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Shraapit Bali Mandir ka Rahasya – The Curse of the Blood Temple | श्रापित बलि मंदिर का रहस्य – मौत का मंदिर
जंगल के बीच खड़ा एक परित्यक्त मंदिर… जहाँ कभी बलि दी जाती थी।
लोग कहते हैं, रात में वहाँ घण्टियाँ अपने आप बजती हैं, और मंदिर का पुजारी आज भी नई बलि की तलाश में भटकता है।
चार दोस्तों की जिज्ञासा उन्हें उस मंदिर तक ले जाती है — जहाँ हर दीवार एक रहस्य फुसफुसाती है और हर कदम मौत की आहट बन जाता है।
देखिए “Raat Ki Khamoshi” की अब तक की सबसे डरावनी कथा — Shraapit Bali Mandir ka Rahasya
In the heart of a dark forest stands a cursed temple, where sacrifices once pleased the goddess — and now demand new blood.
When four friends enter the forbidden shrine, they awaken something ancient, vengeful, and unsatisfied.
Witness the most terrifying story of Raat Ki Khamoshi — The Curse of the Blood Temple
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00:00रात गहरी हो चली थी जंगल की हवा में अजीब सी संसनाहट घुली हुई थी पेडों की टहनिया आपस में टकरा रही थी मानो कोई रहस्य कह रही हो इसी जंगल के बीचों बीच सदियों से खड़ा है एक परित्यक्त मंदिर एक ऐसा मंदिर जिसे आज गाव वाले श्रापि
00:30आता है कि यहा कभी बली दी जाती थी जानवरों की ही नहीं कभी कभी इनसानों की भी और जब इस प्रथा को रोखने की कोशिश की गए तो मंदिर के प्रधान पुजारी ने अपने आखरी शब्दों में श्राप दिया
00:44जिसने भी इस मंदिर के द्वार को लांगा उसकी आत्मा इसी मंदिर की बली का हिस्सा बन जाएगी।
00:51लोग कहते हैं आज भी इस मंदिर में रात को घंटिया अपने आप बचती हैं।
00:57चबूत्रे पर ताजा खून के धपे दिखते हैं।
01:00और कभी कभी एक छाया पुजारी की आत्मा बली मांगने निकलती हैं।
01:06आज हम आपको ले चलेंगे उसी श्रापित बली मंदिर की रहस्यमी गलियों में, जहां हर कदम मौत की आहट है।
01:14चार दोस्त 25-30 साल के गाव से निकल कर तौर्च लेकर इस जंगल के बीच मंदिर तक पहुँचें।
01:22आकाश में बादल गरज रहे थे, हवा ठंडी और भारी हो चली थी।
01:27पेडों की जडों में उल्चते प्लटते हुए, वे मंदिर के जरजर दर्वाजे तक पहुँचें।
01:33दर्वाजे पर जंग लगी सलाखे थी। लेकिन जैसे ही उन्होंने पास कदम रखा।
01:39वो दर्वाजा अपने आप करहता हुआ खुल गया।
01:42उनके चहरों पर घबरहट साफ थी। लेकिन जिग्यासा उन्हें पीछे नहीं हटने दे रही थी।
01:49भीतर कदम रखते ही हवा और ठंडी हो गए।
01:53दीवारों पर जाले लटक रहे थे। तूटी मूर्तिया इधर उधर पड़ी थी।
01:58अचानक एक बड़ी घंटी अपने आप बज उठी। उसकी गूंज इतनी भारी थी कि सबकी रूह काप उठी।
02:06उनमें से एक बोला किसने बजाई ये घंटी। बाकी सबने एक दूसरे को देखा।
02:12और समझ गए यहां कुछ अजीब है। मंदिर के अंदर की मूर्तियों को देखकर सबकी रूश सिहर गई।
02:20उन मूर्तियों की आखें मानों हिल रही हो। जैसे कोई उनके हर कदम पर नज़र रख रहा हो।
02:27एक दोस्त ने धीरे से कहा क्या तुम्हें लगता है ये मूर्तिया हमें देख रही है।
02:33तौर्च की रौशनी पड़ते ही सबने साफ देखा पत्थर की आखें सच में हिली।
02:39तभी एक भारी आवाज नेरेटर जैसे गुनजी मानों किसी और दुनिया से सदियों पहले यहां बली दी जाती थी।
02:48पशू, पक्षी और कभी कभी इनसान भी। पुजारी कहते थे रक्ट से ही देवी प्रसन होती है।
02:57एक बार, राजा ने इस पाश्विक प्रथा को रोकना चाहा, लेकिन प्रधान पुजारी ने गुस्से में श्राब दिया।
03:05जब तक रक्ट की धार इस मंदिर में नहीं गिरेगी, तब तक देवी की भूग शांत नहीं होगी।
03:11और जो इस परंपरा को रोकने आएगा, वही अगली बली बनेगा।
03:16उसके बाद राजा और उसके सैनिकों की रहस में मौत हुई।
03:20और तब से ये मंदिर वीरान पड़ा है।
03:23मंदिर के बीचों बीच एक चौकोर चबूतरा था।
03:26उस पर गाढ़े लाल रंग के धब्बे जमे हुए थे।
03:30मानो खून के एक दोस्त ने हाथ लगा कर देखने की कोशिश की।
03:35लेकिन जैसे ही उसने चुआ, उसकी उंगलिया लाल हो गई।
03:39उसने डरते हुए हाथ पीछे खींचे।
03:42ये तो ताजा खून है।
03:44बाकी सब के रोंटे खड़े हो गए।
03:46अचानक मंदिर के अंधेरे कोने से धीमी फुस्फुसाहट सुनाई दी।
03:51तुम यहाँ क्यों आए हो।
03:53बली अधूरी है और देवी प्रतिक्षा कर रही है।
03:57सबने टौच घुमाई और सामने दिखा एक धुंधला चहरा।
04:02पुराने कपडों में माथे पर तिलक, हाथ में त्रिशूल।
04:07ये वही पुजारी था।
04:09लेकिन अब उसकी आखे लाल जल रही थी।
04:12उसकी आवाज गूंजी, आज तुम्हारी बली होगी।
04:16चारों दोस्त घबराकर अलग-अलग भाग गए।
04:19मंदिर की गूंज और डरावनी हो गई।
04:22एक को लगा कि पीछे कोई उसके कदमों की आहट दोहरा रहा है।
04:27दूसरे ने देखा, मूर्तिया धीरे-धीरे उसके पीछे खिसक रही है।
04:32तीसरे ने दिवारों पर खून की धार बहते देखी।
04:35और चौथा, सीधे पुजारी की आत्मा के सामने आग खड़ा हुआ।
04:40अचानक एक दोस्त की चीग गुंजी और सब और सन्नाटा जा गया।
04:45बाकी तीनों दोड़ कर वहाँ पहुँचे।
04:48लेकिन उनका दोस्त कहीं नहीं था।
04:50सिर्फ बली चबूत्रे पर ताजा खून की धार बह रही थी।
04:54और उसके बैग का एक टुकड़ा वही बढ़ा था।
04:58मंदिर की दीवारों पर लिखे संस्कृत के श्लोक धीरे धीरे चमकने लगे।
05:03उनमें लिखा था।
05:05ये प्रवेश्टी रात्रों, सब बलिय भवती, जो रात्री में मंदिर में प्रवेश करता है, वहीं बली बनता है।
05:13तीनों समझ गए, ये मंदिर सिर्फ जगे नहीं, बलकी एक जाल है।
05:19यहां आने वाला हर इंसान, बली की सूची में दर्ज हो जाता है।
05:23वे तीनों बाहर भागने लगें, लेकिन मंदिर का मुख्य दर्वाजा अपने आप बंध हो चुका था, पीछे से पुजारी की आत्मा की हसी गुंजी, अब लोट कर जाना आसान नहीं, देवी को रख चाहिए।
05:53प्रार्थना करने लगे, तभी पुजारी की आत्मा उनके सामने प्रकट हुई, उसके हाथ में चमकता हुआ त्रिशूल था, उसने एक-एक को पकड़ कर चबूत्रे की ओर धकेलना शुरू किया, अचानक उनमें से एक ने अपनी टॉर्च उसके चहरे पर मारी, तेज रोश
06:23लेकिन जैसे ही उन्होंने पीछे मुड़ कर देखा, मंदिर का दर्वाजा अपने आप बंध हो चुका था, उनकी सासे तेज थी, लेकिन उनकी आखे जम गई, क्योंकि उनमें से एक के माथे पर बिना जाने लाल रंग का तिलक उभर आया था, वो समझ गया बली अभी अ�
06:53रात बारव बजे के बाद वहां से घंटी की आवाज आती है, चबूतरे पर ताजा रख दिखता है, और कभी कभी किसी अंजान यातरी की चीक सुनाई देती है, पर कोई जान नहीं पाता, वो आवाज इनसान की है, या उस श्रापित पुजारी की आत्मा की, तो अगर कभ
07:23मौत की ओर ले जाते हैं।
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