Mission Bhagavad Gita – Day 28 | अध्याय 1 श्लोक 27 | अर्जुन का द्वंद्व – अपने ही प्रियजनों से युद्ध?
Hare Krishna 🙏 “Mission Bhagavad Gita – श्लोक दिवस 28” में आज हम देखेंगे अर्जुन का आंतरिक संघर्ष। जब उन्होंने अपने श्वशुर, मित्रों और प्रिय संबंधियों को युद्धभूमि में खड़ा देखा, तो उनका मन द्रवित हो उठा। उन्होंने सोचा — क्या धर्मयुद्ध में अपने ही लोगों का वध उचित है?
यह श्लोक हमें सिखाता है कि जीवन में निर्णय लेते समय हृदय और धर्म — दोनों की कसौटी पर खुद को परखना चाहिए। गीता हमें यही बताती है — जब मन विचलित हो, तब ज्ञान ही मार्ग दिखाता है।
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00:00हरे एक कृष्ण दोस्तों, मिशन भगवत गीता श्लोक दिवस 28, अध्याए एक, श्लोक 27, श्वशुरान सुहरिदस चैव, सेन्यो रूभ्योर्पी, तांसमीक्षिस कौनते सर्वान बंधून वस्थितान, भावार्त, अर्जुन ने जब दोनों सैनाओं में अपने श्वश
00:30क्या मैं अपने ही प्रियजनों के विरुद्ध यूद्ध कर सकता हूँ? ये तो मेरे अपने है, मैं इन्हे कैसे मार सकता हूँ? क्या धर्म युद्ध में अपनों का वद भी उचित है? कभी-कभी जीवन में निर्ने लेने से पहले, हृदय भी पूछता है, ये सही है या �
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