मध्यप्रदेश के उज्जैन में क्षिप्रा नदी के किनारे स्थित भूखी माता मंदिर में माता के सामने ना सिर्फ पशुओं की बलि दी जाती है. बल्कि उन्हें शराब भी चढ़ाई जाती है। प्रशासन के लोग खुद यहां माता को मदिरा चढ़ाते हैं. ऐसा कहा जाता है कि प्राचीन काल में यहां नरबलि की प्रथा थी. भोग माता बारी-बारी से हर रोज एक घर से एक शख्स की बलि लेती थी. जिसे लोग खौफ में थे। राजा विक्रमादित्य उस पीड़ित परिवार के घर के पास से गुजर रहे थे, उन्हें जब बलि प्रथा की जानकारी मिली तो उन्होंने बड़ी ही चतुराई से माता को प्रसन्न किया और नरबलि प्रथा को खत्म कराया. राजा विक्रमादित्य ने नगर से बाहर क्षिप्रा नदी के किनारे माता का मंदिर स्थापित किया. भोगमाता की बहनों ने उनका नाम भूखी माता रखा. तब से यहां भूखी माता और मां भुवनेश्वरी की पूजा होती है.
00:00ुजयन में शिप्रा नदी के किनारे इस्धित इस मंदिर में माता के सामने ना सिर्फ पशू की बली दी जाती है बलकि उने शराब भी चड़ाई जाती है प्रशासन के लोग खुद यहां माता को मदीरा चड़ाते हैं
00:20ऐसा कहा जाता है कि प्राचिन काल में यहां नर्बली की प्रथा थी भोग माता बारी बारी से हर रोज एक घर से एक शक्स की बली ले दी थी जिससे लोग खौफ मिठे
00:50राजा विक्रमा देत्ते उस पेड़ित परिवार के घर के पास से घुजर रहे थे उन्हें जब बली की प्रथा की जानकारी मिली तो उन्होंने बड़ी ही चतुराई से माता को प्रसन किया और नर्बली प्रथा को खत्म कराया
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