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Bhagavad Gita Day 14 | अध्याय 1 श्लोक 14 | युद्ध की ध्वनि – शंख और नगाड़े

अध्याय 1, श्लोक 13 :

“ततः शङ्खाश्च भेर्यश्च पणवानकगोमुखाः।
सहसैवाभ्यहन्यन्त स शब्दस्तुमुलोऽभवत्॥”

इस श्लोक में कौरवों की सेना द्वारा शंख और युद्ध वाद्य बजाने की तीव्र ध्वनि का वर्णन है।
वो आवाज़ इतनी प्रचंड थी कि पूरा कुरुक्षेत्र युद्ध के उत्साह और भय से गूंज उठा।
यह दृश्य युद्ध के आरंभ की गंभीरता और माहौल को दर्शाता है।

इस श्रृंखला में हम प्रत्येक दिन गीता का एक श्लोक लेकर उसके भावार्थ को समझेंगे।
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Hare Krishna!

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Transcript
00:00आज के भगवद गीता श्लोक दिवस चौदर में प्रस्तोत है।
00:03अध्याएं एक, श्लोक तेरा, ततर शंखाष्ट भेरियष्ट पनवांगो मुखाएं, सहसे वाभ्यहन्यंत सशब्दस्तु मुलोगवद, फिर अचानक, शंख, भेरी, नगाडे, मृदंग और नरसिंगे, इन सभी वाद्ययंत्रों की आवाजे एक साथ गूंज उठीन, वो
00:33पूरी तरह तैयार थी युद्ध के लिए, भावार्थ, इस श्लोक में युद्ध आरंभ होने की तीवरता और माहौल का वर्णन है, कौर्वों की सेना ने जब अपने शंख और युद्ध वाद्य बजाए, तो वो ध्वनी इतनी भयानक और जोशीली थी, कि पूरे कुर�
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