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भगवद गीता अध्याय 6 – ध्यान योग | Bhagavad Gita Chapter 6 Explained in

स्वागत है इस आध्यात्मिक यात्रा पर। इस वीडियो में हम भगवद गीता के छठे अध्याय, 'ध्यान योग', का गहन विश्लेषण करेंगे। जानिए ध्यान, आत्म-नियंत्रण और संतुलन के माध्यम से जीवन में शांति और मोक्ष कैसे प्राप्त किया जा सकता है। 30 मिनट के इस वीडियो में कृष्ण जी के उपदेश और ध्यान योग के अभ्यास का सरल मार्गदर्शन मिलेगा।

Welcome to this spiritual journey. In this video, we explore Chapter 6 of the Bhagavad Gita, “Dhyana Yoga” (Yoga of Meditation). Learn how meditation, self-discipline, and balance can bring peace and liberation in your life. This video provides practical guidance on the teachings of Krishna and the practice of meditation.

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Transcript
00:00स्वागत है इस आत्म ज्यान और शांती की यात्रा पर
00:14आज हम भगवद गीता के छठे अध्याय ध्यान योग के गूड ज्यान को समझेंगे
00:20इस अध्याय में भगवान कृष्ण ध्यान मन को नियंत्रित करने और आत्म साक्षाकार के माध्यम से मोक्ष प्राप्ट करने की कला सिखाते हैं
00:31यह ज्यान न केवल अध्यात्मिक है बलकि हमारे दैनिक जीवन को भी शांती और संतुलन से भर देता है
00:39अध्याय की शुरुवात भगवान कृष्ण द्वारा आत्मनुशासन और आत्मनियंत्रन के महत्व को समझाने से होती है
01:01वे कहते हैं जो मनुष्य बिना आसत्ती के अपने कर्तवियों का पालन करता है वही सच्चा योगी है न कि वह जो केवल कर्म का त्याग करता है
01:13योगी वह है जो अपने कारियों से जुड़ा रहता है लेकिन उनके फल की कामना नहीं करता
01:19इसका मतलब है कि संतुलन बनाए रखना ही सच्चा योग है
01:24कल्पना करें एक मा अपने परिवार के लिए खाना बना रही है
01:30एक कलाकार अपने चित्र में तल्लीन है या एक वैज्यानिक खोज में मगन है
01:35जब ये कार्य बिना किसी लालचके किये जाते हैं तो वे योग का प्रतीक बन जाते हैं
01:43यही ध्यान योग की पहली शिक्षा है
01:46कृष्ण अर्जुन को ध्यान का अभ्यास सिखाते है
01:50मनुष्य को स्वयं के द्वारा अपना उद्धार करना चाहिए न कि स्वयं को नीचे गिराना चाहिए
01:58क्योंकि स्वयं ही अपना मित्र है और स्वयं ही अपना शत्रू
02:03इसका अर्थ है कि हमारा मन हमें उचाई तक ले जा सकता है या हमें नीचे गिरा सकता है
02:10मन को नियंत्रित करने के लिए ध्यान आवश्यक है
02:14अब कलपना करें कि आप एक शांत जगहे पर बैठें हैं
02:20आपकी पीठ सीधी है, आपकी आखें बंध हैं और आपका मन स्थिर है
02:26अपनी श्वास पर ध्यान केंद्रित करें
02:30यह सरल अभ्यास आपको वर्तमान क्षन से जोड़ता है
02:34क्रिश्न कहते हैं कि ध्यान में सफलता के लिए संतुलन जरूरी है
02:39जो बहुत अधिक खाता है या बहुत कम खाता है
02:44जो बहुत अधिक सोता है या बहुत कम सोता है
02:48वह योग में सफल नहीं हो सकता
02:50संतुलित जीवन शैली मन और शरीर को ध्यान के लिए तयार करती है
02:55धीरे धीरे भटकता मन स्थिर दीपक की लौकी तरह शान्त हो जाता है
03:01कृष्ण एक सच्चे योगी की द्रिष्टी के बारे में बताते है
03:06जो सुख और दुख में समान रहता है
03:10जो साधु, गाय, हाथी, कुत्ते और चांडाल को समान रिष्टी से देखता है
03:15वही सच्चा योगी है
03:17इससे पता चलता है कि योगी हर प्राणी में समानता देखता है
03:22योगी द्वंद्वों से परे हो जाता है
03:26सुख़दुख, सफलता-सफलता और हर प्राणी को समान दृष्टी से देखता है
03:31आज की दुनिया में जहां भेदभाव बढ़ता जा रहा है
03:36यह संदेश हमें मानवता के प्रती करुना और समानता सिखाता है
03:40कृष्ण ध्यान के लाभों का वर्णन करते है
03:45जब मन सभी इच्छाओं से मुक्त होकर स्थिर हो जाता है
03:50तब योगी आत्मा के आनंद का अनुभव करता है
03:53यहां आनंद किसी बाहरी चीज़ पर निर्भर नहीं है
03:58बलकि आत्मा से जुड़ने का सुख है
04:01कृष्ण अर्जुन को आश्वस्ट करते हैं
04:05योग में किया गया कोई भी प्रयास व्यर्थ नहीं जाता
04:09यहां तक की थोड़ी प्रक्ती भी बड़े भय से मुक्ती दिलाती है
04:13यहां हमें प्रेरित करता है कि हर छोटा कदम हमें हमारे उच्चतम लक्षे के करीब ले जाता है
04:21अध्याय के अंत में तृष्ण कहते हैं
04:26सभी योगियों में जो प्रेम और श्रधा से मेरी भक्ती करता है वही सबसे श्रिष्ट है
04:32यहां भक्ती की शक्ती पर जोर दिया गया है
04:36जो व्यक्ती प्रेम और समर्पन के साथ इश्वर से जुड़ता है
04:42वह सभी मार्गों से उपर उठकर मोक्ष प्राप्त करता है
04:46ध्यान योग हमें संतुलन, करुणा और शांती का मार्ग दिखाता है
04:51प्रति दिन कुछ मिंटों का ध्यान शुरू करें
04:55और देखें कि कैसे भगवत गीता का ज्यान आपके जीवन को बदल देता है
05:00इस वीडियो को देखने के लिए धनियवाद
05:04यदि आपको यह वीडियो पसंद आया हो तो इसे लाइक, शेर और स्टार बेजना न भूले
05:10अगली बार तक शांती और प्रेना के साथ रहें
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