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  • 2 days ago
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Transcript
00:00हम सोचते हैं एक साधारन जिन्दगी जीते जीते, साधारन घर में रहे, साधारन दस्वीं, बारवीं, ग्रेजुएशन कर लिया
00:07और अब अचानक से मुझे को वो काम मिल जाएगा जो मुझे बिलकुल किसी और लोग में पहुँचा देगा, कैसे पहुँचा देगा
00:16जिन्दगी का बड़े से बड़ा वरदान, उपहार, तोफ़ा, भेट, नियामत होता है, सही काम, सही काम
00:27उससे बड़ा कोई उपहार जिन्दगी आपको दे नहीं सकती है, कुछ भी नहीं
00:33ऐसा काम दो, जहां कोई बंधन नहों, जहां दिन रात मेरे लिए भीतरी रोशनी बढ़ती जाए, कैसे मिल जाएगा ऐसा काम
00:42मैंने तो बहुत तहरी करी थी कि ऐसा काम मिले
00:45और मैंने जिस जगह निशाना लगाया था कि शायद यहां ऐसा काम होता है
00:49मैंने वहाँ भी जाकर देख लिया उसके पांच और आसपास की जबों पर भी जाकर देख लिया कहीं नहीं था
00:55मैं और पूरी सिंदगी क्या कर रहा हूँ
00:58मैं अपने लिए
00:59पिछले
01:0130-40 साल से एक काम
01:03तैयार कर रहा हूँ
01:04क्योंकि मुझे ओ काम देने वाला कोई नहीं था
01:07वो चीज ऐसी नहीं है जो कोई
01:09मुझे आ करके बस यूँ ही
01:11दे देता
01:12कोई देने वाला नहीं था
01:15तो मुझे खुद तैयार करनी पड़ी
01:16वही तो करना हूँ 30-40 साल से
01:18और आप लोग कहते हो कि नहीं बस हमें आसानी से मिल जाए
01:21कैसे मिल जाएगा
01:23और आसानी से जब मिल जाता है
01:26तो फिर आप उसकी कदर नहीं कर पाते
01:42कर दो अजया है
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