00:00श्रीमत भगवद गीता, श्रीकृष्न कहते हैं एक जगा, जो लोग मुझे बेही रूप में स्विकार करते हैं, वे लोग ध्रमेत हैं, फिर मन में प्रेशन आता है कि मीरा बाई जब कहती हैं, मेरते हैं, तो गिरधर बोपाद दूसरों न कोई, तो वहां तो लगता है कि व
00:30पर फसी होती है, तो जो दूसरे तीसरे तल पर भी पहुँचते हैं, हम उनको सम्मान दे देते हैं, इनको लगता है कि कबीर और रही मेखी तो बात है, दिवाली के रॉकेट को इसरों का रॉकेट नहीं बोल सकते आप, पर जो मिले सबको सर पे चड़ा लो, सबको माईबा
01:00है रामचार, ताकि रामत तो के भी अलग-अलग तल है या आपको सपश्चो गया है, नमस्ते आचारी जी, मेरा नाम सारांश है, मेरे एक प्रश्न था अभी आपने कहा कि श्रीमत भगवद गीता, में श्री कृष्णी कहते हैं एक जगा, कि जो लोग मुझे बेही रूप
01:30कि मीरा भाई जब कहती थी, मेरे तो गिरधर वो पाल दूसरों न कोई, जाके सिर्फ मोर मुकुट मेरोपती सोई, तो वहाँ तो लगता है कि वो एक साकार रूप को श्री कृष्णी के रूप में दरजा दे रही हैं, संत तुलसीदार जी को भी देखें, तो वो भी साकार
02:00साल से हो गए तो तुलसीदास के ही कितने वक्तव्यों को मैंने 50 बार उद्धरत करा है, वो आपके कान में नहीं पड़े कभी, राम ब्रह्म परमारत रूपा 100 बार हम बात करते हैं, तो वो नहीं पड़ा, और राम को ही 4 तरह से देखा जा सकता है, इसको मैंने कितनी बार �
02:30राम हो की कृष्ण हो, उनको चार तलों पर देखा जा सकता है, और संतों की बात करो, तो संतों नहीं कहा कि हाँ, चार तलों पर देखा जा सकता है, लेकिन तीन तल है व्यवहार और चौथा तल है सार, तुम्हें तीन तलों पर देखना है देख लो, पर असलियत चौथे �
03:00एक राम है जिनने तुम एक खास व्यक्ति मान सकते हो, दशरत पुत्र राम, वो सबसे नीचे के हैं, फिर एक राम है जिनको तुम कह सकते हो कि प्रत्यक जीव, वो राम है, जहां कहीं भी चैतन्य अहंता है, वो राम है, वो दूसरा तल है, तीसरा तल है जहां तुम कहते हो क
03:30अहंता माने दृष्टा ही राम नहीं है दृष्टा और दृष्ट मिला करके जो समूची प्रकृत है मैं उसको राम बोलूँगा ये तीसरा तल है और चौथा तल है फिर जिसके फिर संतो निका है निर्गुण के गुणगाउंग वो चौथा है बार-बार चौथे की बात कर
04:00जौथा उपलब्ध है वहाँ पे पहले दूसरे तीसरे में क्यों फसना है अब बाकी देखो ज्यादा तर दुनिया जब पहले ही तल पर फसी होती है तो जो दूसरे तीसरे तल पर भी पहुंचते हैं न हम उनको सम्मान दे देते हैं क्योंकि 95 प्रतिशत लोग तो पहले ही
04:30ज्यादा देहा भिवानी होते हैं कि वह उच्चतम को भी देही बना देते हैं तो कोई उससे अगर उठके दूसरे पर भी आया है कि तीसरे पर भी आया है तो हम उनको सम्मान देते हैं लेकिन वह आखरी बात नहीं हो जाती
04:43इस्मृति को भी धार्मिक ग्रंथी माना जाता है पर वो आखरी बात नहीं हो जाती है आखरी बात शुर्ति होती है आखरी बात चोथा तल होता है तो इस्मृति में बहुत तरह की बाते लिखी होती हैं वो सब बाते भी अच्छी हैं सम्मान निये हैं पर वो आखरी बाते
05:13तो इसलिए करी जा रही है कि पहले से उठ जाओ भाई
05:15इसलिए नहीं करी जा रही है कि दूसरे पर ही अटक जाओ
05:18चार सीड़ियां है
05:23जो पहले पर बैठा है उसको दूसरे पर बुलाया जाता है
05:28दूसरी पर इस Color कि सीड़ी पर सोना शरूर कर देगा Mi कि दूसरी पर बोला जाता है कि आप और आगे निकल जाओ
05:36कि अधर दूसरी पर भी बुला रहा है हम ऊसको इजड़के बिल्कुल के लिकिन हो रूकनी जाएंगे
05:41तो स्मृति की बातें ज्यादा तर उन लोगों के लिए थीं जो सीधे सीधे शुरुति तक नहीं पहुंच सकते थे
05:53और स्मृति तो ऐसी चीज है जो कि लगातार विक्सित होती रही है
05:58राम चरित्मानस तो अभी हाल में लिखी गई थी
06:02उसके बाद भी अगर और भी कुछ अच्छे ग्रंथ लिख दिये जाएं तो स्मृति में हम उनको भी सम्मिलित कर लेंगे
06:11स्मृति तो ऐसे आप कहते जाएं और स्मृति इनके लिए है जिनको शुरुति समझ में नहीं आती
06:16आम आदमी था भारत में तो अगर तुम देखोगे तो जंता ज्यादा तर खेते हर थी
06:23पढ़े लेखे नहीं थे लोग और वर्ण विवस्था बन गई थी जाते बाद तो उसके कारण यह हो गया था कि पढ़ने दिया भी नहीं जाता था
06:32तो फिर संतों ने तरीके निकाले कि कैसे इन तक हम नहीं जो कुछ जानते या शिक्षित थयान पढ़ हैं तो भी इन तक हम कुछ तो बात पहुचा दें तो उसके लिए फिर किस से कहानिया यह सब करा गया है कि लो भाई तुम्हें दे दिया गया है पर कोई आखरी बात न
07:02आप बहुत पढ़े लिखे आदमियों आप आपको अगर दूसरी पर रोका जाता है तो यह आपके साथ अन्याय है और कोई अगर आपको बोल रहा है कि दूसरी सीड़ी है वही आखरी है तो जूट बोल रहा है और उसमें उसका स्वार्त है या कम से कम अज्ञान है
07:18बही 99 प्रतिशत लोग तो कृष्ण को किसी भी तरह से याद ही न करते हूं मीरा कम से कम याद तो करती थी और उस याद नहीं उनको बहुत ताकत दे दी
07:36फिर आप अगर एक एतिहासिक चरित्र की तरह देख रहे हैं मीरा बाई को तो फिर आपको संत्र रविदास को भी याद करना पड़ेगा
07:46गुरु तो वो रविदास को मानती थी
07:52और रविदास तो नहीं कहेंगे कि परमसत्ता देह लेकर खड़ी हो रही है
08:02रविदास तो उसी श्रेणी के हैं जिस श्रेणी के फिर संत्कबीर है
08:10और लगभग वो
08:15समकाली नहीं थे
08:20जगह का अंतर था बस
08:23सबको एक बराबर नत्मान लिया करो
08:27कि आपको यह लगता है कि पीछे के जितनी बाते हैं
08:33और सब एक सी बाते हैं और एक ही बात कई जा रही होगी
08:36रिल्वे स्टिशन पर चले जाएए वहाँ पर
08:39वो जो वीलर्स वाला स्टॉल होता है
08:41वहाँ पर आपको किताबे मिलेंगी ऐसे ही स्थानिय प्रकाशक होगी
08:45कबीर और रहीम के दोहे
08:47और मैं जितनी बार देखता हूं
08:50उतनी बार कहता हूं वारे जगत वारे तेरी
08:55दुर्बुद्धी
08:55इनको लगता है कि क�बीर और रहीम एक ही तो बात है
09:00भाई वो बहुत अलग लोग हैं और बहुत अलग स्थरों की बाते करी हैं हां रहीम दास अब्दुर रहीम खान खाना के दोहों में भी कुछ मूल है हम पढ़ेंगे सम्मान देंगे
09:15पर कबीर और रहीम एक सांस में कह देना मुर्खता की बात है
09:20इसी तरीके से सब संत बराबर नहीं हो जाते हैं
09:26हाँ आम आदमी की तुलना में सब श्रेष्ट होते हैं
09:29आम आदमी से सब बहतर ही हैं
09:32लेकिन आस्मान में और आस्मान में अंतर होता है
09:36आप एक दिवाली वाला रॉकेट मारते हो वो भी कहते हो आस्मान में चला गया
09:50आपके नहीं जो रॉकेट मारा था दीवाली वाला वह गया होगा 100 200 फिट
09:56कि लेकिन दोनों के लिए आप आस्मान नहीं बोल देते हो क्योंकि आप से तो दो नहीं उचे हैं
09:59दिवाली वाला रोकेट वहां में चला गया जंबो चैट भी करते आसमान में � और उसके बाद जो स्पेशक्राफ्ट होता है
10:10जो प्रत्वी के वातवर्ण का अतिक्रमन करके आऊटर स्पेस में निकल जाता है
10:18उसको भी आप यही बोलते हो देखो चला गया वो व्योम में चला गया आस्वान आकाश में चला गया
10:22अरे भाई आकाश और आकाश में बहुत अंतर होता है इसी तरीके से एतिहासिक चरितर हो एतिहासिक चरितर बहुत अंतर होता है
10:29सिर्फ इसलिए कि संत बोल दिया गया किसी को तो सब बराबर नहीं हो जाते
10:33एक एक तल की बात करता है और एक उससे बहुत आगे की बाते करता है
10:37और ये बात भी विवेक में शामिल होती है
10:43जो बिलकुल केंद्री ये वक्तव में हैं शुतिक हैं
10:49उनके इलावा किसी भी चीज़ को एपसल्यूट मत मान लेना
10:52कि देखो ये बात तो इन्होंने कही गई और इन्होंने सिर्ण को संद कहा जाता है
10:56तो हम इस बात को भी बराबर का वज़न या श्रिया देंगे ऐसे नहीं हो जाता है
11:00मिर्जा गालिब मुझे बहुत पसंद है
11:05सूफियों का उन पर प्रभाव था
11:08कहीं कहीं आप पढ़ेंगे कि मिर्जा गालिब स्वयम भी सूफि थे
11:11और उनकी बातों में कहीं कहीं पर अध्यात्मिकता जलग भी आती है
11:15पर जब आप दिवाने गालिब उठाते हो
11:18तो उसमें 70, 80, 90 प्रदिशत तो ऐसा मामला है जो कहीं से अध्यात्मिक नहीं है
11:23तो मैं उसको थोड़ी क्या दूँगा कि ये देखो ये भी इन्होंने कितनी गहरी बात बोल दी
11:28उसमें कुछ गहरी बात नहीं है
11:29हर चीज जो आपको कही गई है कि किसी उची जए से आ रही है
11:40हर नाम जो आपको उचा बता दिया गया है
11:42उसको एक बराबर इज़त नहीं दी जा सकती
11:46बहुत अंतर होता है आस्मान और आस्मान में बहुत अंतर होता है
11:49कोई 6 फुट 2 इंच का जा उसको भी आप बोल देते हैं उचा है
11:56और बुर्ज खलीफा जाओगे उसको भी कहोगे कि उची है
12:00तो 6 फुट 2 इंच और वहाँ दुबई का बुर्ज खलीफा वो एक बराबर नहीं हो गए
12:05उचा ही और उचा ही में बहुत अंतर होता है
12:07आई यह है कि आप से शायद दो नहीं उचे हैं क्योंकि आप 5 फिट के हो
12:12यह हो सकता है
12:23इसलिए इतना इतना जादा स्पष्ट करके कहा कि भाई 4 है राम चार
12:28ताकि रामत्तों के भी अलग-अलग तल है यह आपको स्पष्ट हो जाए
12:33और यह भी स्पष्ट हो जाए कि हम ऐसे अभागे हैं जो रामत्तों के सबसे निचले तल पर गिरे रहते हैं
12:42यह होता है असली संत का जादू वो सब साफ करके बता देता है
12:51हमारे यहां जैसे होता है न हम घरों में मंदिर बनाते हैं
12:54और जितने स्थानिये देवी देवता होते हैं आप जाओगे देखोगे अलग लगए बहुत सारी वाट छोट छोट छोट छोट मूर्तियां रख देंगे कई पर मूर्तियां नहीं मिलेंगी तो केलेंडर से कुछ काट करके चिपका देंगे और इस तरह से कर रखा होता है �
13:24नजाने क्यों मुझे इसमें चापलूसी की बू आती है कि जितने बड़े लोग हैं सबको नमन कर लो
13:35किसी से भी पंगे लेकर न रखो किसी को भी नाराज न करो सबसे बना कर रखो क्या पता कब किसकी ज़रूरत पढ़ जाए
13:46विवेक का मतलब है साफ जानना सार कहां है और सार कहां नहीं है
13:52दिवाली के रॉकेट को इसरो का रॉकेट नहीं बोल सकते आप हाँ आसमान की और दोनों जाते है ठीक है
14:16खूब चलता है ने इनकी भी सुन लो इनकी भी सुन लो इनकी भी सुन लो इनकी भी सुन लो सब लोग भगवान जी की तो बाते कर रहे हैं
14:32देख क्या है
14:35डर पोक
14:38टांड कॉल स्पेड स्पेड
14:46डरे हुए है किसी को भी कैसे बोल दूंगी फर्जी है कैसे बोल दूं रिस्क कैसे उठाऊं क्या पता कब किसकी दरुद पड़ जाए सबसे हाई हलो करके रखना चाहिए ना
15:00कभी बिजली विभाग में काम पर सकता है कभी जल विभाग में कभी परिवहन विभाग में सबसे जाकर के जहां कोई अफसर मिले कि पटवारी की चपरासी कोई भी मिल जाये सबसे हाई हैलो करके रखना चाहिए सब एक बराबर है
15:21क्योंकि मैं अपने आपको इतना हीन मानता हूं कि कोई थोड़ा सा भी उपर हो तो मुझे लगा कि वह आकाश हो गया अरे हाँ है उपर इतनी इज़त हम दे देंगे आकाश नहीं हो गया
15:40कि और कई बार तो जो उपर नहीं भी होता मुसको भी देते हैं
15:43कि विचैरे ट्रैक पुलिस के जो कॉंस्टेबल खड़े रहते हैं जैसे उपकड़ेंगे तो ये जितने बेरोजगार छोरे होते उतरण जाके उनको बोलेंगे अरे दरोगा जी अरे दरोगा जी तुम अच्छे से जानते हो दरोगा नहीं है वो पीसी आर आई है उसमें जो �
16:13इतनी गीताएं है
16:20सब बराबन है
16:23तो फिर हम भगवद गीता ही क्यों पढ़ रहे है
16:25बोलो
16:30एक गीता है जिसको गर्व गीता भी बोल सकते हैं
16:37जिसमें आधा वरणा नहीं है कि जब तुम पेट में होते हो
16:40तो तुमें कैसे कैसे कीड़े काटते है
16:42हम वो बढ़ लेते हैं घीता नाम लगा है सब बराबर हो गए
16:46जैसे जितने एतिहासिक धार्मिक व्यक्तित तुथे सब बराबर हो गए
16:50वैसे फिर हम दूसरी कल्द भगो दीता हटाते हैं दूसरी कीता ले आते है
16:54और यहीं पर विभारिक रूप से तुम तब भी फस जाते हो जब मैं बोलता हूं कि देखो व्यक्तित अतलाब के लिए नहीं बोल रहा हूं पर मेरी सुन रहे हो तो मेरी ही सुन लो
17:10नहीं आचारी जी भी ठीक है और वो जी भी ठीक है और फलाना जी भी ठीक है हो गया बंटाधार अच्छा मीरा अगर पुरुष होती तो भी क्या श्री कृष्ण को पती ही मानती उन्हें समझें नहीं आ रही बात
17:31कि टीक है भई दैकता है शारिरिकता है लेकिन फिर भी हम मुल ले देंगे सम्मान देंगे कि इतना तो करा कि कि
17:44किसी जीवित पुरुष के जा करके आलेंगण में नहीं बन गई उन्होंने कहा मुझे उचे से उचा चाहिए भले ही अभी वह जीवित
17:54भले ही मुझे सामने शरी रूप में दिखाई न देता हो इतना तो श्रे देंगे ठीक है लेकिन साथी साथ यह भी याद रखेंगे कि महिला थी इसलिए श्री कृष्ण की पती और पुरुष रूप में उन्होंने कलपना करी
18:07पुरुष होती तो थोड़े ही कहती कि मैं पती मान रही हूं या कुछ और है।
18:12हैंश्य कुछ होते जो कहते हैं नहीं हम क्रिष्ण को पति मानते हैं वह स्वैयं को स्थिर मानना शूरू कर देते हैं तो मैं ऐसे मिलेंगे
18:18उनका उनका खेल कुछ और हो जाता है वो कहते हैं श्रीकेश्ट हमारे पति हैं और हम उनकी पत्नी है और तुम कहो कि तुम्हें तो दाड़ी है उससे कोई फर्क नहीं पड़ता
18:33मैं नाचूंगी
18:35मैं तो कहा रहा हूं इसको भी श्रेय मिलना चाहिए
18:40लेकिन ये आध रखो कि कितना श्रेय देना है वो मत कर लेना की कबीर और रहीम जैसे वो एक ही हो और एक ही बात बोल रहे हो
18:54दुर्रहीम खान खाना वहां मुगलों के अकबर के दर्वार में वहां वो बैठे हुए हैं और वहां पर दुनियादारी अपना चला रहे हैं और ये सब कर रहे हैं और वो उस तर की बाते करते थे
19:08और वहाँ पर संद कभीर है जो पारमार्थिक तल की बात कर रहे हैं क्या तुलना है
19:17हाँ व्यवहारिक जीवन में रहीम दास के दोहे भी उपयोगी हो जाते हैं हम नहीं मना कर रहे हैं
19:23प्रहिमन धागा प्रेम का मत चोड़ो चटगाए तूटे से फिर ना जोड़े जोड़े गांट पड़ जाए ठीक व्यवहारिक तल पर ठीक है बात चलो
19:30अचारी जी इसमें एक प्रती प्रेश्निता पूछ सकता हूं जी तो जैसे अभी आपने बात की कि हम बिल्कुल श्रेव देंगे एक स्थार तक मीरा भाई को भी कि उन्होंने एक देहिक पुरुष की जगे
19:52किसी उसको श्रीक रिश्न को मतलब आगे देखा तो फिर इसमें भी एक प्रेश्न उठता है कि जैसे हम आचारे शंकर जी की तीन रियालिटीज जो ले प्रातेभासिक व्यावहारिक और पारमार्थिक तो ये उनकी कल्पना प्रातेभासिक आएगी जो व्यावहारिक से भ
20:22लेकिन कहां से उचा उठाएगी जहां आप हो वहां से उचा उठाएगी चार सीड़ियां हैं दूसरे तल का सहारा लोगे तो पहले से दूसरे पर पहुँच जाओगे तीसरे पर नहीं पहुच जाओगे
20:39उचा उठाएगी पर फिर स्वेम बंधन बन जाएगी
20:43जहाँ पर हो वहाँ से तो उठा देगी
20:48और और आगे नहीं उठने देगी
20:51पहुँच में आ रही यह बाट
20:56आप उपर को चड़ रहे होते हो
21:02रेलिंग का सहारा लेकर के
21:04रेलिंग पूरी उपर तक जाती है
21:06ठीक है
21:08जब उपर चड़ रहे होते हो तो
21:09तो आप कैसे आप यहां पर तो सो पान पर आ जाते हूं यही तो करते हो एसे रेलिंग पकड़ी यहां आ गए अब यही पकड़े रहो तो ऑपर पहुंच पाओगे
21:24तो उपर उठाएगी ये बाद
21:26पर फिर एक
21:28सीमा के बाद उपर उठने से
21:30रोक भी देगी और उपर
21:32उठना है तो फिर जो पकड़ रखा तो उसको छोड़ना पड़ेगा
21:34और उपर कुछ पकड़ना पड़ेगा
21:50साधारन इस्त्री से तुलना करोगे
21:52तो बहुत बहुत बहुत ऊपर है मीरा
21:55कि एक बात उन्हें समझ में आई उसके लिए उसके लिए जहर पीने को तयार है
22:00हम एक
22:04मध्युगीन सावंतवादी मानसिक्ता कैसा समय था वहाँ
22:08मिवाड राजस्थान उस पूरेक्षेत्र में
22:12जाते बाद एकदम चरम पर और वो जा रही है और संत्रविदास हैं जो कि जाते से चर्मकार हैं और उनके पास बैठ रही है
22:21ना डर से डर रही है ना धमकी से ना लज्जा से कुछ नहीं बहुत उपर है आमस्त्री से
22:30पर फिर आप शुति से अगर तुलना करोगे तो वो ठीक नहीं है
22:36वो तुलना ठीक नहीं होगी
22:42जब भगवत गीता की बात हो रही हो जहां श्री कृष्ण उच्चतम संदेश दे रहे हो
22:54वहाँ पर ये बात लेकर के आना कि मोर मुकुट और बंसी वहाँ पर ये बात लाना ठीक नहीं है
23:12समझ में आ रही ही बात और जब कोई तुम्हें एक एक सीमा तक उपर उठाए तो उसका अभार ही वेक्ट करना चाहिए
23:23मैं बार बार कह रहा हूं श्रीय दो सम्मान दो बिलकुल दो
23:27लेकिन ये भी याद रखो कि उसने वहीं तक उठाया है आगे नहीं ले जा पाएगा अब बलकि वह बाधा बनेगा स्वयम अडचन बनेगा
23:35अब कोई भी जो छवी बनाते हो विधि बनाते हो सहारा बनाते हो वह सीमित होता है और अल्पकालीन होता है
23:51एक जगह तक आपको वह पहुंचाएगा और फिर उसी जगह पर वह आपको रोक भी देगा अब अगर और आगे जाना है तो जिसको सहारा मानकर यहां तक आये थे उसको त्यागना पड़ेगा
24:10कि उसको त्यागना पड़ेगा
24:14क्या है वो कोई छवे हो व्यक्ते हो सिध्धान्त हो जो भी कुछ हो