‘परिवर्तन’ के संस्थापक अध्यक्ष, उस्ताद शायर जनाब ‘बेख़ुद ग़ाज़ीपुरी’ आज किसी परिचय के मुहताज नहीं हैं, इन्हीं की शिष्या ‘अंशू’ की यह ताज़ातरीन ग़ज़ल प्रस्तुत है । गत एक दशक से अधिक समय से हिन्दी/उर्दू की साहित्य-सेवा करनेवाली संस्था ‘परिवर्तन’ को न केवल आप Like, Share करें बल्कि इसे अपने Comments और Suggestion दे कर हमें उपकृत भी करें ।
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