Muslim Wedding Rules: आज हम एक बहुत अहम सवाल का जवाब समझेंगे — इस्लाम में शादी सुन्नत है या फ़र्ज़? कुरान और हदीस क्या कहते हैं? उलेमा किस हालात में शादी को फ़र्ज़ बताते हैं? और मुसलमान के लिए शादी करना क्यों ज़रूरी माना गया है? सारी बातें आसान भाषा में… तो वीडियो को आखिर तक ज़रूर देखें।"
00:30ज्यादतर उलमा की राय है शादि असल में सुननत है लेकिन हालात के हिसाद से सुननत वाजिब फर्ज भी बन सकती है।
01:00उन पर शादि वाजिब के करीब है शादि से फहष यानि बतकारी और गुनाहों से बचाओ आसान होता है।
01:07कुरान की दूसरी आयत कहती है और अल्ला ने तुम्हरी लिए तुमसे ही जोड़े पैदा किये।
01:12यानि शादी एक फित्री जरूरत भी है।
01:14हादीस में भी शादी की आहमयत है।
01:16रसुल अल्ला ने फर्माया ए जवानों तुम मैंसे जिसे शादी की ताफत हो वो शादी कर लिए।
01:22क्योंकि शादी निगाह की हिपाज़त करती है और शर्मीली जिंदेगी सिखाती है और गुनाहों से रोकती है।
01:28दूसरी हदीस कहती है जब इंसान शादी कर लेता है तो उसने अपने दीन का आधा पूरा कर लिया।
01:33यानि शादी इमान की सुरक्षा का आधा हिस्सा है। शादी सुननत कब है, वाजिब कब है और फर्स कब है।
01:38जब इंसान गुनाह के डर के बिना अकेला रह सकता है और उसके पास खर्च की जिमेदार उठाने की शमता हो तब शादी सुननत रहती है।
01:45जब किसी को डर हो की अकेले रहकर वो गुणा में पढ़ सकता है जैसे नजर की हिपाज़त मुश्किल होना, हराम रिष्टों में पढ़ जाने का खतरा, बुरी संगत का सर्थ तब शादी वाजिब हो जाती है।
01:54जब किसी को यकीनी तोर पर लगता हो कि अगर शादी नहीं करेगा तो जिना यानी हराम काम में पढ़ जाएगा तो ऐसी हालत में शादी फर्ज हो जाती है।
02:24और उलाद सिर्फ हलाल शादी से पैदा होनी चाहिए।
02:54दूसरे के लिए सुकून बनाया है। इसलिए शादी को मुश्किल नहीं आसान बनाया है। और दीनदारी अकलो और अच्छे किरदार को तरजी दें।
03:00फिलाल इस वीडियो में इतना है। अगर आपको ये जानकारी पसंद आई हूँ तो इसे लाइक करें, शेर करें और चानल को सब्सक्राइब करना बिलकुल न भूलें।
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