00:00अरे मा सुनो
00:04हाँ बेटा बोलो क्या बात है
00:09मा आज मेरे लिए जल्दी से खाना बना दो
00:13आज मैं जा रहा हूँ और किसी को ठक कर लता हूँ
00:17अरे बेटा तुम किसी को कैसे ठक पाओगे
00:23तुमारे पिताजी होते तो जरूर ठक लेते
00:27तुम तो अभी ठगाय में बच्चे हो
00:31अरे मा तुम कैसी बाते कर रही हो
00:34मैं क्यूं नहीं ठक सकता किसी को
00:37अखिर कर एक ठक का बेटा एक ठक ही तो बनता है
00:41बस अब जल्दी से मेरे लिए खाना बना दो
00:45फिर बिर्जू किसी धनी सेट की तरहा
00:49बुसाक पहन कर तयार हो जाते
00:53अच्छा मा अब मैं चलता हूँ
00:57बिर्जू चलते चलते एक गाउ के नस्दीक पहुशते है
01:01तबी गाउ के करीब ही चार ठक
01:04अपने खेत में काम कर रहे थे
01:08अरे बरे बईया कितने दिन हो गए
01:11लेकिन हमने किसी को ठागा नहीं
01:19अपने पेसे भी नहीं बचे है
01:21जो थे वो सब तो खत्मी हो गए
01:23चलो बईया आज किसी सेट को ठागते है
01:27अरे सुनो उधर देखो उधर कोई मुसाफीर आ रहा है
01:32अरे हा ये तो कोई धनी सेट लग रहा है
01:37अरे चलो चलो इसे ही ठागते है
01:40अरे भाईया इतनी करक्टी दूप में तुम कहा जा रहे हो
01:49थौरासाः पेर के चयाउं में आरम् तो कर लो
01:51और पानी बानी तो पीलो
01:54फिर आरंषे चले जाना
01:56अरे नहीं नहीं भाईया मुझे थोरासा जल्ली है
01:59इसलिए मैं आरम् नहीं करसकता
02:01बापसी में आते हुए मैं आपके पास जरूर रुखुंगा
02:05अरे सेड़ जी कैसी बाते कर रहे हैं
02:08काम तो पूरी जीवन करना है
02:11काम के साथ साथ आरम करना भी तो जरूरी है
02:14चलो अच्छी बात है
02:16आप लोग नहीं मान रहे हो तो थोड़ा सा रुखी जाता हूँ
02:31और चारो ठग यहां वहां के पाते करने लगते
02:36अरे सेड़ जी मैं आपसे एक बात कहना चाहता हूँ
02:40अरे बोलिये भाईया बोलिये अब क्या कहना चाहते हैं
02:44सेड़ जी बात को बतने से पहले मेरी एक शर्त है
02:48बोलिये भाईया क्या शर्त है मैं अपके शर्त मनने के लिए तैयर हूँ
02:53बोलिये
02:54सेड़ जी मेरी शर्त यह है कि अगर आप मेरी बात को सच मनोगे तो कोई बात नहीं
03:01अगर आप मेरी बात को जूट मनोगे तो आपको 1000 उपया देने परेंगे
03:06ठीक है बाईया मैं तुम्हारी शर्त से सेमत हूँ अब बताओ तुम कहना क्या चाहते हो
03:12सेड़ जी बात यह है कि एक बार मैं अपनी भेश चरा रहा था और हमारे खेट में गेहू की फसल करी थी
03:21तबी मेरी भेश गेहू के खेट में घूज गई और पता नहीं खेट में कही खो गई हमने पूरा खेट ढून लिया लेकिन भेश कही नहीं मिली
03:31फिर हमने पूरी फसल कटवा दी भेश फिर भी नहीं मिली फिर मैं उसी फसल के गेहू चक्की में पिज़वाई फिर भी भेश का ही नहीं मिली और हद तो तब हो गई जब मैं उसी आटे की रोटी बनवाई और जैसे ही मैंने रोटी का पहला टुकरा तोरा तबी भेश की �
04:01जिसको भी बताई है उसने मेरी बात को जूता ही बताया है
04:05अब तुम ही बताओ ये बात जूती है या फिर साथ
04:09अरे ये तो मुझे ठगना चाता है
04:13लेकिन बच्चु में भी एक ठग का बेटा हूँ
04:17अरे हाँ बईया कभी कभी ऐसी गटनाए हो जाती है
04:21फर के साथ हो जाती है
04:23हमारे साथ कुछ कभी कभी ऐसी गटनाए हो गई है
04:27अब मैं तुम्हें क्या बताओ
04:29अरे सेट जी आपके साथ ऐसा क्या गटनाए हो गयी
04:33अरे नहीं बैया मैं भी अपने बात ऐसे نہیں बताऊंगा
04:37मेरी भी एक शर्त है
04:40बोलिये सेड़ जी, आपकी क्या शर्त है, अम आपके शर्त मनने के लिए तयार है
04:46अरे भईया, शर्त वो ही है, अगर तुम चारो लोग मेरी बात को जूठा मनोगे
04:52तो तुम चारो को एक-एक अजर रुपईया देने परेंगे
04:56और अगर सच मनोगे, तो कोई बात नहीं
05:00हाँ हाँ, ठीक है, हमें तुमारी शर्त मनजूर है, तो बताओ, क्या बात थी?
05:06अरे भईया, क्या बताओ, अज जब मैं तयार होकर सुबे काम के लिए निकल ले बाला था
05:13तबी मेरी सेठानी जी ने कुछ सुन्दर पकवान बनाये थे
05:16और वो कह रहे थी कि पकवान खाकर ही जना, लेकिन मुझे काम की ज्यादा जल्ली थी
05:22तो मैं पकवान बिना खाकर ही आ गया, लेकिन मेरी सेठानी जी मुझसे इतना प्रेम करती है
05:28कि वो पकवान लेकर मेरे पीछे पीछे यहां तक आ गयी है
05:32अरे सेठ जी, अब की सेठानी तो कहीं नजर नहीं आ रही है
05:37अरे बईया, यहां नहीं, उधर देखो, वहां तो मेरी सेठानी जी आ रही है
05:43अरे बापरे बाप, वो तो हमारी बेहन है, यह सेठ तो हमसे भी बराठा गए, आप क्या करें?
06:02अगर हम लोगों ने इसकी बात को जूट कहा, तो यह हम चारों से एक-एक हजर रुपईया लेगा
06:09और अगर हमने इसकी बातों को सच कहा, तो यह हमारी बेहन को ले जाएगा
06:14बाईया, अगर तुम मेरी बात मन तो अपनी बेहन को इस सेट के घर भेज देते हैं, वैसे भी हमें आज नहीं तो कल अपनी बेहन की बिवा तो करना ही था, वैसे भी यह सेट अपनी बेहन को खुशी रखेगा, और अगर इसकी बात को हम जूट बोलेंगे, तो हमें चार-
06:45अरे, तुम आ गई, मैं कितनी दिर से तुमारा इंटेजर कर रहा हूँ,
06:50ये तुम कौन हो, मैं तो तुम्हें जानता तक नहीं,
06:54अरे मेरी प्यारी बेहन, ये तुमारे पती है, तुमारा बिवा इंके साथ बच्पन में ही हो गया था, अब जाओ बेहन, तुम इसके साथ जाओ, हम लोग तुमें जल्द ही लेने आएंगे,
07:09अच्छा, मेरे प्यारे सालो, अब मैं चलता हूँ,
07:14अरे बईया, ये तो हमारी बेहन को ठग ले गया, हम इसे नहीं छोरेंगे, चलो, हम काल ही इसके घर चलेंगे,
07:27अगले ही दिन, चारो ठग अपनी बेहन को लाने के लिए चल देते, फिर बिर्जू उन सब की मेहमान नवाजी करते,
07:38अरे बरे बईया, जल्दी से उठो, सभी लोग सो गये हैं, चलो, हम लोग इस सेट को रस्टी से पलंग में बांध कर इसे नदी में फेक देते हैं, और इसके घर का सारा सामन लेकर और अपनी बेहन को लेकर अपने घर बापस चले जाएंगे,
07:56फिर चारो ठगों ने उस बिर्जु को सोते हुए ही पलंग में बांध दिया, और रात में ही उसे लेकर निकल पड़ते हैं, उन्हें चलती चलते रात से सुभा हो जाते हैं,
08:10अरे भईया मैं तो इस पहार को उठाते उठाते ठक गया हूँ, चलो इसी पेर के निशे थोड़ा सा आराम कर लेते हैं, फिर वो चारो पलंग को नीचे रग देते और वही पर सो जाते, तभी एक चरवाह अपनी बकरी को चराते चराते वही पर आ जाते हैं,
08:32अरे भईया ये लोग अपको बांध कर कहा ले जा रहे हैं, क्या बताओ भईया ये चारो हमारे साले हैं, इनकी एक बेहन की बिवा हमारे साथ हो चुका हैं, इनकी एक दूसरी भी बेहन हैं, तो ये लोग उसका बिवा मेरे साथ करना चाते हैं, ये कहते हैं कि इन्हें कहीं
09:02अरे बेहन की बिवा मेरे साथ करवा दो
09:04हाँ हाँ क्यों नहीं, जरूर करवा सकता हूँ, पहले जल्दी से मुझे इस रस्ची से खोल दो और मेरी जगा तुम चुकचप होकर लेड़ जाओ, मैं तुम्हे रस्ची से बान देता हूँ
09:17बिर्जू जल्दी से उस चरवाहा को बान कर एक पीड के बीचे चुप जाते हैं
09:24अरे मुन्ना उठो, देखो सुरस निकल आया, जल्दी चलो
09:31फिर वो चारो उसे उठाकर नदी पर पहुँच चाते, उधर बिर्जू उस चरवाहा के सारी पक्री अपने घर ले जाते हैं
09:45चलो भाईया, इस ठक से हमें सुटकारा मिल गया
09:49अरे ये क्या, ये ठक तो यही बेटा है
09:59अरे जीजा जी, तुम यहाँ पर कैसे, और इतनी सारी बक्रीया तुम कहाँ से ले आये हो
10:07अरे ये मत पूछो, तुम लोगों ने हमरे साथ बहुत अन्नै किया है, तुम लोगों ने मुझे नदी के किनारे ही फेक दिया था
10:15और अगर थोड़ा सा घेहरे पानी में फेक ते, तो इससे भी जदा अच्छे अच्छे बक्री पकर ले आता
10:21अब क्या करू, तुम लोगों ने मुझे किनारे ही फेक दिया, तुम यही मिली है बक्री
10:27अरे जीजा जी, क्या बात कर रहे हो, चलो जीजा जी, मुझे भी कुछ बक्री दिला दो
10:35हाँ जीजा जी, मुझे भी बक्री चाहिए, चलो जल्दी
10:40अच्छा अच्छा, तो तुम लोगों को भी बक्री चाहिए, तो चलो मेरे साथ
10:45में जहां बोलू तुम लोग वही कुछ जाना और अच्छी अच्छी बक्री पकर कर ले आना
10:58अरे सुनो तुम लोग जल्दी से इस जगापर कुछ जाओ, नहीं तो लोग तुम से ही पहले सारे बक्रिया लुट ले जाएंगे
11:05चारो ठक कुछ बीना सोचे ही नदी के बीच चलांग लगा देते और उसी में डूप जाते फिर बिर्जु अपने घर वापस चला जाता है