00:00मीठे बच्चे, बाप आये हैं तुम बच्चों को शान्ती और सुख का वर्सा देने, तुम्हारा स्वधर्म ही शान्त है, इसलिए तुम शान्ती के लिए भटकते नहीं हो.
00:09प्रश्न है, अभी तुम बच्चे 21 जन्मों के लिए अखूट खजानों में वजन करने योग्य बनते हो. क्यों? क्योंकि बाप जब नहीं सृष्टी रचते हैं, तब तुम बच्चे उनके मददगार बनते हो. अपना सब कुछ उनके कार्यों में सफल करते हो. इसलिए बा�
00:39इन आखों से शरीर सहित जो दिखाई देता है, यह सब भस्म हो जाना है. इसलिए अपना सब कुछ सफल करना है. बाप से पूरा वर्सा लेने के लिए पढ़ाई पढ़नी है. सदा अपने लक को स्मृती में रख ब्रह्मांड वा विश्व का मालिक बनना है.
00:58वर्दान
01:28प्रत्यक्ष हो जाएगा. तो वह ड्रामा वह की स्मृती से सदा खुशनमु रहेंगे, पुरुशार्थ में कभी भी उधासी नहीं आएगी. स्वत्य ही आप द्वारा अनेकों की सेवा होती रहेगी.
01:40स्लोगन
02:10चार-पांच मिनट अशरीरी बन जाएगे और शरीर को आराम मिल जाएगा. लाइट सरूप के इस मृती को मजबूत करने से हिसाब किताब चुक्त करने में भी लाइट रूप हो जाएगे. ओम शान्ती.
Be the first to comment