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  • 2 days ago
इस वर्ष गणाधिप संकष्टी चतुर्थी 8 नवंबर 2025, शनिवार को मनाई जाएगी।
अगहन मास के कृष्ण पक्ष की यह चतुर्थी विघ्नहर्ता गणेश जी को समर्पित है।
इस दिन भक्त गणपति बप्पा की पूजा कर अपने सभी संकटों से मुक्ति की प्रार्थना करते हैं।

🕰️ तिथि व समय:
चतुर्थी तिथि आरंभ — 8 नवंबर, सुबह 07:32 बजे
चतुर्थी तिथि समाप्त — 9 नवंबर, सुबह 04:25 बजे
चंद्र दर्शन — रात 08:01 बजे के बाद

🌙 मुख्य बातें वीडियो में शामिल हैं:

संकष्टी चतुर्थी क्या है?

इस दिन का धार्मिक महत्व

गणाधिप संकष्टी चतुर्थी क्यों कहा जाता है

पूजा विधि और मंत्र

चंद्र दर्शन का समय

📿 इस पावन दिन भगवान गणेश की पूजा करें और अपने जीवन से सभी विघ्न दूर करें।
जय गणेश देवा! 🙏

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Transcript
00:00नमस्कार भक्तो आशर करती हूँ, आप सभी कुछल मंगर होंगे और भागवान की खिपाप आप सभी पर बनी रहें।
00:06आज हम बात करने जा रहें संकष्टी चतुर्ती की वो दिन जब विगले हरता संकट मुचन भागवान गनीज जी की आरातना की साथी है।
00:14इसकार संकष्टी चतुर्ती आठ नमबर दो हजार पच्चे चनिवार को मनाई जाएगी।
00:19यह हैं गणाधिप संकष्टी चतुर्ती केहलाती है जो गहन मास के क्रश्णपक्ष्टी चतुर्ती को पढ़ती है।
00:27इंदू मानताओं के अनुसार कीजिए भी शुबकार के शुदुवार गनेजी के नाम से की जाती है।
00:33भगवान गनेजी को गुद्धी विवेक और भलका देवता कहा जाता है।
00:37इसलिए इन्हें बिगन हर्ता और संकष्ट मोचन भी कहा जाता है।
00:41क्योंकि जो भी भगत सत्रे मन से इनकी पूजा करते हैं, उनकी सारी कश्ट मिट जाते हैं।
00:47संकष्टी शब्त संस्कृत के संकट यानी कटनाई और हरण यानी मिटाने से बना है।
00:52अर्थात यह वह दिन है जो जीवन के संकटों को दूर करने के लिए सबसे उत्तम माना जाता है।
00:59इस दिन भगत गड़ी जी की पूजा कर अपने दुखों के मुत्ति की प्राक्तना करते हैं।
01:04करते हैं। व्रत रखने वाने लोग पूरियोदेश से लेकर चंद्र शंद कुपात करते हैं।
01:09और शाम पोचंद्रमा को अर्ग देकर व्रत पूड़ा करते हैं।
01:13हर माह में चतुर्ती दो बार आती है एक अमावस्या के बाद और एक पूमिमा के बार।
01:19सक्षटी चतुर्टी घासकर उसस दिन अधिक sland filedा इमाने जाती है।
01:23जेब यह मंगलवार के दिन पड़े तब इसे अंकार की चतुर्टि कहा जाता है।
01:27लेकिं इस वार यह कि दिन पढ़ लही है।
01:30यह इसे गढडांतिक्प संक्षटी चतुर्ती कहा गया है।
01:35उत्तर भारत तर यह पर अत्यंत शुद्धा और आस्था की स्वाप मनाया जाता है।
01:40संकष्टी चतुर्थी का महत्वर इस दिन की पुझा घर में सुख्षांती और सकारात्मक उल्जा लाती है।
01:46गड़ेश जी नकारात्मक शुद्धियों को दूग कर जीवन विसफ़ता का माल्ग प्रशस्त करते हैं।
01:51साल में पुल 13 संकष्टी चतुर्थी का व्रग आता है।
01:56हर एक की अपनी कथा और महत्व है।
01:59हाई अब हम जान लेते हैं चतुर्थी की तिथी और चंदर्शन का समय।
02:03इस दि चतुर्थी तिथी का आरब 8 नवंबर को सुबह 7 बच कर 32 मिनट पर होगा।
02:08और इसका समापल 9 नवंबर को सुबह 4 बच के 25 मिनट पर होगा।
02:12राथ को 8 बच कर एक मिनट के बाद चंदर्मा के दर्शन करके आप ब्रत को सकते हैं।
02:18पूजा विदे सबसे पहले धर्मो मुलत के उत्तर इसलान करें और स्वच लाल वस्त प्रधाडन करें।
02:24गणेजी की मूर्ती को फूलों से सजयाएं और पूर या उतर दिशा की और मुख करके पूजन करें।
02:30पूजा में तेल, बुण, लड्डू, ध्यू, दीप, चंदर और खेले या नर्यल का प्रसाथ चढ़ाएं।
02:36गणपती जी को मोदप और तेल के लड्डू का भोग लगाएं। फिर गणेजी का यह मंत्र कहें।
02:56शाम के समय चंदर उदे के बाद चंदरमा को अर्ग दे और गणेजी से अपनी मनों कामना की पूर्टी कर प्रातना करें।
03:03तो भक्तो आठ नमंबर दो हजार पत्रे शनिवान को संकष्टी चत्थोटी के दिन भगवान गणीजी की पूजा पूरे विधी विधान से करें।
03:12चन दर्शन के बाद अर्गे दे कर व्रत पूर करें। और अपने जीवन से सभी बिगन दूर करें।
03:18अगर आपको यह वीडियो जानकारी पूंड लगा हूँ, तो इस वीडियो को लाइक करें, शेयर करें और हमारे चैनल को सब्सक्राइब करना न भूले।
03:26ताकि आने वाले हर व्रत और देहार की सही जानकारी आप तक सबसे पहले पहुचे। जय घड़ेश देर।
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