झारखंड के रहने वाले रजत मुखर्जी का डाक टिकट और पुरानी मुद्रा के संग्रह का बचपन का शौक जुनून में बदल गया और पूरी जिंदगी इन डाक टिकटों को सहेजने में लगा दिया. जब स्कूल जाते थे तो लिफाफों पर डाक टिकट चिपका मिलता था. लिफाफे से डाक टिकट निकालकर जेब में रख लेते थे. एक डाक टिकट से शुरू हुआ सफर आज लाखों डाक टिकट के संग्रह तक पहुंच गया है.रजत को सिर्फ डाक टिकट के संग्रह का शौक नहीं हैं इनके पास विदेशी मुद्राओं का भी अनमोल खजाना है, अमेरिका, कनाडा, वेनेजुएल सहित लगभग 100 देशों के सिक्के और नोट हैं.इन दुर्लभ सिक्कों और टिकटों को सहेजने में इनकी बहन भी बराबर की सहभागी रही हैं. इनको भाई के काम पर गर्व है. लेकिन इनकी सरकार से मांग हैं कि इन दुर्लभ सिक्कों और डाक टिकटों को संरक्षण दें. जिससे आने वाली पीढ़ियों को इसकी जानकारी मिल सके.
00:00जार्खन के रहने वाले रजत मुखर्जी का ये बच्पन का शौक है जो जुनून में बदल गया और पूरी जिन्दगी इन डाक टिक्टो को सहिजने में लगा दी जब स्कूल जाते थे तो लिफाफो फ़र डाक टिकेट चिप का मिलता था लिफाफे से डाक टिकेट निकाल
00:30रजत को सिर्फ डाक टिकेट के संग्रह का शौक नहीं है इनके पास विदेशी मुद्राओं का भी अनमोल खजाना है
00:58अमेरिका, कनाडा, वेनेजुएल सहित लगभग सो देशों के सिक्के और नोट इनके पास है
01:04इन दुरलब सिक्कों और टिक्टो को सहिजने में इनकी बहन भी बराबर की सहभागी रही है
01:29इनको भाई पर गर्व है क्योंकि वो इस विरासत को सहिजने में लगे हैं
01:33लेकिन इनकी सरकार से मांग है कि इन दुरलब सिक्कों और टिक्टो को सरक्षन दे
01:37जिससे आने वाली पीडियों को इसकी जानकारी मिल सके
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