कोलकाता, पश्चिम बंगाल : 11वें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में विचारक और लेखक आचार्य प्रशांत ने योग के भौतिक रूप और युद्ध को लेकर कई बातें कहीं। गोवा में आयोजित किए गए इस कार्यक्रम का लाइव टेलिकास्ट 30 से 35 जगहों पर किया गया। श्रीमद्भागवतगीता की दृष्टि से योग क्या है? आचार्य प्रशांत ने इस विषय पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम में आए प्रतिभागियों ने बताया कि यह सेशन उनके लिए आंखें खोलने वाला रहा। उन्हें योग का एक नया रूप समझ में आया। आचार्य ने समझाया कि योग सिर्फ शरीर को हिलाना डुलाना नहीं है। योग का अर्थ है अपनी संभावना से परम संभावना तक पहुंचना।
02:39alag-alag kitaabo se, hame oge kahani lag ra tha, ki
02:44अर्जुन को कुछ कहानी सुना जा रहा है श्री किसना कहानी बता रहे हैं फिर हमने पन्ना छोड़ दिया
02:54सौंजमें नहीं आ रहा था इसमें हमारे लिए समझन में लाइक इसमें क्या है एक कहानी लग रहा था महाबरत कह लिए आप
03:05लेकिन जब आचारी जी के जो क्लास एर्टिन करने लग गये हमें लग रहा कि ये तो कहानी है नहीं
03:16ये टोटल सैकलोजिकल एक इनसान के अंदर उसको जो तकलीफ है वो किस तर से बहार आता है अर्जुन का तकलीफ
03:30वो क्रिश्णां को बता रहे हैं यानि कि अगर आपको गीता समझना है तो आचारी जी का जो कॉर्स होया है
03:41पढ़ने को तो हम सभी गीता पढ़ते हैं घर में सभी पढ़ते हैं जब तक उसका मतलब हम अपने जिंदिकी से उसको ने उठाएंगे तब तक कुछ फाइदा नहीं है
03:57आज योग दिवस में आचर जी भी बता रहे थे हमारे बितर जो है अब समझ लीजिए अभी जिस हालत में हैं और हमारा एक
04:12potential होता है हम क्या हो सकते हैं क्या हैं और क्या हो सकते हैं इसके बीच का जो यात्रा है इसको आप कह लिजे आता अत्मा और इसको आप कह लिजे योग बस यही कहना था
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