00:00जवान लोग थे, गोलियां चली है, वाटर कैनन रहा है, काटवांडू जलाए धुधू करके, मैं बहुत अच्छे से जानता हूँ कि जो लोग सडकों पर उतर रहे हैं और जान दे रहे हैं, उन्होंने उर्जा भी दिखाई है, साहस भी दिखाया है, लेकिन मैं चाहता हू�
00:30उजागर करने के लिए भी कर रहे थे, लेकिन फिर भी मैं समझना चाहता हूँ, जिन राजनेताओं के खिलाफ इतना गुस्वा फूटा, उनको वोट किसने दिया था, भीतरी आजादी कहां है, भीतरी आजादी अगर हो, तो क्या हम ऐसे राजनेता चुनेंगे पहले, और
01:00वो यहां करांती शुरू नहीं होने देंगे, शिक्षा व्यवस्था से अध्यात्म को हटाए रख कर, क्योंकि पहली मूलभूत और मौलिक करांती तो यही होती है, खुद को जानना, जो आपको गुलाम बनागे रखना जाता है, वो एक काम मिश्यत करेगा, वो आपको कभ
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