Delhi Red Fort Blast: दिल्ली में हुए भीषण ब्लास्ट (Delhi Blast) के बाद उसकी परतें खुलना शुरू हो चुकीं है. 10 नवंबर की उस खौफनाक रात को लाल किले के पास हुए बम विस्फोट (Red Fort Blast) के बाद, सबसे पहले प्रतिक्रिया देने वाले हेड कांस्टेबल (Head Constable) ने बताया कि उस वक्त मंजर कैसा था.
00:00लोग आवाजे आ रही थी कई सी एंजी ना फट जा कोई कहीं न फट जाया और लोगों पड़े हुए थे तो कोई हाथ नहीं लगा रहे तो अपर फटा पट उनको लोगों को उठाया चाहिए कैसे भी उठाया चाहिए हम पूरे लदपत थे
00:11लोगों की चिलाने की आवाजे बहुता रही चिलाने के लिए आवाजे इते निकल रहे चीख रहे थे सभी को पहले दूर करके साइड करके अटाके लोगों की एलप से ही उनको उस्पिटल को जाए
00:23अगे पहुंचा तो एक आवाज आई अगे पता था उसमें क्या था हम जैसे भागते वे आये तो बहुत अफरात तफ़री मची थी लोग भाग रहे थे इदर से उदर इदर से उदर तो काफी लोग नीचे गिरे पड़े वे थे और पटाके दमाके होते जा रहे थे जानि
00:53उन लोगों को बचाना उन्हें फर्ष उपचार देना तो हमने किसी की चिंता नहीं करी तो चाहिए दमाके हैं चाहिए हमने सोचा कर पांच लोगों की जान बचा कर हम अपनी जान अगर गवादे तो कोई चिंता वाली बात नहीं मगर लोगों की जान बचने चाहिए और ह
01:23वोगों को समझाना कि चिंता मत करो हम लोग आपके साथ खड़े हुए और पब्लीक ने भी हमारा बहुत सपोर्ट किया हमारे साथ खड़ी रही कि जैसे हम आगे गए तो वह भी हमारे सोग आगे आए तो मैं मैंने अपने आपों से मंजर देखा कई लोगों की जान बचे हमन
01:53को हेल्प करने में और हमने उन्सकों किस तरह का मनजरता जैसे आपने का कि ब्यानी करें फिर भी अगर देखा जो आपने लोग आवाजे आ रही थी कई CNG न फट जया कोई कहीं न पढ़ जाया और लोगों पड़े हुए थी तो कोई हाथ नहीं लगा रहे तो हमने फटाप
02:23तो कहते हैं थोड़ी बहुत लोगों की जान तो बची जिससे की बारा मिनट के अंदर हॉस्पिटल तक आप लोगों ने जवा पे वहा पर पहुंच गेते हैं लोग
02:46क्या किते हैं हमने किसी चीज का वेट नहीं किया सबसे पहले एक लेडिस निकाली उसके अंदर से जो आग के अंदर बैठी हुए बिल्कुल बहुत हो जाते हैं तो अमने सबसे पहले यह हमारा यह दाईत्व था कि लोगों को फर्श उप्चार के लिए पहले होश्पीटल प
03:16मैं पहुंचा दिया था घमाके बीडित आपको की जान देखते हमारा फर्श डूगों की जान बचाना ने के लिए और अपने सब्सें
03:36लिए तो हमारा दाइत वाता हूं लोगों की सुरक्षा कर सके और लोगों की जान बचा सके देली जैसे रूटीन में पेट्रोलिंग के लिए हम निकलते हैं अपना टैम था हमारा पेट्रोलिंग के लिए अपने यहां से डंडा लेके बाहर की तरह पेट्रोलिंग के नहीं ल
04:06पुरा आसमान में कुछ नहीं दिखाई दे, अंधेरा अंधेरा सा हो गया, तो मेरे आथ में जो डंडा था, वो काफी दूर जाके गिरा, तो मैं वापस भागा, चोकी की तरफ देखा, गायल जितने थे, गायलों को उठाया, सबसे पहले गायलों को उठाया, उस्पिटल के �
04:36तोड़ के बाहर निकाला, उसको फिर होस्पिटल में, आम पबलिक ने मदद की, आटो में बैठाया, और फिर होस्पिटल के, तो सबसे पहले आप लोग बहुत नहीं माज़े थे, जी, मैं और ठान सिंग, मौके पर सबसे पहले आगे थे, बाकी, कुछी समय में, 20-30 से के �
05:06आवाजे इतने निकल रहे चीख रहे थे, सब ही को पहले दूर करके, साइड करके अटाके, लोगों की एलप से ही उनको फिर होस्पिटल पहुता है, तो सबस्क्राइब के निमा में कहते हैं, कर दमाबो की आवाज, लोगों की चलाएं, सर जो ये वर्दी पहन रखिए सर,
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