाषा के सवाल', देखें आजतक साहि‍त्य के मंच पर व‍िमर्श

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00:00कुमुद मैं मैं शुर्वात आफी से करूँगा भारत में भाषा के सवाल लेकिन भारत में भाषा के नाम पर बवाल खुब देखने को मिलता है उस पर मैं आऊँगा लेकिन जब हम भाषा की बात करते हैं भारत में विविता है कई सारी बोलियां और भाषाएं बोले जाते ह
00:30लग गया हमको कि आप कहां पहुचने वाले हैं ठीक है लेकिन जहां तक भाशा का सवाल है मैं समझते हूं कि भाशा का सवाल एक बार अग्वी सहाय ने लिखा था अरण जी कभी तक नहीं आया था कि भाशा का सवाल भाशा का नहीं रहा लेकिन मैं समझते हूं कि भाशा का स�
01:00किसी भी देश की जो समधाय उसको बोलता है,
01:02जो जाती उसको बोलती है,
01:04जो समाज उसको बोलता है,
01:07उसके वजूत का हिस्सा बन जाती है.
01:09क्या मैं हमें भाषा को और संस्क्रित को एक करके देखना चाहिए या अलग-अलग?
01:13बिल्कुल.
01:14भाषा आपकी,
01:16हम जिन धाचों में हम भारती अपने को पहचानते हैं
01:21उसमें जो धाचा है भाषा भी है संस्कृती ली है
01:24लेकिन इन में थोड़ा सा आपके समझ लीजे
01:27कि अगर किसी देश की संस्कृती खतम हो जाए
01:30लेकिन भाषा अगर बची रहेगी
01:32तो संस्कृती भाषा के माध्यम से फिर पुनरजीवित हो जाएगी
01:36लेकिन भाषा अगर खतम हो गई
01:38तो आपका अस्तित हो नहीं रहेगा
01:41आप तुमें बहुत महत्वन पदों पर भी है
01:43क्या भविश्य लग रहा आपको हमारे देश में भाषाओं का और बोलीयों का
01:47भाषा और भोलीयों का अगर मैं देखूं कि कई तरह की सोच है
01:57लेकिन हम यह मानके चलते हैं जो मेरा मानना है
02:00कि भारत जो है बहुँ भाषी देश है बहुत सारी भाषाएं है
02:04हम अलग-अलग प्रांतों में बसते हैं
02:07हमारे रीती रिवाज अलग है
02:09हमारा खान पान अलग है
02:10हम अलग-अलग भाशा बोलते हैं
02:12लेकिन अगर आप देखें
02:14तो यहां कोई इस तरह की बात होनी नहीं चाहिए
02:17किसी तरह की
02:18क्योंकि
02:19हर भारतिय भाशा का अगर आप देखें
02:22उसके रचनात्मक स्रोथ की
02:24अगर बात करें
02:25तो हर भाशा का जो साहित है
02:28अपने रचनात्मक स्रोथ
02:30के लिए वो एक ही जगे जाता है
02:31वेद, पुराण, उपनेशित की तरफ हम लोटते हैं
02:35वही पहुचते हैं
02:37है ना, जो कोर है
02:38सांस्कृतिक बोध है
02:40जो है हर भाशा का एक परेका है
02:42अनन सर यहीं से आके बात को बढ़ाते हुए
02:46अच्छा माइक
02:48सर भाशा और सांस्कृतिकों जब एक करके देखा जाता है
02:56तो महारास्ट में
02:58तुम मराठिय ने बोलो
02:59मारखाते वए लोग दिखते हैं
03:01यहां कन्नडा बोलो
03:02मतब अलग-अलग शेत्रों में
03:05वो भाशा को अपनी सभ्यता संस्कृति से जोड़ते हैं
03:08और फिर अक्रामक भी हो जाते हैं
03:11देखे, राजीव जी
03:13पहले तो मैं आज तक का धन्यवाद देता हूँ
03:16कि आपने मुझे यहां इस मंच पर आमंत्रित किया
03:19और आपका भी धन्यवाद की इतने महत्वपूर्ण विसाय पर
03:22मुझे बोलने के लिए आप लोगों ने आमंत्रित किया
03:24आपका जो प्रश्ण है दरसल
03:27यह प्रश्ण उसी मानसिक्ता और मूल से उठता है
03:31जब हम किसी भाषा को छेत्रिय भाषा कहते है
03:34अभी आपने कहा बोली
03:37अब मुझे तो लगता है जिनको हम बोली कहके
03:41स्वाधिन्ता के बाद से लगातार उसको एक अपमानित करते रहे
03:46उस भाषा को जिसको छेत्रिय भाषा कहके अपमानित करते रहे
03:50अभी बहुत सारे लोग हिंदी को भी एक रिजनल लेंग्वेज की तरह देखते है
03:56मुझे याद पढ़ता है गुरुजी गोलवलकर ने लिखा है
04:00कि हिंदी भारत की रास्ट्र भाषा है और अन्य जितनी भी भाषा है
04:06सभी रास्ट्रिय भाषा हैं तो आप जब इसको मान लेंगे
04:10कि जितनी भारतिय भाषा हैं सभी रास्ट्रिय भाषा हैं
04:14तो ना कोई महरास्त से बवाल होगा
04:16ना कोई भाषा को लेके विवाद होगा
04:18लेकिन जैसे ही आप कहेंगे
04:20अरे ये तो तमिल है छोटी सी भाषा है
04:22तो आप फिर आप स्वैम
04:24उसको बांट रहे होते हैं
04:26तो भाषा को बांटिये मत
04:28भाशा लोगों को जोड़ता है और हिंदी राश्ट्र भाशा है इसमें किसी को कोई आपति नहीं है लेकिन साथ ही सब भाशा को राश्ट्रिय भाशा आप माननी पड़ेगी आपको
04:39जैसे ही आप कहेंगे कि हिंदी सिर्फ राश्ट्रिय भाशा है आप लोग तो छित्रिय भाशा है
04:45तो गलत बात है ना ये तो हमें जो स्वाधीनता के बाद से इस देश में बिभाजनकारी शक्तियों ने
04:53और विभाजनकारी राजनीती ने जिस प्रकार से भाशा की राजनीती कर लोगों के अंदर वैबनस्यता का बीज बोया है, हम उसकी फसल काट रहे हैं, आज लोग बोली क्यों बोलते हैं, राजस्थानी क्या भाशा नहीं है, कितनी सुन्दर भाशा है राजस्थानी, आप अ
05:23मान सिकता है भाई मैं तो आपके मंच से बॉलीवड वालों को चनोती देता हूँ,
05:29कि भजपुरी बोलने वालों को और अंगे का मगई वर्जी का बोलने वालों को या अवदी बोलने वाले से आपको आपके यहां अगर उतनी प्रतिवधा हो
05:38तो कर लीजे मुकाबला आके आमने सामने बैठके
05:42आप नहीं कर पाएंगे
05:43क्योंकि आपके पास ना शब्द भंडार है
05:46और आप लोग अभी जिन्जी की बात कर रहे थे
05:48सब लोग ये कहते हैं
05:50जिन्जी बड़े सौट स्पैन में देखते हैं
05:53जिन्जी को नहीं हुआ है
06:13जो जिन्जी को सिर्फ रील देखने वाला स्थापित कर दे
06:16आईसा ही कुछ दिन पहले चलाता कि हमारे युवा जो है
06:20उपॐ हिंदी अंग्रेजी mix पड़ते हूँ वो English पड़ते हैं
06:23मैं उनसे कहता हूँ कोई चुनोति देता हूँ
06:26कि कोई ऐसा सर्वे दिखा दे
06:27दरसल ये लोग युवाओं का अपमान करते हैं
06:31जो ये कहते हैं कि उनको नवी ख्राय हूँ
06:33में आती है नंगरेजी समझ में आती है वो मिक्स भासा समझते हैं अरे अपनी कमजोरी को युवाओं पर क्यों लाते हो भाई मैं सिर्फ इतना कहता हूं भाशा बहने दीजिए भाशा को सुद्धतावादी मत बनाए उसमें महितली के सब्द भी आएंगे हिंदी में ब्रज क
07:03पानी कभी छे महीने रख दीजिए वो गंदा नहीं होता उसमें कीडे नहीं पड़ते वैसे ही भाशा भारत की है जो उपर से चलती और नीचे तक जाती है कितने सालों बाद परक लीजिए उसमें कोई ब्रस्ताचार नहीं होता है तो उसे आप फिर कैसे देखते हैं वह र
07:33अब त्री भासा फॉर्मूला क्या है अब लोगों से पूछिए भ्रह्म फैलाया गया रास्ट्रिय सिक्षा नीति जो 58 पेज का दस्तावेज है उसमें कहीं भी हिंदी सब्द का उलेक नहीं है पूरे डॉक्यमेंट में भारत सरकार इतनी सावधान थी बलकि मैं कहूं कि ड
08:03दूसरे राज्य की भाषा पढ़ाईए और तीसरी एक उनकी मात्री भाषा पढ़ाईए कहा दिक्कत है यह तो वैकल्पिक विवस्था है इसका में नीट के रिजल्ट में बड़ा अच्छा एक इंपक्ट दिखाई दिया था जब शेत्रिय भाषा बोली में आई आई आई
08:33किसी जर्मनी में नहीं आ सकता यह सब भाषा है नहीं है यह सब हुनर है मनुसर अब आपको लाते हैं जैन जी की बात हो रही है आप तो जनरेशन बीटा भी आ गया है भाषा को इस समय आप कैसे देखते हैं और आपने तो कई लेकों का लेकों को की रचनाओं का अलग अल�
09:03पहले तो मैं आज तक संस्ता को नमस्कार करता हूं क्यूंकि मेरे को यहां यह मंच पर बोलने के लिए मोका देने के लिए और आपको भी बहुत बहुत धन्यवाद इसके मैमले में भासा के बारे में मैं एक छोटा सा उदाहन दोंगा आपने सुने होंगे उडिशा के बड
09:33वर मेरे को कैसे अचछा स्टोरी लिखा जाता है उसके बारह में उन्का पास जाता था हर सत्वस्ता में दो तीन दिन दिन लिए जाता था एक स्टोरी मेरा था जो कभी प्रकाशित नहीं हुआ वस तोरी में कश चब था इलाका वह का सब्दध को पकड़के बैठे क्या ऊ�
10:03बहुत बड़ा लंबा शट्स्टोरी निकला एक मागजिन में, मैंने उसको पढ़ा, उसमें भी एक हिंदी सब्दे यूज किये थे, मैंने उसमें एक रेड लाइन दिया, और छूटी के बाद उनको दिखाया कि आपने तो खुद यूज किये हैं, तो उसने मेरे को बताए कि
10:33करता है, मशज़ बिख वह निखितात है. मगर ह हासा कर लेיות का नहीं है, निखनी सोटा पालाइश क मरता है, मलें मेरे कह लिएचे हैं, जा 새 मैं प्रमनुदास जू कह रह р जा है, औरुमनीकेट ज़रूर कर शकता हैं रिटो कर घनी, को पड़तां है।
10:51तो मेरा कहने की नहीं है जैसे वो बोल रहे हैं तो उनके लिंग भेद हिंदी वालों को इसमें बिशेश सतर कराना पड़ेगा कि इनका मजाख न उड़ाएं
11:01मैं सोचल मीडिया पर यह देखता हूं कि जो गईर हिंदी बाशी लोग हिंदी में लिखने का परियास करते हैं उनको हिंदी की जो सुधतावादी हैं जो प्यूरिटल लोग हैं वो कदेरे इसमें तो लिंग बेद्या रहे उरिया में लिंग बेदी नहीं है मुर्ख
11:15भाष्य कोदम पासा का मतलब क्या है? बहाष्य का जाती का प्रंपरः को केरिकरता है
11:30अगर एक दिन मान लिजे आपका घर में कोई नहीं बात करेंगे
11:36आप एक दिन कोशिश करिये आप घर में 6-7 आडमी होंगे
11:39तेन चार आपका बच्चे लोग, हजबेंड वाइफ, माता जी, पिता जी और आपका जो घर में जो सहयत करते हैं,
11:47वाज़पर, हजब रापका में जो पिता जो में जो सहयता है जो खिर बाता है जो हैम्टील, मिला जो खिर यह दो GO एचगे करेंगे चार मेरे अट्या सब एकपा जो सहसा है।
12:14पहिना हुआ है, मकर आदमी तो तारो है, it is a just, and we are giving, वो जो ड्रेस को ज्यादा
12:19इंपोर्टांस दे रहे हैं, बड़ी को दे रहे हैं, आत्मा को नहीं दे रहे हैं, भासा का माध्यम में, शाहित जो जाएगा, वो आत्मा को जाएगा, ये कोई भासा में लखा हो, दुसरा भासा में और एक उडिशा के बारे में बता रहो हूँ, आपने जैसे मेरे को अनु�
12:491936 एप्रिली पहला में, तो यो जो भासा में 62 ट्राइवल लंग्वेज है, उसमें कुछ मौखीक है, कुछ लिखीत है, आपके अभी का जो महामाहीम है भारत के स्रीमती द्रवपोदी मुर्मून में, वो एक संतली भासा का बिलंग करते हैं, तो उसी भासा को छोड़के, �
13:19अज़ भासा का जो हमारा भासा के से मरती है, मैं आपको बताता हूं, कि 1961 में, जब संस उबाता भासा के बारे में हुआ था, हमारा था, कुल भासा के संख्या था 1652, 1652, जब यह आगया, डस्षल के बाद पुनर्बार संस उबा, उसमें हमारा भासा रहा, 108,
13:471540 भासा का मोत हो गया
13:51हटा दिया गया
13:53चक्रन्त करके तदकालीन सरकार ने
13:561971 में ये भासा को सेंसर से नहीं लिया
14:00क्योंकि ये भासा बोलने बाले
14:03जो लोग थे
14:06वो 10,000 से काम थे
14:08इसी करन से वो 1544 भासा को हमने निकाल दिये
14:17उसको निकालने के बाद क्या हुआ
14:19क्योंकि हमारा अपना संस्कृति को बाइठे
14:23मान लीजिए आज जो अडिशा में जो अदिवासी लोग है
14:26हम लोगों का साथ संपर्क नहीं है
14:28क्योंकि वो हमारा भासा नहीं जान पाते है
14:31हम उनका भासा नहीं जान पाते है
14:32उनका साहित भी नहीं जान पाते, सिर्फ गोपिनाथ महांती को छोड़के, परजा और अदिवासी को साहित का उपर में करने के बाद, दूसरा के बारे में इतना ठोस साहित भी नहीं हुआ है, तो यह जो हुआ है, यह बड़ा दुख़द है, और उसके बारे में पुनर बि�
15:02लंग्वेज है, मगर उड़िया का साथ उसका कोई आलोचना करना, उसका उनर में सामंजस्य और उसका बीभेद, उसके बारे में, या ग्रामार के बारे में, बैकरन के बारे में, जो पढ़ाई करना, वो आज तरक नहीं हो पाया, जो करना चाहिए.
15:18मैं, आप तो अलग-अलग सरकारी सम्मितियों में रहे हैं, जहां से नीतिया बनते हैं, तो भाशा को बचाने के लिए, समरिद्ध करने के लिए, विस्तार करने के लिए, क्या क्या कर रही है, सरकार.
15:31पहले तो मैं दूसरी बात करना चाहूंगी फिर आपके बात पर आऊंगी
15:35जो भाशा को लेकर के बार-बार ये होता है कि विरोध होता है या विवाद होता है
15:40मैं आपको बता दू मैं महराश्ट में अभी नौ महीने पहले गई हूं
15:43पहले शायद मैं दूसरे तरीके से सोचती थी
15:47और मैं जिस विश्विध्याले में हूँ
15:49महात्मा गांधी अंतराष्टे हिंदी विश्विध्याले
15:51वहाँ 15 से जादा राजियों के विद्यार्थी पढ़ने आते हैं
15:56और मैं बता दू कि उन राजियों में पुर्वोत्तर भी है हमारे हाँ
16:01वहाँ की विद्यार्थी हिंदी में पढ़ने आते हैं
16:03आप सूचिए
16:04महराश की लोग जो माराथी भाशी वो हिंदी में पढ़ते हैं
16:07कहीं कोई विरोध नहीं
16:08महराश में मैं जितनी जगे पे गई हूँ
16:10कहीं मुझे पब्लिक में
16:13सामान इस तर पे
16:14बाजार में
16:15कहीं और किसी विद्याले में
16:17किसी शहर में
16:18किसी छोटी जगे पे भी गई हूँ
16:20कहीं मुझे नहीं दिखाई देता कि मैं हिंदी बोलती हूँ
16:22तो लोग नहीं समझते हैं, आम उससे हिंदी में बात नहीं करते हैं, तो जो विरोध है, वो सामाने जनता में नहीं है, विरोध के और दूसरे कारण है, विरोध के कारण पूरी तरह से आप समझ लिजे कि राजनीतिक नहितार्थ है, चाहे वो दक्षन भारत हो, चाहे और प
16:52आपकी देश की जो एक भाषा उसकी अपनी पहचान होती है, यह ठीक है कि हमारी बहुत सारी भाषा है, हम सब का सम्मान करते हैं, लेकिन भारत की बाहर जो छवी होगी, तो भारत को एक भाषा चाहिए, जिससे कि वो बहुत उसकी पहचान हो, हम लोग, देखे, हमारी आठव
17:22नमस्कार और धन्यवाद सीख लें, और एक दूसरे से इस तरह का व्यभार करना शुरू करें कि उनसे जब मिलें तो उनकी भाषा मन को धन्यवाद देया, नमस्कार करें, इतना भी सीख लें हम, मैंने शुरू कर दिया है वो सीखना, मैं बोडो में जो है गोजन फुमली �
17:52क्यों हम, हम मैं कहती है, हम जो टीचर है, हिंदी के जो सिक्षक है, उनके पर बहुत बड़ी जिम्मेदारी है, हम हिंदी के सिक्षक तो बन जाते हैं, हम हिंदी की रोजी रोटी तो उससे कमाते हैं, हमारा घर तो उससे चलता है, लेकिन हम हिंदी का सिक्षन तो करते हैं, �
18:22कि उत्तर प्रदेश में, अभी कुछ साल पहले की बात थी, आप लोगों ने भी शायद वो खबर सुनी होगी कि इंटर इमिजेट और हाइज स्कूल में आठ लाग के आसपास बच्चे इसलिए फेल हो गए कि वो हिंदी में फेल हो गए थे, उनकी मात्रभाशा, जादा तर �
18:52जो गर्व का भाव होना चाहिए, वो हम पैदा नहीं कर पाए, हम अंग्रेजी के प्रती तो उनके मन में मुहासक्ती पैदा कर रहे हैं, वो हमारे सरके उपर चड़ करके बोलता है, उसका जो मोह हिंदी, अंग्रेजी का.
19:05अरण सर्थ, यही सवाल को आगे बढ़ाता हूं, मैं कि जब अंग्रेजी का प्रभाव इतना जादा है, कि आपको नौकरी करनी है, आपको पढ़ाई करनी है, तो आपको उस भाशा क्या आवशकता है, मतलब आपको जाननी ही जाननी है, पढ़ाई करते हैं, तो ऐसे में ज
19:35देखिए, मैं तो यह जानता हूं कि भाशा को किसी भी सरकार की मोहताज नहीं होती है, भाशा संरक्षित सरकार का करने का दाइत वही नहीं है, क्या आज हिंदी क्या किसी सरकार की मोहताज है, क्या तमिल किसी सरकार की मोहताज है, हम, आप सब लोग गाहितरी मंदर में कभी
20:05जग सुद्रेगा
20:06हम अंग्रेजी बरतेंगे और उमीद करेंगे
20:10कि अनन्त विजय हिंदी को संदक्षित कर दे
20:12क्योंकि वो फलाने विसुविद्याले का कुलपती है
20:15हम अपने बच्चे को कहेंगे
20:18बेटा फिंगर से मत करो
20:21है ना
20:22हम उंग्ली नहीं बोलेंगे
20:24क्योंकि हमें शरम आएगी
20:25लेकिन हम कहेंगे कि सरकार हमें
20:28बता दे किताब में कि फिंगर
20:29मतलब उंग्ली होती है
20:31अरे जब बच्चा पैदा होता है
20:33तो मा के होट के
20:35मुव्मेंट से वो भाशा सीखता है
20:37कि मा के होटों का
20:39मुव्मेंट कैसे होता है
20:40जो भाशा बच्चे के साथ
20:44मा के नाभिनाल से
20:45जुड़के आ रहा है
20:46उसको आप काट के अंग्रेजी थोप रहें
20:49हिंदी कोई नहीं थोपता
20:51थोपा तो अंग्रेजी गया
20:52हमारे यहां आजादी के बाद से
20:54और एक ऐसी विवस्था
20:57बना दी गई
20:57कि बिना अंग्रेजी के आपका काम नहीं चलेगा
21:00मुझे अंग्रेजी नहीं आती है
21:02लेकिन मेरा काम बहुत आसानी से चलना
21:05और मुझे गर्व की अनुभूती होती है
21:07जब हमारे देश का प्रधानमंत्री
21:09वाइट हाउस के भोज में
21:11खड़े होके हिंदी में बोलता है
21:13और अमरीका का राष्टपती और उनकी
21:15पत्नी ट्रांसलेशन मसीन लगा के
21:17उनके बाशन को अंग्रेजी में
21:19सुनती और समझती है
21:22पर एक जमाना था
21:23याद करिए जब अटल जी यूएन में
21:25गए थे तो हमने पूरे आठवी
21:27से लेके ग्यारवी कक्षा तक में
21:30ये जीके का क्वेशन
21:31बन गया था कि भारत के
21:33किस विदेश मंत्री ने संयुक्त
21:35राष्ट में हिंदी में बाशन दिया
21:37इस देश की विडंबना
21:39देखिए कि जिसमें हिंदी
21:41बोलने वाले 60 करोड
21:43से अधिक लोग हैं वहाँ ये
21:45जेनरल नौलेज का क्वेशन होता था
21:47कि भारत के किस विदेश मंत्री
21:49ने संयुक्त राष्ट में हिंदी में
21:51बाशन दिया अब कोई पूस्ता है
21:53क्योंकि
21:55सारे लोग हिंदी में बोल रहे हैं जाके
21:57तो मैं हमेशा
21:59ये बात कहता हूँ कि
22:01कोई भी चीज उपर से आती है
22:03समाज में जो बड़े लोग हैं
22:05उनको हिंदी को बताना पड़ेगा
22:08और हिंदी कोई कठिन भाशा नहीं है
22:10और हिंदी को लेके
22:12कुछ लोगों ने बड़ा भरम फेलाया
22:14लोग दंड गोल पिंड धाल पकड प्रतियोगिता
22:18क्रिकेट का अनुवाद कर दिया
22:19मैं कहता हूँ भाईया किस डिक्सनरी में है
22:22लोपत गामिनी किस डिक्सनरी में है
22:25कोई शब्द कोस तो बता दो
22:27हरदेबारी से लेके ग्यान मंडल तक के
22:30शब्द कोस देग गया किसी में
22:32यह अनुवाद नहीं है
22:33तो अब अगर धुम्र दंडिका बोलेंगे
22:36तो जेंजी को समझी नहीं आएंगा
22:38आप सिग्रेट लिखो ने
22:40क्या दिक्कत है उसमें भाई
22:41अंग्रेजी को मत अपना लें
22:43अंग्रेजी को मत अपना ओ
22:45मैं यह कह रहा हूँ
22:46जो भारतिये भाषाओं में शब्द है
22:49पहले उनको लेने का प्रियास होना चाहिए
22:51जैसे बस स्टेंड
22:53हमारे सामने बड़ी समस्य आती है
22:55कि स्टेंड का क्या लिखें
22:56अगर हिंदी में कोई शब्द नहीं है
23:06और वो उड़िया में बहुत अच्छा शब्द है
23:08तो उड़िया का सब्द उठा लिजी अपने में
23:10अंग्रेजी तो कभी नहीं घबडाती इसमें
23:13जिस अंग्रेजी को आप आधर्स मानते हो
23:16उसके शब्द कोश में अगर पाच शब्द जुड़ते हैं
23:19तो अखबारों में बैनर छपता है
23:21अभी भी छपा है
23:22कि आक्सफोर्ड ने ये पाच शब्द जोड़ लिए
23:25जंगल यूज करते हैं
23:27बंदोवस्त यूज करते हैं
23:28राज यूज करते हैं
23:29सब अंग्रेजी के शब्द होगे
23:31हिंदी वाले शुद्धतावादियों को
23:34पता नहीं क्या दिक्कत है
23:35दूसरी भाषा के शब्द लेने में
23:37और यही नाश करते हैं
23:40हिंदी के शुद्धतावादी
23:41हिंदी के नाश के लिए
23:43सबसे बड़े जिम्मेदार है
23:44बच्चों को
23:47जिस भाषा में हिंदी
23:49समझना चाहते हैं
23:51मैं जेंजी के चक्कर में नहीं पढ़ता
23:53क्योंकि जेंजी आज कल राजनीतिक टर्म हो गया है
23:55मैं कहा रहा हूं इनकी जो भाषा है
23:59उसमें समझने दो उनको
24:00वो अगर मराठी बैक्ग्राउंड से आ रहे
24:03और मराठी में हिंदी समझना चाहता
24:05रहे इसका बॉली हुट से बढ़िया
24:07उदारन ही कोई नहीं है भाई
24:08एक तरप आचारी पंडित नरेंचर्मा
24:11जोती कलश छलके लिखते हैं
24:13और वो भी हिट होता है
24:14और पाटी अभी बाकी है
24:16चार बज गए है वो भी हिट होता है
24:18दोनों हिंदी है
24:19तो अगर आप हिंदी की व्यापती
24:22चाहते हो तो समीर अंजान को भी
24:24रखना पड़ेगा और पंडित नरेंचर्मा
24:26को भी रखना पड़ेगा
24:27किसी को आप हाशिये पर मट डालो
24:30तभी हिंदी की व्यापती होगी
24:32मनुसर हमेश विकार करना होगा
24:34कि अब मजबूरी बन गए है
24:37अंगरीज जैसा कि मैं जिक्र कर रहा था
24:38तो जब कोई एक भाशा आपकी मजबूरी बन जाए
24:42तो ऐसे में आपको लगता है कि
24:57इंडिया जो भारत है भारत है कि मल्टी कल्चराल और मल्टी लिंग्वाल देश है
25:03यहां पर जैसे स्पैनिश बले या प्रेंच या रोश्यान जैसे देश में
25:09वो एकी की भासा बोलते हैं
25:13इससे नहीं चलेगा हमारा इसे भी तो हमारे
25:16इसके इलावा भी साइकोड भासा है सारे भारत में लोग बोलते हैं
25:25तो भासा को जो एक सुचेगा कि अंग्रीजी के इलावा और अफस्ट हो जाएगा
25:34तो यह तो उन संस्कृति का सत्यानास करता ही रहेगा
25:39क्यूंकि मेरे को याद पढ़ता है उदियन स्टाइन एक बार बोले थे
25:44इफ यू लिमिट यूर लंग्वेज यू लिमिट यूर वर्ल्ड
25:49अप अपना खुद का जो बिष्व है प्रिथिवी है उसको आप शिमा बद्द कल लेंगे
25:54बिष्व का मतलब नहीं की होल वर्लॉप मतलब सारे चीज उसमें आता है समढ़ जाता है
25:59आपने कोई एक ही हिंदी ओके आज लोग तो सारे लोग को बात कर रहे हैं अंगरी जी भाष्रक का बारे में उसका
26:09कवलनिय बी को पर बली जो बहुन भाले ऐसको बोलते हैं मघर एक जमाने में आमारा उपर में उर्दू थोपा गया था आज तो उर्दू को जब अब आद Gul किए उसको नाग उवाध।
26:34दर में एक ही है, आपकी पूजा पद्धती अलग अलगे बाई, वैसे उर्दु हिंदी एक ही है, उनके लिखने का तरीका अलगे आपके लिखने, ये गनेश एंकर विद्यार्थी ने का है, तो मेरा कहनी के मतलब आपने, जैसे अनन जी बहुत अच्छा बात बोले हो नाइ�
27:04कि I write in the language I dream, मैं जो भाषा में शोपन देखता हूँ, पहले था मात्र भाषा, अगर आपने मात्र भाषा का मतलब आपका मादर फ्रेंच है, और आप फ्रेंच लेकरे कोई दिक्कत नहीं है, क्यूंकि आपका विश्वासनियता और विश्वस्तता वो जो आपका फ्यत्फ�
27:34मैं बात इसा है, मैं दोनों भाषा में देखता हूँ, कम से कम उडिया और अंगरीजी दोनों में, क्यूंकि मैं दोनों में लिखता हूँ, तो इसी करण से मैं दोनों में देखता हूँ, कभी कवार, और इसे भी माई मदर और फादर बोथ हार उडिया, तो उसमें कोई बा
28:04अब बता ही एशाइए बात इसा देखिए में जो भी अंगरीजी में लिखता हूँ वो इंडिया इंग्लीश में बिटिश इंग्लीश तोड़ी लिख रहा हूँ इंडिया में अंगरीजी भी तो एक लंग्वेज है इडिज आपका अरुनाचल प्रदेश तो स्टेट लंग
28:34करते हैं खुलम खुला वहाला कि अब बोले कि थोड़ा कंधा उठा के बात करते हैं वह अलग चीज है वह करने दीजिए मगर जो अच्छे चीज को वह अगर हिंदी में हो मैथिली में हो या उडिया में हो या अंग्रिजी में हो मैं उसको लाइक करता हूँ क्योंकि मेरे क
29:04यह भासा कोई डिक्कत वाली चीज नहीं है.
29:07कुमुद में, क्या आपको लगता है कि अंग्रेजी जादा उदार है, सहंचिल है, उसके सामने नयाशाव दाता है, उनके पास नहीं, एक्सेप्ट कर लेते हैं, और उसी के साथ आगे नदी की तरह बहे चलते हैं.
29:19अंग्रेजी उदार है, हिंदी उदार, मैं तो कहूँ कि हमारी हिंदी बहुत उदार है. हिंदी ने अर्भी, फार्सी, अंग्रेजी के शब्दों को भी पचाया है, और आज भी पचा करके वो आगे बढ़ रही है. और हिंदी, मतलब, मैं कहे तो इसकी पाचन शक्ती भहत म�
29:49हिंदी को जकड़ेगा, तो उसकी चिंता मैं जरूर करती हूँ. क्योंकि किसी भी भाशा की जो स्वाभाविक्ता है, गरिमा वो खतम नहीं होनी चाहिए. मैंने ये भी वाग के सुना है, मतलब, अंग्रेजी का मौ कैसा आपके सर पर चढ़ कर बोलता है, किसी लाइबरेड
30:19अज भी वो उदार्ता का प्रदर्शन कर रही है.
30:49कि संयुक्ता अक्षर पंजाबी में कर दो, राजेंदर नहीं हो सकता, वो रजेंदर ही होगा पंजाबी में. उर्दू में वो ब्रह्मन नहीं हो सकता, वो बिरहमन ही होगा. उर्दू में वो धक्षिन नहीं हो सकता, क्योंकि अक्षा नहीं है, उनके पास वो धक्षा नही
31:19आरित करेगा उसका उपयोग अगर हम उडिया के चब्द लेंगे तो क्या आप यह सोचते हैं कि हिंदी में जब प्रियोग करें तो वो उभैलिंगी हो जाएगा नहीं होगा उसका लिंग निर्धारन हिंदी के व्याकरण के हिसाब से होगा अगर हम मराठी के शब्द लेंग
31:49अगरन और विन्यास के हिसाब से उसका उपयोग होगा मैं इसलिए कहता हूं मुझे सुधतावादियों से यही दिक्कत है कि हिंदी के शब्द लो नुक्ता लगा दो अरे क्यों लगा दे नुक्ता भाई हिंदी में कहां से आगया नुक्ता कोई वर्नमाला मनोहर पोथी ज
32:19आनन जी लांगवीज विरीशन तो आप देखे कि हम स्विकार कर चुके है एँ छिटरी भार्शाओं में खूब आप जो शब्दे एखी शब्द जो है हम लोग ठीक है बोलते हैं लेकिन महराश में जाते हैं तो बोलते हैं बोरबबर हम तो हम मानते हैं लांगवीज वरी�
32:49तो भी आप बोलते हैं, उसको शुद्ध ही बोला जाना चाहिए या नहीं?
32:52नहीं, भाषा देखें, भाषा हमेशा बदलती है, भाषा बहुत कुछ, भाषा जो है, ठीकी काग्या बहता नीर है, नदी का प्रवा है, और नदी जब बहती है ना, पानी जब बहता है, तो बहुत कुछ छोड़ता है, बहुत कुछ अपने में लेता है, जोड़ते भी बी �
33:22प्रभाव को भी ले रही है और लोक भाशा लोक भाशा के शब्द भी उसमें आ रहे हैं तो मैं ऐसा नहीं है उसका भी स्वभावा बदल रहा है इसी सवाल को
33:33क्योंकि आज मैं अगर अपनी भाशा देखूं मैं दिली में आई थी 1981 में उस समय ये सोशल मीडिया नहीं था और ये मेरे पास मुबाइल इस तरह के आया ही नहीं था तो अगर मैं उस समय अपनी क्लास में जो पढ़ाती थी अगर मैं उस व्याक्यान को रिकॉर्ड कर पाती �
34:03यहीं सर मनु सर कि भाशा समय के साथ बदली है जैसे कि मैं हम करें तो इसे कैसे दिखा जाए समरिथी की रूप में पतन की रूप में दो दारण दूँगा जैसे कि मैं हिंदी भाशी में अंचल में कुछ सालों से पहले काम करता था वहां पर एक शब्द आया पारदर्शी
34:33मगर उडिया में उसका एक्सपर्ट वो फलाना माथमेटिक्स में पारदर्शी एकदम पारदर्शी है हां पारदर्शी तो देखिए वही ऐसे आठ दौस भाशा निकला जो मैंने देखा कि इसका साथ कोई तालुकात नहीं मागर वहां बेवार और हमारा बेवार में अंध
35:03जास्ट इमाजीन तुम गुषा दिलाते हो नहीं बोलके वो अडिया में बोलता है तुम मेरे को गुषा दिला उचु तो मैंना कहिनी के मतलब मम्मी समझ गया मैं भी संज आ और उसका कोई एलाज नहीं क्यूंकि हमने पहले से गल्ति कर चुके ही उनको अंगरीजी मीडिय
35:33ज� הז thay America का यही आपस्ता हैर।
35:37नमपने को बताइब अंग्रिजी जए पढ़ें जए थे स्कूल में जए हें।
35:44कितिने बच्चे अच्छे अंग्रिजी राइटर बने हैं।
35:48मुल्कुरा जानंद बता हिए कि या कोई भी बड़े बड़े राइटर को बता हिए जो नमीता गुखले हमारे जो अभी जाइपूर में यो कहां पढ़े थे और साइन्स बढ़ा है उनकी फॉर्मल एजुकेशन भी नहीं हुई अब मैं वही बोला हूँ वही बहुत मैं बह�
36:18एक बात और मैं कहना चाह रहा था एक भाशा के सवाल पर मेरा बहुत टॉपिक है संस्कृति की बात आई थी आपने शुरू में उठाया था और दो तीन चीजों ने बहुत नाश किया है भाशा का उसको बच्चों को समझना चाहिए जैसे बच्पन से हमें यह बताया जात
36:48एक संस्कृति का देश हमारी संस्कृति एक हैं जहां हम विविधता का उत्सब मनाते हैं वह हमारे पास बहुत सारी अलग-अलग चीजयं हैं हमारे में लेकिन कल्चर हमारा एक है पूर एक कश्मीर से लेकर कर्ण कुमारी को फेस को प्ल्चय कर्चर Б iayana करैसा को सरिबिए
37:18अजाद भारत के बाद मैं नाम लेके बोलूंगा भी कुछ साहित्यकारों ने भाशा में अनाधिकार प्रवेस किया
37:28साहित्यका मतलब भाशा नहीं होता है हमारे यहां यह मान लिया जाता है कि जो भाशा का प्रस्ण है उस पर साहित्यकार ही विचार कर सकते
37:38अब नामवर सिंग की एक किताब है, अपवरंस में, हिंदी साहित्य के विकास में, अपवरंस का योगदान, अभी उसका एक पंक्ती कोट कर दूँगा, मैं दास साम नाराज हो जाएंगे, नामवर सिंग ये लिखते हैं, कि उडिया जो है, वो मागधी से निकली है, अब आ�
38:08भाषा के प्रस्ट में, भाषा ओल टुगेदर एक अलग विज्ञान है, उसका साहित्य से कोई लेना देना नहीं है, लेकिन जो साठ के दसक में, जिसको साठोतरी पीडी कहते हैं, उसमें जब वामपंतियों का दबदबा साहित्य पर पढ़ा, तो उन्होंने भाषा और सा
38:38तो हम कहेंगे, अरे यार ये बड़े अच्छे उपन्यासकार हैं इनको बुला लो, अरे भले आदमी उनका भाषा से क्या लेना देना, उनकी भाषा अच्छी हो सकती है, लेकिन भाषा के विज्ञान को समझने में उनको महारत हासिल हो, ये आवस्चक नहीं है, और नावर
39:08आपसे चर्चा थी, तो मैं उसको पढ़ रहा था, मैंने का चलो मनुदास को ये मंच पर बताऊंगा सर को, कि उडिया जो है, वो मागधी से निकली और मागधी का दुरभाग्य देखिए, उडिया भाषा है, और मागधी में चारी बोली है, अगर हम नामवर सिंग जी को म
39:38वो अबिचारा मगध के छेत्र में इतने बड़े छेत्र में बोला बोली बनके, अभिशप्त है, उनमें उनका कुछ नहीं हो पारा है, जैसे आपने नामवर सिंग साब का बात के एक मिनिट में बताता हूं, ये नामसरी, नामवर सिंग साब का बार में बता है, मैं एक किस
40:08कोई उनको पूछे हैं एक बाग कि आपने तो सारे लोगों का बारे में एशा लिखे हैं यह जो सर्वदयल शाक्षणाजी का बारे में कुछ नहीं लखे हैं
40:19सर्वेश्वदयल शाक्षणाजी के बारे में कुछ नहीं बोले
40:23अरे वह क्या है यह बहुत लड़ जाता है अच्छा लख लिखाता आछा है लड़ जाता है बहुत लड़
40:30इसे करां से नहीं लिखते उसके बारे में यह है वो लोगों का honesty and integrity of the critics
40:35तो मेरा केनिंग को मतलब है उनको में बहुत ज्यादा तबज्जु नहीं दे रहा हूं तो वो क्या लिख दिये तो उसका लेखने में कोई फरक नहीं पड़ता है उडिया भासा 1936 में पहला बार भासा के बार में बलाना पहला भासा को लेकर प्रदेश बनना ये उडिशा प
41:05सिर्फ एक पंक्ति से विवाद हो सकता है और दो भाशा के बीच में कटुता हो सकती है इसलिए मैंने नामवर सिंग की उस पंक्ति का उद्धरन दिया है अरे अगर उसका वहाँ पर कुछ है आप वग्यानिक तरीके से इसको स्टैबलिस कर सकते हैं तो आप उडिया के वि�
41:35कोई उपन्यासकार विद्धान ही वह यावश्यक नहीं है बाई
41:47बाद सी जो है बहुत दूस्त तरफ चली गई और मुझे लगता है कि बहुत जरुरत है कि हम भाशा परिवार को जिस तरह से वर्गी करण किया है उसको पुना देखने की भी जरुरत है आनन जी
42:01मैं इसमें एक चीज़ आइड करना चाहूँगा कि एक स्रेश्टता का भाव हमें दिखाई देता है कि हमारी भाशा ज्याद अच्छी है तो ये स्रेश्टता का भाव आपको नजर आता है?
42:10स्रेश्टा का भाव मुझे तो नहीं नजर आता कि हमारी भाषा जादा अच्छी मैंने का ना कि वो सारा जो कि हिंदी के को लेकर के जो विरोध है हमारी भाषा स्रेश्ट है
42:22दक्षिन भारत की भाषा है या कोई और भाषा
42:24तो ये राजनेतिक द्रिष्टी से ओड़ी गई
42:27सायास ओड़ी गई मुद्रा है
42:29और अगर आप जाएं
42:33दक्षिन भारत में आप जाएं
42:34कहीं भी आप घुम आईए
42:36कोई विक्ति आपको ऐसा नहीं मिलेगा
42:38जो हिंदी नहीं समझता है
42:39और अगर ऐसा होता हिंदी विरोध होता
42:42तो दक्षिन भारत हिंदी प्रचार सभा
42:441918 से उसका अस्तित्व है
42:47खतम हो जाती है
42:49आज तक उसकी जड़े बहुत गहरी होती चली जा रही है
42:52तो उसका अस्तित्व नहीं रहता वहाँ पे
42:55कैसे टिकी हुई है वो
42:56मातमा गांधी ने बनाया था
42:58तो ऐसा विरोध है नियाब जाईए
43:01वहाँ का किशोर, वहाँ का युवा
43:04वहाँ के बड़े सब हिंदी सीखना चाहते है
43:06उनको मालूम है
43:07कि आज का जो समय है
43:09अगर उनको अपने प्रांच से बाहर निकलना है
43:11तो हिंदी तो सीखना पड़ेगा
43:12हिंदी सीखे बिना उनका गुजारा नहीं होगा
43:15और दूसरी चीज़ है कि
43:16बाजार ने हिंदी का बड़ा हिद किया है
43:20एक समय था जब ग्लोबलाइजेशन आया
43:23तो सबको बड़ी चिंता होई
43:24कि ग्लोबलाइजेशन की जो आंधी है
43:26वो हमारी भाषवा संस्कृति को उड़ा के ले जाएगी
43:29भाषवा संस्कृति का अपरण हो जाएगा
43:30लेकिन हुआ क्या
43:32लोगों ने कहा
43:35जो जनलिस्ट है
43:37अनन जी, मेरे मीडिया के
43:39बहुत सारे मित्रों ने कहा कि
43:40देखो, राजभाषा बन करके
43:42हिंदी घुटनों के बल चल रही थी
43:44और बाजार
43:46ने हिंदी को जमा दिया है
43:49नभाय टाइंस ने भी एक
43:51लेक निकला था
43:53एडिटोरियल की
43:54बाजार में हिंदी ने अंगत की तरह
43:56पैर जमाल ये है
43:57तो मैंने अपने मीडिया के मित्रों से कहा
44:00कि सुनो तुम लोग कहते हो कि
44:01मीडिया की वज़े से हिंदी बढ़ी
44:03मीडिया की वज़े से हिंदी नहीं बढ़ी
44:05हिंदी की ताकत से मीडिया बढ़ा है
44:08तो ये हिंदी की ताकत है
44:10हिंदी की शक्ती हिंदी की सामर्थ है
44:12वो प्रभाव दिखता है से न में
44:14सोशल मीडिया पर भी आप
44:16हिंदी न्यूस चैनल
44:18की जो रीच है अंग्रेज
44:20भी बहुत पीछे रह जाती है आज भी भारत में
44:22सोशल मीडिया पर भी डिजिटल भी हम
44:24दिखते हैं कि बहुत उसका प्रभाव है
44:26देखिए हिंदी हमेशा
44:28से प्रभाव शाली थी
44:30है और रहेगी
44:32हिंदी को अंग्रेज
44:34और मुगल तो कुछ करनी पाए उसका
44:36गुलाम बना के ले गए
44:38हमको हम अपने साथ भाशा भी ले गए
44:40और छठ का पूझ पर भी ले गए
44:42आज अगर छठ वैस्विक हो गया है
44:45तो याद करिए क्यों भाई
44:47आपके ने गिर्मिटिया के तोर पर आप हमको
44:49ले गए थे गुलाम बना के आप वो
44:51भूल गए उस समय की यह जो
44:53व्यक्ति पलायान होता है जिसका
44:55वो अपने साथ अपने संसकारों को भी
44:57ले कर जाता है
44:58तो भाषा हमेशा से
45:01हिंदी की मजबूत रही हाँ बीच बीच में
45:03जो लोग जो विचार और विचारधारा
45:05प्रभावी हो जाते हैं वो
45:07नस्ट करते हैं जैसे खास तोर पर
45:09वामपंथियों ने किया
45:11मेरा प्रिय वीशे कवामपंथियों ने
45:13यह बताया कि भाषा जो है
45:15यह छोटा बड़ा यह कहां
45:17से आगया भाई जाँ से आगया
45:20कहां आप
45:21तो हिंदू हिंदू हिंदूस्तान की
45:23प्रताप नारायनिमिस्र ने बात की और आप
45:25ने कहा संग बात करता है इसकी अरे प्रताप नारायनमिस ने 1876 में ये कविता लिखी थी भाई तब हिंदी हिंदु इंदुस्तान तब राष्टी स्व्यम सेवक संग की स्थापना नहीं हुई थी
45:36क्यों आप इसको जोड़ते है भाई हमारी संस्कृति सनातन है उसमें एक सातत्य है वो सनातन संस्कृति जिसमें सातत्य है
45:48वही भारत की संस्कृती है और वही भारत की भाषा है जिसमें वो सातत्य का प्रकटिकरन होता है वही हमारी भाषा है और ये भाषा भारते थिक काकुमुची ने आप पुराने जमाने की पत्रिका देखिए उसमें स्पेलिंग, हिज्य, व्याकरन सब अलग है तो सब चीज प
46:18और नब्बे के दसक में ये कह नहीं सकता था कि वामपंथियों ने हिंदी का नाश किया, मेरी साहितिक हत्या हो जाती, आज मेरे अंदर ये सहस है, तो ये परिस्कार है, ये ये लोगों का डेमोक्राइटाइजेशन आफ थॉट्स है, आज कलम जंजीरों में बंधने का प्रय
46:48मतलब प्रयास किया गया था, मैं सिर्फ इतना कहना चाहता हूँ, भाशा को बैता नीर है, उसको छोड़ दीजिए, उसके घाट बनाने का प्रयास मत करिए, भाशा को आने दीजिए, खुले भाहों से स्वागत करें, जैसे वो मोहन राकेस किये ना, भलाने रात की बाहों म
47:18मैं प्रचार में गया था, एक बार देखने मधुरै के इलाके में पोस्टर लगे थे, DMK के आब बताएं मधुरै के इलाके में हिंदी वोटर है, तो उनको लुभाने के लिए हंधी में पोस्टर लगेंगे, अभी आधे, यसे तेलांगाना के मुख्यमंतरी, बिहार चु
47:48मैं कहता हूँ भाशा को राजनीती से बिलकुल दूर रखना चाहिए भाशा भाशा विज्ञानियों का है भाशा हमारी और आपकी है राजनेताओं को इससे जितनी दूर रखेंगे उतना इसमें कम से कम संक्रमन होगा
48:02मनुसर आपकी नजर में भाशा का दुश्मन कौन है भाशा का दुश्मन खुद आदमी है अगर वो बात नहीं करता है नहीं लिखता है और नहीं बोलता है भाशा अपने आप मर जाएगा अगर आपने घर में अपना भाशा में बात नहीं करेंगे
48:20आप लिखेंगे, पढ़ेंगे और बोलेंगे, भासा को कोई माय कालाल कुछ नहीं कर सकता
48:29ओडिशा में क्या प्रभाव आपको दूसरी भासाओं का कितना दिखाई देता है या फिर आपको लगता है
48:34हिंदी थोड़ा थोड़ा रेता है अंगरी जी बहुत कौम रेता है ओडिया ज्यादा तरिक क्योंकि ओडिशा का मानुचित्र या राजनेतिक परिष्टितियां थोड़ा अलाग है
48:46नाइटीन सेंचुरी का लास्ट पार्ट में हम लोग जब बेंगली का ज्यादा इंफ्लूएंस था अरो हलाकि बहुत सारे बेंगली राइटर ने उडिया भासा को संब्रत किये हैं जैसे गरुष्ण कर राया है जिसके बिना उडिया भासा का परिकरपना आज जोस्तिति म
49:16वह आके समझाते थे कि आप लोगो ओडिया छोड़ दीजिया और बंगला में जैन कलीजिया और बंगली में लिखिये क्योंकि हम तुमारा तीन किताब इस साल टोटाल चपा है उडिया भासा में हमारा तीन सो किताब चपा है तो आप लोग इधर आजाओ वह दुनिया ल�
49:46आप दस बड़े बड़े साहितिक जो हमारा दिगजा आज माना जाते है उसके वजे से अब अडिया भासा गर्व से बोलता है कि हमारा भासा संब्रुध है जिसे यह गंगाधर मेहर राधानतर आय फकीर मोहन और शाहिकड़ तो यह जो भासा है उसके इलावा दूसरा भास
50:16आपने हिंदी में बोलिये, तेलूग में बोलिये, तामिल में बोलिये, गुजरेटी में बोलिये, nobody bothers, they don't bother, आपने देखेंगे कभी भासा को लेके उडिशा में आज तक कभी भी बीबाद नहीं हुआ है
50:28कभी नहीं हुआ
50:30इस तरह के मानसिक्ता है ही नहीं, वो तो पूरा राजनितिक नहितार्थ है, अभी जो आपने काना की भाशा का दुश्मन कौन है, मैं समझती की भाशा का सबसे बड़ा दुश्मन हमारी मानसिक्ता है, अंग्रेजी को लेके हमारी मानसिक्ता है कि अंग्रेजी अभिजात्
51:00अगर मैं विश्विध्याला की बात करूँ
51:02तो विश्विध्याला में एक समय था
51:05कि विदेशी चात्र जो पढ़ने आते थे
51:07वो ये कहते थे कि हम भारत को जानने आएं
51:09संस्कृती भारत की जानना चाहते हैं
51:11तो हम हिंदी पढ़ने आए हैं
51:12आज हिंदी विदेशी जो चात राते उनकी संख्या बहुत बढ़ने लगी है
51:16और वो यह कहते हैं कि हमारे बॉस ने कहा हिंदी सीख करके आओ तो तुम्हारा प्रमोशन होगा
51:21कोई कहता हिंदी सीख के आओ हम अपना व्यापार करेंगे
51:24बड़ी मार्के है ना?
51:25तो हिंदी सी करके हम हिंदी पढ़ाएंगे जाकर के
51:28और आप जाके देखे विदेशों में जाकर के देखे अभी मैं मौस्कों में थी
51:32तो वहाँ पे एक व्यक्ति ने कहा कि हिंदी
51:35रामचरित मारस का उन्होंने नाम लिया
51:37उन्होंने कहा कि मैंने रामचरे मारस की कुछ पंक्तियां पढ़ करके मैंने हिंदी सीखी, हिंदी पढ़ने के लिए वो आए, और उसके बाद उन्होंने कहा कि मैं ये कहना चाहूंगा कि आयोध्या जो है वो पूरे विश्व की राजधानी है, उन्होंने इतनी बड़ी बा
52:07हशाए होंगी उसमें से हिंदी भी एक होगी आपकी मैं आप साहित अगार्मी के उपाध्यक्षपी है तो मुझे पर मेरा प्रशन है कि जो नए उपन्यासकार है जो साहित अगार आपको दिखाई देते हैं क्या आपको लगता कि वो पॉपुलरिटी की तरफ जादा भागते
52:37है और अनन जी बहुत पढ़ते हैं अभी आप कुछ कहेंगे तो विरोध में बोल पढ़ेंगे वो ऐसा नियोड बहुत अच्छा लिखा जा रहा है तो यह ठीक है कि इस समय जितना लिखा जा रहा है शायद उससे पहले उतना नहीं लिखा जाता था बहुत लिखा जा रहा
53:07है कि साहिति के प्रती लोगों के मन में उस सुक्ता जगा दियो कंठा जगा दिये जगा दिये जब इस तरह को सव से बाहर जाते है वो तो उनको भी लगता है कि हम भी लिख सकते हैं तो यह चेतना भी उनके भी तर आती है तो बहुत लोग लिख रहे हैं ऐसा नहीं है और �
53:37पाहस देता है कि हमें अपने takim पिता-जी को प्रूफ करके दिखाना है कि पापा आप आपने जो किया आपने भी अच्छा और हम आपसे भी अच्छा करके आपको दिखाएंगे। यह साहित्य में
53:50भी लागू होता है
53:51तो ये जो लोग कहते हैं न कि आज
53:54के लोग कचड़ा लिख रहे हैं
53:55मैं उनको कहता हूँ कचड़ा की पड़ी भासा
53:57थोरी बदल लीजिए आपके समय
54:00में जो लिखा गया था वो किसको
54:02समझ में आएगा बताओ अगर भाशा
54:03परिस्क्रित हो रही है आज इन
54:05बच्चों को बान भट की आत्म कथा दे दो
54:07पढ़ने या कुबेर नात्राई के निबंद
54:09दे दो पढ़ने के लिए तो हिंदी के
54:11शब्द कोश के साथ इनको पढ़ना पढ़ेगा
54:13तो जिस प्रकार की
54:15भाशा आज देखिए
54:17कुमुझ जी अभी बाजार की बात कर रही इना
54:19बाजार ने बहुत कुछ किया
54:21लेकिन फिर वही
54:22एक दौर था हमारे पास
54:24बाजार से दोस्ति नहीं करनी है
54:26बाजार बहुत बुरी چीज़ है
54:29मैं फिर बामपंदियों का नाम लूँगा
54:31तो लोगों को लगेगा अपना एजेंडा चला रहे
54:33लेकिन हमने सब नहीं यहां बैटे लोगों ने सुना होगा
54:35कि बाजार बहुत बुरी चीजे भाई
54:37लेखक को बाजार में नहीं जाना चाहिए
54:40लेखक को बाजार में बिल्कुल नहीं उतरना चाहिए
54:42और फिर अगले मंच पे कहेंगे
54:44हमें रोयल्टी का पैसा नहीं मिलता
54:47अरे भाई जब बाजार का विरोध कर रहे हो तुम
54:50बाजार में आपकी किताब ही नहीं जा रही है
54:53तो रोयल्टी की अपेक्षा क्यों करते हो भाई
54:55आप रोयल्टी की अपेक्षा मत करो न
54:58तो लेखक कोई स्वांता सुखाई नहीं लिखता है
55:03लेखक को भी पैसे चाहिए
55:05और पैसा जो है इस वक्त की सबसे बड़ी आवश्यक्ता भी है
55:11और जो कह सकते हैं उसको रियालिटी भी है
55:14जो यथार्थवादी चिंतन हमारे दौर में हुआ
55:17जिसको हमने देखा कि यथार्थ की जमीन तोड़ रही है कहानिया
55:21और तोड़ते तोड़ते कहानी ही तूट गई
55:23कहानीपन बचा ही नहीं
55:26समय की कमी है लेकिन भाशा में हमें गालियां भी सुनाई देती हैं
55:29भाशा पर बात करते करते हैं साहिद की तरफ आ गए
55:32तो मेरा भी मन कर रहा है कुछ कहने का
55:35ये देखे जो नए लोग लिख रहे हैं
55:38उनके सामने बहुत बड़ी चुनाथी है
55:40उनके सामने चुनाथी ये है कि आपके पास
55:44इंटरनेट का जो संजाल है इसमें बहुत कुछ है
55:46उससे आपको हटा करके कैसे एक युवा ने आजो लिख रहे हैं
55:51युवा लिख रहे हैं वेस्क लिख रहे हैं
55:52कैसे वो आपको उस तरफ ले करके आए
55:55तो उनको अपनी कृती में शुरू में ही जिग्यासा पैदा करनी होती है
56:01कुछ ऐसा रचना होता है कि उसमें पठनियता भी हो, रोचकता भी हो, फ्लाइट ऑफ फंटैसी हो अच्छी, रोचकता हो, तो उसके नाते बहुत कुछ बदलाव होता ही और बदलाव हो दिखाई दे रहा है, तभी वो उधर आएंगे.
56:14नहीं पीडी को आपका सुझाव सर्थ, उल्ली वन सुझाव दूंगाज, सुझाव देना ठीक नहीं है, मैं विश्वास नहीं करता हूँ, मगर मैं आपको बताता हूँ, एक बात, आपको पढ़ते रहो, लिखते रहो, लोग बोलते रहेंगे, डूंट के यार.
56:31और ये बात दाथ साब ने बहुत अच्छी कहिए, पढ़ने का कोई विकल्प नहीं है, जब तक आप पढ़ोगे नहीं, और उन्हें लाइटर नोट, राजीव जी मैं समाप्त करता हूँ, नामवर जी हमारे बहुत प्रिये हैं, नामवर जी ने एक बार कहा था, कि कहानी �
57:01लेगे संजेजी बैठ के इर्शाद, इर्शाद, वो फिर से जाके पिछली Parkinson सुणाएगा, तो कविता पीछे चली जाती है, तो यही है, तो आप लोग तै कर लिजे, कविता लिखना चाहते हैं, या कहानी लिखना चाहते हैं, क्या बात, भाथ धन्यवाद, बहुत शुक्
57:31कभी भी वर्चस की भाषा नहीं रही
57:34वो किसी भी भारते भाषाओं पर अपना वर्चस नहीं चाहती है
57:38वो सख्य भाव से सबको साथ लेकर के आगे चलना चाहती है
57:42लेकिन आजाद भारत को हिंदी का रिणी होना चाहिए
57:47क्योंकि हमने आजादी की लड़ाई हिंदी में।
58:17अजादी की लड़ाई हिंदी में।
58:47यह विद्यानिवास मिस्र जी पर कुमुद जी की पुस्तक है विद्यानिवास मिस्र का यह शतावदी वस्त चल रहा है।
59:03और इस मौके पर सर्भासा ट्रस्ट ने इस पुस्तक का पुनर प्रकाशन किया है।
59:09इसके लिए मैं केशब मोहन जी को बहुत धन्यवाद देता हूँ।
59:13विद्यानिवास मिस्र हिंदी के ऐसे लेखक हैं जिनको अगर भारती संस्कृती में जिसकी भी रूची हो विद्यानिवास जी को अवस्त से पढ़ना चाहिए।
59:23और उम्मीद करता हूँ कि केशब जी के सर्भासा ट्रस्ट पे यह पुस्तक उपलब्ध होगी अभी।
59:29और मैं इन से अग्रह करता हूँ कि आज और कल इस पुस्तक पर विसेश कम से कम 15 परसंट की छूट तो देही दें।
59:3920 परसंट कर दिया वाई ऐसे ऐसे सहरदय तो प्रकाशक होने चाहिए।
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