शिक्षा एक सामाजिक प्रक्रिया है। मनुष्य सामाजिक प्राणी होने के नाते समाज का एक अभिन्न अंग है।मनुष्य के व्यवहार में परिवर्तन व शिक्षा दोनों ही सामाजिक प्रिक्रिया के रूप में होती है।सामाजिक आवश्यकताओं के अनुसार ही छात्र के विचारों तथा व्हवहार में परिवर्तन आता है।शिक्षा के द्वारा ही छात्रों को सामाजिक विकास संभव है।
समय के अनुसार शिक्षा(education) में भी परिवर्तन होता रहता है।शिक्षा के उद्देश्य,शिक्षण विधि,पाठ्यक्रम में भी परिवर्तन होते रहते है।ज्ञान और शिक्षा एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी की और बढ़ती रहती है।शिक्षा की गतिशीलता के कारण ही हम प्रगति की और बढ़ सकते है।यही शिक्षा की गति शीलता है।
शिक्षा एक अनवरत रूप से चलने वाली प्रक्रिया है।मनुष्य अपने जन्म से मृत्यु पर्यन्त शिक्षा प्राप्त करता रहता है।मनुष्य औपचारिक व अनोपचारिक रूप से कुछ न कुछ अवश्य सीखता रहता है।
मानव का जन्मजात व्यवहार पशु के समान होता है।शिक्षा इन जन्मजात शक्तियों का विकास करती है।मानव के विकास के साथ ही शिक्षा से समाज की संस्कृति व सभ्यता का विकास होता है।