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00:00अमेर ननद की गरीब भाभी रीना एक मध्यम परिवार की लड़की थी लेकिन उसकी भाभी शिवानी एक बड़े घर की बेटी शिवानी की शादी अभिशेक से लव मैरेश थी
00:19अरे भाभी ये कितना अच्छा सुट पहना है आपने काश ऐसा मैं भी पहन पाती अरे क्यों नहीं रीना वैसे भी तुम्हारा और मेरा नाप तो एकी है जब मन करे पहन ले न भाभी आपको आपके पापा ने कितने अच्छे कपड़े गहने दिये हैं
00:37मैं उनकी इकलोती बेटी जो हूँ पेटी तुम मैं भी इकलोती हूँ लेकिन क्या करे पापा है नहीं पता नहीं कैसे होगी मेरी शादी
00:49तभी वहाँ शिवानी के सास आ जाती है
00:52अरे क्यों नहीं करेगा भाई तेरी शादी धुमधाम से आखेर जिम्मदारी है तो उसकी
01:01और वो दिन भी आ जाता है जब रीना के शादी तई हो जाती है
01:05अभिशी क्या हुआ आप इतने परिशान तो कभी नहीं दिखे
01:11कोई बात है तो बताईए मुझे
01:13अरे शिवानी वैसे तो शादी का सारा इंतजाम हो गया है
01:18लेकिन गहनों का रेट तो आसमान छू रहा है
01:21कैसे क्या करू कुछ समझ में ही नहीं आ रहा
01:24थोड़ी दिर में शिवानी अपने पूरे गहने अभिशीक के सामने रख देती है
01:31ही लीजिए गहनों का इंतजाम भी हो गया
01:34अरे नहीं नहीं शिवानी मैं ये गहने किसी हालत में भी नहीं ले सकता
01:38ये तुम्हारे पिता ने तुम्हें दिया था और तुम हो की
01:42तब ही वहां सास आ जाती है
01:44आरे तो क्या हुआ इसकी तो हो गई ना शादी अब किसे दिखाने है इसने गहने
01:52सास गहनों का डिब्बा शिवानी के हाथ से लेकर वहाँ से चली जाती है
01:57रीना की शादी धूम धाम से होती है और अब वो बड़े घर की बहु बन जाती है
02:02वहीं रेना के शादी के बाद शिवानी और अभिशेक उसकी शादी के कर्जों से डूब जाते हैं
02:10मैं सोच रही हूँ नौकरी करने शुरू कर दूँ वैसे भी पड़े लिखे हूँ आपकी थोड़ी मदद भी हो जाएगी
02:16वैसे शिवानी कुछ दिन कर लो तो अच्छा ही होगा क्योंकि जरूरत भी है
02:23अब शिवानी भी नौकरी करने लगती है और घर खर्चे में अभिशेक का हाथ बटाती है एक दिन
02:30शिवानी रीना का फोन आया था कह रही थी कि आने वाले त्योहार में उसके ससुराल जाना है
02:39ठीक है मा आरे ठीक तो है लेकिन एक काम कर लेना उसके साथ ससुर से लेकर पूरे खांदान के का पड़े मिठाया सब ले आना
02:50और हो सके तो रीना के लिए छोटे से कान में पहनने के बुंदे भी और क्या है ना शादी में उसे सारी बड़ी बड़ी कान की जररी दी थी
03:03घर में पहनने के लिए तो उसके पास कुछ भी नहीं है
03:06शिवानी सोच में पड़ जाती है कि वो क्या करे क्यूंकि कर्जों और घर की खर्चों के बाद तो पैसे बचते ही नहीं थे
03:14शिवानी फिर अपने पिता को फोन करती है और उनसे पैसे मांगती है
03:18देखो शिवानी मैंने तुम्हें शादी के वक्ती मना किया था कि ऐसे घर में शादी करनी ही नहीं चाहिए
03:25अरे अभीशेक को शेर मानी चाहिए जो ससुराई से पैसे मंगवा रहा है
03:30शिवानी को पिता की बात पर गुस्सा आजाता है
03:34आप मेरे पिताजी है और मैं परेशान थी इसलिए आपसे मदद की उम्मीद की पापा
03:39अभीशेक को तो पता भी नहीं है कि मैंने आपसे पैसे मांगे है
03:43शिवानी सोचती है कि वो अभीशेक से बात करे लेकिन फिर उसे लगता है कि वो टेंशन ले लेगा
03:49तब शिवानी की नजर हाथ के कंगन पर पड़ती है सीधे बाजार जाती है और उसे बेच कर ननत के घर ले जाने का सारा सामान लेकर आती है और सास के सामने रख देती है
04:00ठीक है लेकिन फल थोड़े और अच्छी क्वालिटी के होने चाहिए थे
04:07शिवानी कुछ नहीं कहती, वहाँ से चली जाती है, एक दिन
04:12शिवानी, रीना का पॉन आया था, बहुत रो रही थी
04:18क्यों मा, क्या हुआ, सब ठीक तो है ना उसकी ससुराल में
04:22अरे तुने तो उसकी नाख ही कटवा दी
04:26अब मैंने क्या कर दिया मा
04:28कह रही थी, कि बड़े घर की बहु है भाबी, जो कपड़े दिये वो ब्रैंडेड भी नहीं थे
04:36तु तो जानती है ना, उन लोगों का पहनावा कितना अच्छा है
04:41तु तो मेरी बेटी का बला कपी सोचती नहीं
04:46आए भगवान, अरे बड़े घर की बहु है, इसी बात की जलन है ना तुझे
04:52लेकिन याद रख, मेरी बेटी का सोचने के लिए भगवान है
04:58तुम लोग कभी उसका बुरा नहीं करपा होगे
05:02अब शिवानी के मन में सवाल था
05:05कि क्या इश्वर सिर्फ रीना के साथ है, उसके साथ नहीं
05:11लेकिन उसे सुकून था कि वो अभिशेक के साथ
05:14उसके जिम्वदारियों को निभाने में बराबरिक की हगदार है
05:18शिवानी वहाँ से चली जाती है, वो साथ से कुछ नहीं कहती, क्योंकि अमेर घर की बहु बन कर, रीना को भले ही सुकुन ना हो, लेकिन गरेब घर की बहु बन कर, शिवानी खुश है, क्योंकि खुशी पैसों से नहीं, परिस्थितियों पनिर्भर करती है
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