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  • 6/19/2025
गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को नई दिल्ली में पूर्व IAS अधिकारी अशुतोष अग्निहोत्री की पुस्तक ‘मैं बूंद स्वयं, खुद सागर हूं’ के विमोचन कार्यक्रम में शिरकत की। इस मौके पर उन्होंने भारतीय संस्कृति, भाषा, इतिहास और धर्म पर जोर देते हुए कहा, “अपने देश को समझने के लिए विदेशी भाषा काफी नहीं है... वो दिन दूर नहीं जब अंग्रेज़ी बोलने वाले खुद शर्मिंदा होंगे।” यह बयान सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गया है और इसे लेकर बहस भी छिड़ सकती है। 📌 देखिए पूरा वीडियो और जानिए अमित शाह ने क्या कहा, इस बयान के पीछे क्या है उनका मकसद, और क्या इसका राजनीतिक असर हो सकता है?

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Transcript
00:00मेरी बात ध्यान से सुनना, हम सब के जीवन में इस देश में अंग्रेजी बोलने वालों को सर्म आएगी ऐसा समाज का निर्मान अब भी नहीं
00:30समझने के लिए कोई विदेशी भासा काफी नहीं है, अब वह दिन दूर नहीं जब अंग्रेजी बोलने वालों को शर्म महसूस होगी, हमें ऐसा समाज बनाना है
00:38गोण महण जी ने हिंदी के प्रती चिंता व्यक्त की, हिंदी की पूरी यात्रा का बहुत अच्छे से वर्णन किया, अभ्यास पूर्ण वर्णन किया, मगर मैं थोड़ा उनसे ऐसे हमत हूँ, कोई संकट नहीं है, मेरी बात याद रखना, हम सब के जीवन में, मेरी बात ध
01:08इस देश में अंग्रेजी बोलने वालों को सर्म आएगी, ऐसा समाज का निर्मान अब दून नहीं है, शुजो को वो ही कर पाते हैं, जो करने की ठान लेते हैं, और मैं मानता हूँ, हमारे देश की भासा है, हमारी संस्कूर्ति का गहना है, हमारे देश की भासाओं के बगर
01:38इसकी संस्कूर्ति, हमारा धर्म इसको सबदना है, तो कोई विदेशी भासा में नहीं समदा सकती, आधी अधूरी विदेशी भासाओं से संपून भारत की कल्पना नहीं हो सकती, वो केवल और केवल भारतियता से हो सकती है, भारतिय भासा से हो सकती है,
01:59मुझे पूरा बोध है कि लड़ाई कितनी कठिन है
02:05मगर पूरा विश्वास है कि लड़ाई भारत का समाज जीतेगा
02:10और फिर से एक बार आत्म गवरो के साथ हमारी भसाओं में
02:16हम हमरा देश भी चलाएंगे, सोच भी करेंगे, सोध भी करेंगे
02:22नतीजे भी निकालेंगे और विश्व का नेत्र तो भी करेंगे
02:26इसमें कोई संसाई किसी को रखने की जोई है
02:30मित्रो मोदी जी ने अमरूत काल के लिए बंच प्राण की नीव रखी है
02:39विक्सित भारत का लक्स रखना, गुलामी के हर अंस से मुक्टि प्राप्त करना
02:52और एक जुक्ता को समर्पित रहना और हर नागरिक में करतव्यकी भावना को प्रदीप्त करना
03:00ये पंच प्रन, आज मैं देश भर में घुमता हूं, मैं घुमन्ट प्राणी हूं
03:08देश भर में घुमता हूं, खोद लोग कोते समवाद भी करता हूं
03:12आज पंच प्रण एक नेता ने देश की जनता के सामने रखा हुआ लक्स नहीं है
03:21130 करोड लोगों का इसंकल्प बन चुका है इसलिए मैं कहता हूँ
03:28कि 2047 में विश्व में हम सर्वोचस्तान पर होंगे
03:34इसमें हमारी भासाओं का बहुत बड़ा योगदान भी होगा
03:38और हमारी भासाओं नकेवल भारत विश्व कल्यान के लिए भी उपलब्द कराने में
03:45तक्निक के आधार पर हम सफल होंगे
03:47मैं फिर से एक बार आसुतोस अगनी होतरी जी को बहुत बहुत बढ़ाई भी देता हूँ
03:53और सुपकामनाई भी देता हूँ
03:56कि आप इसी प्रकार के साहित्य का सुजन करते रही है
03:59और इस सुजन के माध्यम से विशेश कर
04:03जो देश की व्योस्था से जुड़े हैं
04:06जो एड्मिस्टेशन में जुड़े हैं
04:08इन नए बच्चों को भी इस दिसा बताते रही है
04:11ऐसी मेरी सुपकामना देकर मेरी विवाने को विराम देता हूँ
04:14धन्यवाद

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