00:00मीठे बच्चे, अपने कारेक्टर सुधारने के लिए याद की यात्रा में रहना है। बाप की याद ही तुम्हें सदा स्वभाग्यशाली बनाएगी।
00:09प्रश्न, अवस्था की परक किस समय होती है? अच्छी अवस्था किस की कहेंगे?
00:15उत्तर, अवस्था की परक बीमारी के समय होती है। बीमारी में भी खुशी बनी रहे और खुश मिजाज चहरे से सब को बाप की याद दिलाते रहो। यही है अच्छी अवस्था। अगर खुद रोएंगे, उदास होंगे, तो दूसरों को खुश मिजाज कैसे बनाएंगे?
00:45शरीर समझने की कड़ी बिमारी से बचने का पुर्शार्थ करना है। दो, कभी भी माया का दास नहीं बनना है, अंदर में बैठ जाप जपना है कि हम आत्मा है, खुशी रहे हम बेगर से प्रिंस बन रहे हैं। वर्दान, अनुभवों की गोहिता की प्रयोग शाला में रह
01:15गोहिता में जाकर रीसर्च करो, संकल्प धारन करो और फिर उसका परिणाम वसिधी देखो, कि जो संकल्प किया वो सिध हुआ या नहीं। ऐसे अनुभवों की गोहिता की प्रयोग शाला में रहो, जो महसूस हो कि ये सब कोई विशेश लगन में मगन इस संसार से उपराम
01:45संतुष्टता की सीट पर बैठ कर परिस्थितियों का खेल देखने वाले ही संतुष्ट मनी हैं।
02:15जितना समय करना चाहो उतना समय उसी संकल्प में स्थित हो जाओ। अभी अभी शुद्ध संकल्प में रमन करो। अभी अभी एक ही लगन अर्थात एक ही बाप से मिलन की एक ही अशरीरी बढ़ने की शुद्ध संकल्प में स्थित हो जाओ। ओम शान्ती।
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