Hare Krishna Dosto! रामायण में भरत जी ने श्रीराम की चरण पादुका को सिंहासन पर स्थापित किया था। यह केवल प्रतीक नहीं था, बल्कि प्रभु की उपस्थिति और भक्ति का सर्वोच्च चिन्ह था।
चरण पादुका का रहस्य:
प्रभु की उपस्थिति उनके चरण चिह्नों में भी होती है।
यह भक्ति, समर्पण और विनम्रता का सर्वोत्तम प्रतीक है।
हमें सिखाती है कि सच्ची भक्ति में केवल प्रभु का नाम और चरण ही पर्याप्त हैं।
यह कथा हमें प्रेरित करती है कि भक्ति का मूल सार श्रद्धा और समर्पण है।
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00:00रामायन में भरत जी ने श्रीराम की चरण पादुका को सिनहासन पर रखा था। ये केवल प्रतीक नहीं, बल्कि ये दिखाता है कि प्रभू की उपस्थिती उनके चरण चेनों में भी होती है।
00:12चरण पादुका भक्ती और समर्पन का सबसे बड़ा प्रतीक मानी जाती है। ये हमें सिखाती है कि सच्ची भक्ती में केवल प्रभू के नाम और चरण ही परियाथ है।
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