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Kyun Tooti Murti Ki Pooja Mana Hai | क्यों टूटी मूर्ति की पूजा मना है? | जानिए शास्त्रों से असली कारण | Hare Krishna Bhakti Vibes
🙏 नमस्कार दोस्तों,
आज के इस वीडियो में हम एक बेहद महत्वपूर्ण प्रश्न का उत्तर जानेंगे –
“क्यों टूटी मूर्ति की पूजा मना है? क्या इसके पीछे केवल परंपरा है या शास्त्रों और विज्ञान का गहरा कारण भी है?”

शास्त्रों और पुराणों में स्पष्ट उल्लेख मिलता है कि टूटी हुई मूर्ति की पूजा क्यों वर्जित है।
👉 इसमें हम जानेंगे:

मूर्ति पूजा का महत्व

शास्त्रों का नियम

आध्यात्मिक और वैज्ञानिक कारण

टूटी मूर्ति होने पर क्या करना चाहिए

आइए जानें, क्यों टूटी मूर्ति को पूजा योग्य नहीं माना जाता और भगवान की सही भक्ति कैसे की जाए।

जय श्री कृष्णा।

In this video we explore an important question:
“Why is the worship of broken idols forbidden? Is it just tradition, or does it have deep scriptural and scientific reasons?”

With references from scriptures, we’ll understand:

The spiritual purpose of idol worship

Why broken idols lose purity

The psychological and scientific aspects

What to do when an idol breaks

Discover the true reason why broken idols are not worshipped, and how devotion must remain pure in the heart.

Hare Krishna.

#HareKrishna #BhaktiVibes #MurtiPuja #HinduShastra #Spirituality #SanatanDharma #BrokenIdol #Bhakti #KrishnaBhakti #SanatanGyan

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Transcript
00:00नमस्कार दोस्तों, आपका स्वागत है हमारे चैनल हरे क्रिश्न भक्ति वाइब्स में।
00:18आज हम एक बहुत ही महत्वपुन और अकसर पूछे जाने वाले प्रश्न का उत्तर जानेंगे।
00:24क्यों तूटी मूर्ती की पूजा मना है? जानिये शास्त्रों से हम सबने मंदिरों में या घरों में कई बार देखा है कि कोई मूर्ती तूट जाए या उसका हाथ, पैर या सिर तूट जाए और अकसर परिवार या पुजारी कहते हैं इस मूर्ती की पूजा मत करो, इसे हटा
00:54इसके पीछे कोई गहरी आध्यात्मिक और वैज्ञानिक वजब ही है।
00:58आज हम इस रहस्य को विस्तार से जानेंगे।
01:02सबसे पहले ये समझना जरूरी है कि हिंदु धर्म में मूर्ती पूजा
01:06सिर्फ सांकेतिक या बाहरी परंपरा नहीं।
01:10बलकी आध्यात्मिक साधना का एक माध्यम है।
01:13शास्त्रों में कहा गया है कि भगवान का स्वरूप नश्वर नहीं है।
01:18लेकिन उनकी मूर्ती या रूप हमारे समझने के लिए असली दिव्यता का प्रतीक है।
01:23मनुष्य जब किसी मूर्ती के सामने ध्यान लगाता है, उसके हृदय और मन को भगवान से जोड़ता है।
01:30इस प्रक्रिया को प्रतीमा भक्ती कहते हैं। लेकिन ध्यान दीजिए।
01:35ये केवल तभी संभव है जब मूर्ती संपूर्णा और अखंड हो।
01:39हमारे पुरान और धर्म शास्त्र इस विशय में स्पष्ट है।
01:43स्मृती शास्त्रों में लिखा है कि तथास्तु मूर्तिय पवित्रा यदी अंशभंगितावा अर्थात मूर्ती का कोई अंग तूट जाए तो उसे शुद्ध नहीं माना जाता।
01:55ग्रंथों का कारण
01:57एक मूर्ती में ईश्वर का निवास माना जाता है।
02:01जैसे मंदिर में स्थापित मूर्ती में प्रान प्रतिष्ठा की जाती है।
02:05अगर मूर्ती तूटती है तो उसके अंग भी आध्यात्मिक रूप से अखंड नहीं रह जाते।
02:11दो पूजा करने वाले मन का ध्यान और श्रद्धा मूर्ती के पूर्ण स्वरूप पर केंद्रित होती है।
02:18तूटे हिस्से वाले स्वरूप में ध्यान भंग हो सकता है।
02:21इसलिए शास्त्रों में कहा गया है कि तूटी मूर्ती की पूजा उचित नहीं।
02:26हिंदु धर में केवल बाहरी कारण नहीं
02:29बलकि आध्यात में कारण भी बताए गये है
02:32भगवान का रूप पूणता का प्रतीक है
02:35जब मूर्ती का कोई अंग तूड जाता है
02:38तो ये अपूणता का प्रतीक बन जाता है
02:41ऐसी मूर्ती के सामने भक्ती करने से
02:43मन में ध्यान और स्थिर्टा नहीं बनी रहती।
02:47शास्त्र कहते हैं, अखंड मूर्तिय रिद्याई स्थिर्टा दाती।
02:51अर्थात केवल संपूर्ण मूरति ही रिदय को स्थिर्टा और श्रद्धा देती है।
02:57पुराने समय में भी मंदिरों और राजाओं के समय,
03:00जब मूर्ती किसी कारणवश तूटती थी
03:03एक मूर्ती का प्रती स्थापन तुरंत किया जाता था
03:07दो केवल पुरानी तूटी मूर्ती को नदी में विसरजित
03:11या विशेश थान पर अंतिम संसकार किया जाता था
03:15उदाहरन के लिए पंडित्यकाल
03:18किसी भी अंशभंगित मूर्ती को मंदर से हटा कर
03:22विशेश विधी से विसर्जित किया जाता था
03:25ऐसा करने का कारण था कि मूर्ती में स्थापित प्राण,
03:30शक्ती, सुरक्षित रूप से छोड़ दिया जाए
03:32ये दर्शाता है कि ये सिर्फ परंपरा नहीं
03:36बलकि शास्त्रिक और आध्यात्मिक नियम है
03:39कुछ लोग सोचते हैं कि अगर मूर्ती का छोटा सा हिस्सा तूट जाए
03:43तो क्या पूजा पूरी तरह से मना है?
03:46शास्त्रों में साफ कहा गया है
03:48अल्ब दोश वाली मूर्ती केवल घर पर पूजा से हानी नहीं होती
03:52लेकिन मंदिर या सारवजनिक पूजा में इसे न लगाया जाए
03:57मुख्य अंग तूटने वाली मूर्ती
04:00जैसे सिर, हाथ या पैर इसे पूजा के लिए उप्योक्त नहीं माना जाता
04:05यहाँ ध्यान दे
04:06भक्ती का उद्देश्य भगवान से जुड़ना है
04:09न कि केवल मूर्ती को पूजना
04:12दोस्तों, कभी कभी हम सोचते हैं कि ये केवल धार्मिक अंध विश्वास है
04:17लेकिन वैज्यानिक दृष्टी से भी इसका अर्थ है
04:20एक ध्यान और मनो विज्यान
04:23जब हम किसी पूर्णा और सुन्दर वस्तु को देखते हैं
04:27हमारा मन एकाग्र और शांत रहता है
04:30तूटे हुए रूप को देखकर मानसिक ध्यान भंग हो सकता है
04:34दो सुरक्षा और स्वच्छता
04:36तूटी मूर्ती के टुकडे चोट या दुरघटना का कारण बन सकते हैं
04:41इसलिए प्राचीन समय में इसे विशेश विधी से विसर्जित किया जाता था
04:46इस प्रकार शास्त्र और विज्ञान दोनों इसे उचित मानते हैं
04:52यदि घर की मूर्ती तूट जाए
04:53एक उसे पूजा से हटा दे
04:56दो यदि संभव हो
04:58मंदिर में दान करे
04:59तीन छोटी वस्तू या टुकडा विशेश विधी से नदियों में विसर्जित करे
05:04नई मूर्ती की स्थापना करते समय
05:07पहले प्राण प्रतिष्ठा विधी करे
05:10शुद्ध स्थान, साफ पानी और धूब दीब से वातावरन पवित्र बनाए
05:16याद रखे
05:17भगवान का उद्देश्य हरिदय में श्रधा और भक्ती है
05:22न की केवल मूर्ती
05:23एक मूर्ती की संपूर्णता जरूरी है
05:26दो पूजा का मूल उद्देश्य, हरिदय और मन का भगवान से जुड़ना है
05:31तीन तूटे अंग वाली मूर्ती शास्त्रों के अनुसार पूजा के योग्य नहीं
05:36चार नई मूर्ती स्थापित करते समय शुद्धी और विधी का ध्यान रखे
05:42दोस्तों, तूटी मूर्ती की पूजा मना होने का कारण केवल बाहरी कारण नहीं है
05:48ये आध्यात्मिक, शास्त्रिक और मानसिक स्थिर्दा का नियम है
05:53भगवान को हमारी श्रद्धा, भक्ती और हृदय की शुद्धता पसंद है
05:59मूर्ती केवल एक माध्यम है
06:01हृदय में भक्ती और श्रद्धा का अनुभव सबसे महत्वपोन है
06:05इसलिए जब कोई मूर्ती तूट जाए
06:08तो उसकी पूजा छोड़कर नई मूर्ती की स्थापना करे
06:12और हृदय में भगवान के प्रती प्रेम और श्रद्धा बनाए रखे
06:16जैसा कि भगवान श्रीमत भागवत गीता में कहते है
06:20अर्थात जब धर्म की हानी होती है
06:30भगवान धर्म की स्थापना के लिए अफ़तार लेते है
06:33हमारी श्रद्धा और भक्ती इसी धर्म की स्थापना का हिस्सा बनती है
06:38दोस्तों अगर आपको ये वीडियो पसंद आया
06:41और आपके जीवन में कुछ मूल्य जोड़ा हो तो जुड़े रहिए हमारे साथ
06:46जै श्री कृष्णा
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