Karwa Chauth Katha: करवा चौथ व्रत की यह पौराणिक कथा हर सुहागन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस कथा को व्रत के दिन सुनने से व्रती को व्रत का पूर्ण फल मिलता है और पति की आयु लंबी होती है। यह वीडियो आपको करवा माता की संपूर्ण व्रत कथा सुनाएगा, जिसमें आस्था, श्रद्धा और प्रेम का अद्भुत संगम है। कथा सुनने से व्रत पूर्ण होता है और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। पति-पत्नी के प्रेम को और प्रगाढ़ बनाने के लिए इस कथा को ज़रूर सुनें। पूरा वीडियो देखें और अपने जीवन को शुभ बनाएं।
00:00बहुत समय पहले की बात है। एक नगर में वीरवती नाम की एक सुन्दर और सुशिल राजकुमारी रहती थी।
00:09वीरवती अपने साथ भायों की इकलोती बहन थी और सब भी भाई उसे बहुत प्यार करते थी।
00:17वीरवती का विवहा एक राजकुमार से हुआ था।
00:20विवहा के बाद जब पहली बार करवा चौथ का वरत आया तो वीरवती ने भी अपने पती की लंबी उमर के लिए ये वरत रखा।
00:29वीरवती ने पूरे विधी विधान से वरत शुरू किया। वो दिन भर निर्चला रही यानि बिना अन और जल के।
00:36शाम को जब चांद निकलने का समय हुआ तो वीरवती को भूक और प्यास से बहुत व्याकुलता होने लगी।
00:44उसके साथ भाईों से अपने प्यारी बहन की ये हलत देखी नहीं गई।
00:49उन्होंने सोचा कि क्यों न कुछ ऐसा किया जाए जिससे उनकी बहन को थोड़ी राहत मिले और वो अपना व्रत तोड़ सके।
00:57भाईों ने मिलकर एक योजना बनाई। उन्होंने नगर के बाहर एक पीपल के पेड़ पर दीपक चलाया और ऐसा ब्रह्म पैदा किया जैसे चाद निकलाया हो।
01:08वीरवती को लगा कि चाद निकल गया है और वो अपनी पूजा करने के लिए तयार हो गई। जब वीरवती ने उस दीपक को देखा तो उसे लगा कि ये चंद्रमा ही है।
01:20भाईयों ने भी उससे कहा कि चाद निकल आया है और अब वे अपना वरत खोल सकती है। अपने भाईयों की बातों पर विश्वास करके वीरवती ने पूजा की और अपना वरत तोड़ लिया।
01:32लिकिन जैसे ही उसने भोजन का पहला कौर खाया उससे अपनी ससुलाल से खबर मिली कि उसके पती की तब्यत अचारक बहुत खराब हो गई है। यह सुनकर वीरवती बहुत दुखी हुई और तुरंत अपने पती के पास चाने के लिए चल पड़ी।
01:48रास्ते में उसे भगवान शिव और माता पारवती मिले। वीरवती ने उन्हें अपनी सारी व्यथा बताई।
01:57माता पारवती ने उसे बताया कि उसने अपने भायों के धोखे के कारण अधूरा व्रत तोड़ दिया था, जिसके कारण उसके पती की ये दशा हुई है।
02:18अवश्य ठीक हो जाएंगे वीर्वती ने माता पार्वती की बात मानी और दुबारा पुरे विधी विधान से करवा चोहत का व्रत रखा इस बार उसने किसी भी धोके में ना आकर सच्चे चंद्रमा के निकलने का इंतजार किया और जब चंद्रमा निकला तभी उसने विध
02:48मानेता है कि करवा चोथ का व्रत पूर्ण निष्ठा और विधी विधान से ही करना चाहिए ये व्रत पती पत्नी के अटूट प्रेम, विश्वास और एक दूसरे के प्रती संबरपन का प्रतीक है एक कहानी हमें सिखाती है कि कि किसी भी धार्मिक कारे में धैरे और सच्च
03:18कि überhaupt दूस्जा रवाँ के विधी विधान कारे में शूस्च सूस्चा अर्मिक घड़ता है कि अटनोग्अ का सुछा प्रत प्रत्स दाया का यङिप गार्मिक का लिए ये ये जिए बद्या के अटूट प्रत्स अटनोग्स आटनोग्स आटनोग्स आटन। पणलोग्स आ�
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