Hobo Sexuality | होबोसेक्सुअलिटी नए जमाने का रिश्ता या किराए के घर की व्यवस्था? | Hobosexuality | होबोसेक्सुअलिटी आधुनिक जीवनशैली, नए ज़माने का रिश्ता या फिर घर के किराए की व्यवस्था? | होबोसेक्सुअलिटी (Hobosexuality) एक ऐसा पाश्चात्य ट्रेंड है जिसका चलन आज भारत के महानगरों में बेहद तीव्र गति से हो रहा है. मुंबई, दिल्ली, बेंगलुरु जैसे महानगरों में ये चलन आम हो चूका है. कुछ लोग इसे आधुनिक जीवन शैली कह रहे हैं तो कुछ लोग इसे लिव इन रिलेशनशिप भी कहते हैं. हालाँकि होबोसेक्सुअलिटी (Hobosexuality) लिव इन रिलेशनशिप से थोडा अलग है, जिसे समझाने की जरुरत है. भारत के बड़े शहरों में तेजी से बढ़ रहा ये चलन भारत की सामाजिक व्यवस्था को भी तेजी से बदल रहा है
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00:00नमस्कार मैं हूँ शिखायाता और आप देख रहे हैं गंगा नियूस
00:03आज हम एक ऐसे समाजिक मुद्दे के उपर बात करेंगे जो बेहतीवर गती से हमारे महानगरों में जीवन शैली का हिस्सा बन रहे हैं
00:11होबो सेक्ष्वालिटी एक ऐसा पास्चाती ट्रेंड है जिसका चलन आज भारत के महानगरों में बेहतीवर गती से हो रहा है
00:18मुंबई, डेली, बैंगलोर जैसे महानगरों में ये चलन आम हो चुका है
00:22कुछ लोग इसे आजुनिक जीवन शैली कह रहे हैं तो कुछ लोग इसे लिवन रिलेशनशिप भी कहते हैं
00:28हाला कि होबो सेक्ष्वालिटी लिवन रिलेशनशिप से थोड़ा अलग है जिसे समझाने की जरूरत है
00:33भारत के बड़े शहरों में तेजी से बढ़ रहा ये चलन भारत की समाजिक व्यवस्था को भी तेजी से बदल रहा है
00:41होबो सेक्ष्वल शब्द मूल रूप से पश्चिमी इंटरनेट कल्चर से उबरा है
00:51जिसका इस्तिमाल बोलचाल की भाशा में ऐसे इंसान के लिए किया जाता है
00:55जो खास तोर से रहने की जगा हासल करने के लिए डेटिंग करता है या रिष्टा बनाता है
01:01अर्थात होबो सेक्ष्वालिटी एक ऐसा रिष्टा है जिसमें कोई इंसान घर और वित्तिय मदद के लिए किसी रोमांटिक रिष्टे में आता है
01:09अगर खुले शब्दों में कहें तो इस तरह के रिष्टे प्रेम या सामाजिक न होकर विशुद आर्थिक और रणनी तिक होते हैं
01:17अगर हम भारत के सांस्कृतिक परिपेक्ष में इस तरह के रिष्टे को देखें तो होबो सेक्ष्वालिटी जैसे शब्द अपने आप में थोड़ा असहर जैसा लगता है
01:28लेकिन जो हाकीकत है उससे आख बंद करना या इसे हलके में लेना सही नहीं होगा
01:34क्योंकि आज ये ट्रेंड भारत के शहरी क्षेत्र में चुक चाप और बहुत तेजी से उभर रहा है
01:39हम भी उसी समाज का हिस्सा है जिसमें आज होगो सेक्ष्वालिटी जैसा रिष्टा फल फूल रहा है
01:46भारत की संस्कृती में पहले अरेंज मैरिज का ही चलन था लेकिन बदलते वक्त के साथ 80-90 की दशक में प्रेम विवाह का चलन बढ़ा और जातियों के बंधन तूटने लगे
02:01फिर पिछले दो दशक में लिविन रिलेशन का दौर चल पड़ा बदलते परिस्तिती सामाजिक बंधन और कानूनी दबाफ के चलते नई पीडी की उनमुक्त सोच के युवाओं ने किसी भी प्रकार के बंधन में बंधने से बचते हुए लिविन रिलेशन्शिप को अप
02:31अब सवान उठता है कि होबो सेक्श्यालिटी और लिविन में क्या अंतर है दरसल लिविन में जहां दो कपल प्रेम तो करते हैं लेकिन बिना विवा के या बिना किसी बंधन या स्थाई कमिट्मेंट के एक साथ रहना स्वीकार करते हैं
02:52वहीं होबो सेक्श्यालिटी का आधार फ्रेम न होकर आर्थिक होता है होबो सेक्श्यालिटी में महानगरों के बढ़ते खर्च और घरों के महंगे किराय के बोच को कम करने के लिए कफल एक साथ रहना स्वीकार करते हैं
03:06भारत के महानगरों में होबो सेक्शुालिटी जैसे रिष्टे के तेजी से बढ़ने के पीछे की वज़ा क्या है
03:18दरसल मुंबई, बैंगलोर या डेली जैसे महानगरों में काम कर रहे पेशेवर वयस्क्यों के लिए
03:24शहरों में घर खरीदना तो दूर किराय शुकाना का काफी मुश्किल होता है
03:28किराय शुकाने में ही उनकी मासिक आय का आधा हिस्सा खर्श हो जाता है
03:33अगर डेलॉइट द्वारा की गए 2025 जैन जी और मिलेनियल वर्क सर्वे की बात करें
03:39तो ये बताती है कि 2025 में मिलेनियल और जैन जी के 50 प्रतिशत से ज्यादा कर्णचारी बड़ी मुश्किल से महीने का खर्शा चला पा रहे हैं
03:49और उनकी सेविंग न के बराबर है
03:51महनगरों में अवास की लागत अक्सर एक व्यक्ति की आयका 40 से 50 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सा निगल जाती है
03:59मुंबई जैसे शहर में एक बेड्रूम फ्लैक का मासिक किराया कई हाई प्रोफाइल इलाफों में 35,000 से 50,000 तक है
04:07ऐसे में महेंगे किरायों के साथ साथ अकेले रहने की लागत और शहरी जीवन की भावनात्मत अकेला पन
04:14ये सब मिलाकर होबो सेक्शुयलिटी जैसे एक नई तरह की रिलेशन्शिप ट्रेंड को जन्द दे रहे हैं
04:20इस बात को कहने में थोड़ी असहज़ता जरूर होती है लेकिन ये सच्चाई है
04:33कि महानगरों में काफी लोग प्रेम की वज़ा से कम और रहने की जगा के लिए ज्यादा रिष्टों में आ रहे हैं
04:39ऐसे लोग अक्सर सीरियल डेटर्स होते हैं जिनका कोई दीरगालिक रिष्टे का कोई इरादा नहीं होता
04:46अब अगर आर्थिक खर्चों के बोच को कम करने घर बसाने के सामाजिक दबाव और अपने संगर्ष और उपलब्दियों का दिखावा करने
04:54और दूसरों पर एहसान करने की भावना को एक साथ जोड ले तो एक ऐसा महौल तयार होता है जो होबो सेक्शुयलिटी को पनपने और फलने फूलने का अनुपूल महौल देता है
05:07इस तरह के रिष्टे काफी सुविदाजनक और आकरश्रत तो लगते हैं लेकिन दूसरी तरफ ये खतरनाग भी होते हैं क्योंकि इसमें आप सिर्फ किराया नहीं दे रहे होते बलकि साथ रहने के ब्रह्मे जी भी रहे होते हैं
05:29जैसे जैसे होबो सेक्ष्वालिकी के रोमांटिक पहलो सामने आते हैं भावनात्मक दूविदाए भी हो बढ़ती हैं हाला कि सच्चा प्यार ऐसी परिस्किरी में भी पनख सकता है लेकिन भावनात्मक भ्रह्म समाजिक विसंगती और भविश्य की दूविदा कभी-कभी �
05:59भावनात्मक हेर फेर और रिष्टों में शक्ति संतुनन का भी मामला है यह रिष्टा उपर से तो प्यार भरा लगता है लेकिन अंदर से एक पार्टनर दूसरे पर ज्यादा निर्भर रहता है लंबे समय तक ऐसे रिष्टों में रहने से एक व्यक्ति की बचत और वित्य
06:29हो जाता है और दूसरा पार्टनर भावनात्मक रूप से खुद को कमजोर और असहज महसूस करता है अन्दता यह रिष्टा वैचारिक भावनात्मक और आर्थिक बोज बन जाता है और समय के साथ टॉक्सिक भी हो जाता है
06:43ना तो हम बदलते आर्थिक और असमाजिक परिवेश को नकार सकते हैं और नहीं रिष्टो की बदलती परिभाषा को नकार सकते हैं
06:59फिर इस नई परिस्तिती में एक स्वस्त रिष्टा बने और फ्रेम से चले इसके लिए समाधान क्या है
07:06तो इसके लिए कुछ खास बातों का ध्यान रखे आप भले ही 11 relation में हो या homosexual relation में हो लेकिन इस बात का ध्यान रखे कि पार्टनर का आर्थिक योगदान परावर नहीं हो तो बिलकुल नगर्ण भी ना हो आपके पार्टनर की दिर्चस्पी आपकी property या पैसे के बजाय आप मे
07:36रिष्टे में दोनों का भावनात्मक और व्यवहारिक योगदान देना चाहिए आर्थिक और भावनात्मक रूप से खुद को मजबूत बनाए ताकि किसी पर मजबूरी में निर्भर ना होना पड़े यदि कभी भी ऐसा महसूस हो रहा है कि रिष्टा एक तरफा हो रहा ह
08:06रिष्टे सिर्फ सुविधा पर नहीं बलकी संभावित डिप्रेशन से लोगों को आगाह करना है ताकि रिष्टों के बदलते संभावित स्वरूप को अपनाने पर भी वो सजग और खुशाल रहें
08:27रिष्टे सिर्फ सुविधा पर नहीं बलकी सम्मान प्रेम समानता जागरुपता और भविश्य की समभावना पर भी आधारित हो अगर आप शहरी जीवन में डेटिंग कर रहे हैं तो रिष्टे में योगदान और संतुलन को लेकर शुरूआत से स्वश्ट रहें क्योंकि
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