00:00मीठे बच्चे, तुमने दुख सहन करने में बहुत टाइम वेस्ट किया है, अब दुनिया बदल रही है, तुम बाप को याद करो, सतो प्रधान बनो, तो टाइम सफल हो जाएगा
00:10प्रश्न, 21 जन्मों के लिए लौटरी प्राप्त करने का पुरुशार्थ क्या है?
00:16उत्तर, 21 जन्मों की लौटरी लेनी है तो मोजीत बनो, एक बाप पर पूरा-पूरा कुर्बान जाओ, सदा ये स्मृती में रहे कि अब ये पुरानी दुनिया बदल रही है, हम नई दुनिया में जा रहे हैं, इस पुरानी दुनिया को देखते भी नहीं देखना है, सुदा
00:46दो, एक बाप की याद के नशे में रहना है, पावन बनने का मूल पूर्शार्थ जरूर करना है, कौडियों पिछाडी अपना अमूल्ले समय बरबाद न कर, श्रीमत से जीवन श्रेष्ट बनानी है, वर्दान, स्वयम को विश्व सेवा प्रती अर्पित कर, माया को दासी
01:16करो कि विश्व सेवा प्रती है, ऐसे सेवा प्रती अर्पन होने से स्वयम सहत संपन्ध हो जाएंगे, स्वयम सेवा में सरेंडर होंगे, तो माया स्वता सरेंडर हो जाएगी,
01:39स्लोगन, अंतर मुखता से मुख को बंद कर दो, तो क्रोध समाप्त हो जाएगा, अव्यक्त इशारे, अशरीरी वा विदेही स्थिती का अभ्यास बढ़ाओ, जैसे एक सेकेंड में स्विच अन और आफ किया जाता है, ऐसे ही एक सेकेंड में शरीर का अधार लिया, और एक
02:09अलग हो गए, ये प्राक्टिस करनी है, इसी को ही करमातीत अवस्था कहा जाता है, ओम शान्ती
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