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Chandra Grahan 2025 :रविवार 7 सितंबर को पितृपक्ष पूर्णिमा पर साल का दूसरा चन्द्र लगा था और अब 15 दिन बाद साल का आखिरी सूर्य ग्रहण लगेगा। यह ग्रहण 21 सितंबर 2025 को पितृपक्ष अमावस्या पर कन्या राशि और उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में लगेगा।, हालांकि यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा और ना ही सूतक काल मान्य होगा।ग्रहण के समय सूर्य चंद्रमा और बुध कन्या राशि और शनि मीन राशि में रहेंगे।

Chandra Grahan 2025: On Sunday, September 7, the second lunar eclipse of the year took place on Pitru Paksha Purnima and now after 15 days, the last solar eclipse of the year will take place. This eclipse will take place on September 21, 2025 on Pitru Paksha Amavasya in Virgo and Uttara Phalguni Nakshatra. However, this eclipse will not be visible in India and neither will the Sutak period be valid. At the time of the eclipse, the Sun, Moon and Mercury will be in Virgo and Saturn will be in Pisces.

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~PR.338~HT.408~GR.124~

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00:00चंद्री ग्रहन लगने के बाद अब लगेगा साल का दूसरा सूरी ग्रहन
00:18कब लगेगा सूरी ग्रहन
00:20क्या भारत में होगा इसका असर?
00:25यहाँ जानिये इसके हर सवाल का जवाब
00:30जीहां रविवार साथ सितंबर को पित्रपक्ष फूरिमा पर साल का दूसरा चंद्री ग्रहन लगा
00:34और अब 15 दिन बाद साल का आखरी सूरी ग्रहन लगने वाला है
00:38इसे लेकर लोगों के बीच जवर्दत उस्सा का माहोल है
00:42खगोल भी थी नहीं बलकि आम लोग भी इसकी बेसबरी से प्रतिक्षा कर रहे है
00:46इस साल का पहला सूरी ग्रहन मार्च में लगा था
00:49अब सितंबर बेहत खास होने वाला है
00:52क्योंकि साथ सितंबर को जहाँ साल का दूसरा और आखरी चंद्रग्रण दिखाए दिया
00:56वहीं इसके बाद इसी महीने दूसरा और अंतिम सूरी ग्रहन भी लगेगा
01:01यहाँ एक आंसिक सूरी ग्रहन होगा
01:03अबाईया को अताते हैं आखरी यह सूरी ग्रहन कब लगने वाला है
01:2121 सितंबर को रात 11 बज़े से शुरू होकर 22 सितंबर को सुबा 3 बच कर 24 मिनट तक यह सूरी ग्रहन रहेगा
01:29ग्रहन के समय सूरे चंदर्मा और बुद्ध कर्णया राशी और सनी मीन राशी में रहेंगे
01:35यह सूरी ग्रहन भारत को छोड़कर आस्ट्रेलिया अंटार्टिका प्रशांद महासागर अंटार्टिका महासागर में दिखाई देगा
01:48या ग्रहन भारत में इसलिए नहीं दिखेगा क्योंकि ग्रहन की अवधी के दौरान भारत में रात होगी और इसका सूर्टक काल भी मानने नहीं होगा लेहाजा इस सूर्य ग्रहन का असर भारत में नहीं होगा वहीं से पहले भी इस तरह की घटनाएं हो चुकी हैं
02:03अबायाक बताते हैं किससे पहले इस तरह की घटनाएं कब हुई थी
02:12पित्रपक्ष की आरम में 7 सितंबर 2006 भाद दिपरत पूरिमा पर आंस्विक चंद ग्रहण था जो की भारत में दिखा था
02:20इसके 15 दिन बाद पित्रमोक्ष अमावस्या 22 सितंबर 2006 को वलियाकार सूरिग्रहण था जो की भारत में नहीं दिखा था
02:28इसके पहले 1978 में भी यह हो चुका है जोकि पित्रपक्ष का आरम 16 सितंबर 1978 को पूर्ण चंद ग्रहण से होकर 2 अक्टूबर 1978 को आंस्विक सूरिग्रहण के साथ समाप्थ हुआ था
02:40दरसल सूरिग्रहण तब लगता है जब सूरिग्रहण और धरती एक सीध में लाइन में आ जाते हैं इस लाइन में आने के लिए दो चीज़ें जरूरी होती हैं सबसे पहले चांद को आमावस्या के फेज में होना चाहिए यानि जब चांद अपनी कक्षा में घुमते घु
03:10बस इतना ही बाकिया बेट लिए बने रहिए वन इंडिया हिंदी के साथ
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