00:00राची का पौरानिक और रत्यासिक सारे 300 साल पुराना रत्यात्रा निकल चुका है
00:06भगवान जगरनाथ बलभद्र और माता सुबग्द्रा के जो विग्रा है और जहां तक देखेंगे आपको भगतों का हुजूम दिखाई देगा
00:19लाखों के संख्या में भगत यहां उम्रे है बहुत पुराना यतिहासिक यह रत्यात्रा है भगवान जगरनाथ के जोरदार जैकारे के साथ यह यात्रा सुब हो चुका है
00:32और देखिए रस्या जो है उसको खीचने के लिए भगतों के बीच जो होर लगी हुई है ये मानिता है कि अगर भगवान की यात्रा जो मौसी बारी तक जाती है उसमें अगर कोई सहयोग करता है यानि भगवान को अगर कोई खीचता है तो भगवान उसके जीवन नईया को आ
01:02तो वहाँ जो राजा हुआ करते थे एरिनाथ सादेव, उनको सपना है था भगवान जगर्णाथ का, कि उस वक्त यात्रा करनी मुश्किल होती थी, ऐसे मैं उन्होंने कहा था, कि यहां से पूरी जाना मुश्किल है, तो तुम यहीं पे भगतों के लिए, भगवान जगर्ण
01:32इसकी साक्षी, इसका साक्षी और गवा बनना चाहते हैं, लाखों की भीर है, नो दिनों तक अब भगवान जो है, नोसी बाड़ी में प्रवास करेंगे, वहाँ दर्शन देंगे, यह वंदी जो साड़े तीन सो साल पुराना है, अब वहाँ से रत यात्रा निकल चुका है
02:02कैसे रसी को खीचना है, यह देख सकते हैं, यहाँ पर रसी को धीला शोरने के लिए कहा जा रहा है, ऊपर से संचालन किया जा रहा है, कैसे यात्रा चलेजी, देखिए, कैसे भग्त लगे हुए हैं कि एक बार रसी चुने का उन्हें मौका मिल जा है, इससे पहले दिन भर �
02:32यहाँ से यहाँ पर होते हैं, यहाँ पर मुखमंत्री हर साल आते थे, रच खीचने वो नहीं आ पाए हैं इस बार, चुकि जो जेमेंट के संस्थापक संद्रक्षक है, सीवू सुरेन, वो गंगाराम अस्पतार में भढ़ती हैं, उनकी तबिये ठीक नहीं है, तो उनको ल
03:02मंत्री, वही सबसे पहले रच खीचते हैं, और बढ़कागर रियासत के जो बंसज है, वो उसमें कामिल होता है, यहाँ पर तैयारी पूर, जो है, रच खीचा जा रहा है, और लगबग एक किलोमेटर की यातरा, घंटों लगती हैं उसको, यहाँ गंटों का वक्त जो है, �
03:32यहाँ पर आर्ति अर्शब ही भक्त जो है, आदेख सकते हैं, विहंदम द्रिश्ते हैं, जहाँ तक इखेंगे, हाथ उठाकर भक्त जो है, वो हाथ उठाकर, जैकारे लगा रहे हैं, भगवान का, आर्ती कर रहे हैं, और खीचा जा रहा है,
03:56इंस्ट्रेक्शन बारबार दिया जा रहा है
03:58कहा जा रहा है
03:59कि ऐसे खीचा जाए कि किसी तरह का कोई भक्तर ना हो
04:02आरां से सब कुछ हो
04:04ये बताया जा रहा है
04:06ये दखिए उपर से जो है
04:07बहुति हां तंगराए और इसी रत पे
04:10भगवान जगरनात
04:11बटरो यह देखे रट यात्रा रट को भट घीच रहा है यह देखे कैसे जो है घुजूँ मुझा यह यहां आने पर आपको यह था सास होगा है
04:30कि आप जगनाथ पूरी में ही है राची में नहीं है पूरी में है
04:34और आप चांटे हैं कि जाकन के गुरु मुक्मिंत्री और दिशम गुरु सिवु सुरेंजी दिल्ली के गंडाराम अस्पतार में धर्ति बादा जगनात के पावन धर्ति पर हम यहां से उनके जीवन की तुरच्छा की प्रवु से कामना करते हैं
04:54आप हत उठाकर भिछम गुरु सिवु सुरेंजी के प्राक्ती अरिये � мясत्रा करते है।
05:00जगनात स्वामी जी जी तुमत्र स्वामी की जी तुमत्र माता की जी जी तॉरंग कॉल्ष न ऑविदाय नमः को उम गुविदां पतंए नमाहां
05:19बाल प्राना वे अन्णीक पराथरे लोखं प्राना
05:45क्यामरामन राकेस्टिवारी जिसाथ, सतिजित कुमार, राची, आज तक