00:00चाईपूर नाम के गाउ में सूरस अपनी बेटी सीता और अपनी पत्नी के साथ रहता था। वो जंगल से लकड़िया बिन कर लाता और बाजार में बेशता था।
00:12सुनो जी हज तो सुपह से बारिश हो रही है। बारिश के वज़े से जितने भी लकड़िया हैं वो सब गीलिया हो गई होंगे।
00:22अब बारिश में हमें लकड़िया कहां मिलेगी और गीली लकड़ियों को बाजार में कोई ग्राहक लेगा ही नहीं।
00:29ये तो वही बात हो गई कि कंगाली में आटा गिला। एक तो घर में पहले से ही खाने के लिए कुछ नहीं है। उपर से बारिश के वज़े से लकड़िया भी नहीं है। क्या करूँ को समझ में नहीं आ रहा है।
00:44तुम चिंता मत करो। मैं सेड़ जी के पास से कुछ पेसा उधर ले कराता हूँ। इससे कुछ दिन का गुजारा हो जाएगा।
00:53सूरस सेड़ जी के पास उधर लेने के ले जाता है। लेकिन सेड़ जी उससे डाट कर वहाँ से भगा देता है। वो उदस मन में अपनी घर की ओर चलने लगता है। तब यो रास्ते पे सामने की ओर गड़ा देख नहीं पाता। और उसमें गिर जाता है। और उसका पेर �
01:24हे भगवान तुमने ये मेरे सथ क्या क्या। अब में अपने परिवार का पैट कैसे भरूंगा। अगर मेरे पेर ठीक होता तो कम से कम कुछ जुगर तो हो जाता।
01:37सूरस इसी तरह से बाते कर रहा था। तबी उन लोग की बाते खिरकी से उनकी बेटी सीता सुन लेती है।
01:45मम्मी पापा कितने परिशान है। पापा चल भी नहीं सकते। और मैं पापा को छोड़ कर कहीं जा भी नहीं सकती। पर अब मुझे ही कुछ करना होगा।
01:55सीता सुचब अपने पापा के कुलारी उठा कर जंगल की ओर चल पड़ी। वो जिस जंगल में जाती है ओ जंगल जादू होता है। और ये बात सीता को पता नहीं होती। और वो पता नहीं कहीं पर खो जाती है।
02:16अरे ये जंगल तो बड़ा खना होते जा रहा है। जैसे जैसे मैं अंदर जा रहे हूँ वैसे ही ये मुझे को और भी ज़्यादा भयानक लग रहा है। मुझे तो रस्ता भी नहीं दिख रहा है। करूँ तो क्या करूँ।
02:30सिता इसी तरह से डरडर कर इदर से उदर होती रहे। तभी उसे जंगल के बीशो बीश एक सीरी नजराती है। सीरी को देखकर ओ बड़ी खुश हुई। उसे लगा कि मैं इस सीरी से बहर जा सकती हूँ। तभी उसको एक बुड़ा आदमी उसके और आते हुए दिखा�
03:00सिरी में जाने से पहले एक बढ़ सोच लो।
03:03इसमें सोचना क्या है?
03:05ये वही सीरी है न जो मुझे इस भायानक जंगल से बाहर निकालेगी।
03:11हाँ ये बढ़ सोचे की ये सीरी तुमें इस जंगल से बहार निकल देगी।
03:16लेकिन सीरी से जाने से पेले क्या में तुम्हें कुछ बाते बतादू?
03:22क्या बाते बताणा हैं बतताईए ?
03:25यह सीरी बदलों में जाकर ख़त्म हो जाएगी.
03:29वहाँ तुम्हें एक परी मिलेगी, वो तुमसे पहली पुछेंगी.
03:33अगर तुमने उसका सही सही उतर दिया तो तुम्हे ज्यान और दोलोद दोरों मिलेगा
03:39और अगर तुमें उसकी पेलियो का सही उतर नहीं दिया तो वो तुमें मार देगी।
03:44मेरे पास और कुई चारा नहीं है इस जंगल से बाहर निकलने का।
03:49सीता इसी सीरी पर चलते चलते जाती है और अंध में वो सीरिया खत्म हो जाती है।
03:56तब ही वहाँ पर एक परी प्रकट होती है।
04:00तुम अपने पिता की मदद करने के लिए इस जंगल में आई हो।
04:04मैं सब कुछ जानती हूँ पर तुम इस सीरी पर चलतो आई हो लेकिन तुम्हें मेरे पहलियों का जवाब देना पढ़ेगा।
04:12तब ही तुम इस जंगल से बाहर निकल पाओगी और अगर तुम ने गलत जवाब दिया तो तुम्हें अपनी चान गवानी पढ़ेगी।
04:20मैं तुम्हारी सबी पहलियों का जवाब देने के लिए तयार हूँ।
04:25परी ने सीता से पहलिया बुजाने के लिए एक बादल पर बिठा देती है और बादल हाव में तेडने लगता है।
04:32फिर परी एक एक करके सीता से पहली पुसने लगती है।
04:37सीता तुम्हारी पहली पहली यह है कि वो कौनसा फल है जो कभी नहीं बिकता है।
04:45सीता सोच में पर जाती है पर जैसे ही परी उसे मारने के लिए अपना चाड़ी निकलती है, सीता उसे रोक लेती और कहती है,
04:54मेहनत का फ़ल, वो मेहनत का फ़ल है जो कभी नहीं बिकता है।
04:59बहुत अच्छी सीता, तुमने बहुत अच्छा जबाब दिया है, लेकिन आप दूसरे सवाल के लिए तयार हो जाओ।
05:08वो कौन सा चीज़ है, जिसका नाम लेते ही वो तूट जाता है।
05:14सीता फिर सोच पे पर जाती है, और इस बार वो जबाब देने के लिए आसमर्थ हो जाती है।
05:20तुमने एक सवाल का जबाब तो दे दिया, लेकिन अगर तुमने अभी दूसरे सवाल का जबाब नहीं दिया, तो मरनी के लिए तयार हो जाओ।
05:29खामोसी ऐसी चीज है, जिसका नाम लेते ही वो तूट जाते है।
05:35ठीक है सीता, तुम सही जबाब दिये हो, आप तीसरी और आखरी पहली सुनो।
05:44ऐसा कौन सा अंधेरा है, जो रोषनी से बनते हैं।
05:49सीता फिर से और एक बर सोच पर बढ़ जाती है, फिर अचानक से वो नीचे की और देखता है, वो तुरंद बोल उठती है।
05:58परछाई, परछाई, वो अंधेरा परछाई है, जो रोषनी से बनता है।
06:02शाबास सीता, तुमने तीनों पेहलियों का बहुत अच्छे से उत्तर दिया है, मैं तुमसे बहुत खुश हूँ, ये जंगन किसी को भी आसानी से जाने नहीं देता, पर तुमारे सूच पूछ के आगे मेरी पेहलिया हार गई, मैं तुमें जिंदगी का सबक सिखाती हू�
06:32तुमें जिंदगी जीने के लिए मदद करेगा
06:36तवी सीता खजने को हाथ में लेकर सीरी में खरी हो जाती
06:40और एक रोष्णी के साथ परी ही उसको अपनी घर पर भेज देती है