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  • 48 minutes ago
नए साल के जश्न को लेकर मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने जारी किया फतवा, देखें क्या कहा

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00:00भारत में भी आल इंडिया मुस्लिम जमात के अध्यक्ष मौलाना शाहबुद्दीन रिजवी बरिल्वी ने नए साल के जशन के खिलाफ फत्वा जारी किया है।
00:09ये कहा है कि 31 दिसंबर की आधी रात को नए साल का जशन मनाना इसलाम धर्म के खिलाफ है।
00:17दिसंबर की रात में आम तरीके से लोग जशन मनाते हैं। उसमें शो शराबा, हंगामा, डांस, नाच, गाना, फूहर अंदाज में तमाम तरीके अपनाते हैं।
00:34तो मैं इस इसले में शरीयत इसलामिया का हुक्म बता रहा हूँ कि ये लहवो लाइब है और लहवो लाइब शरीयत में नाजाइज है। ये इस तरीके से नए साल का जशन मनाना नाजाइज है।
00:54ये वहस हर बार होती है कि क्या इसलाम धर्म में नए साल का जशन मनाना वर्जित है और अगर है तो इसके पीछे के मुख्य कारण क्या है।
01:02ब्लॉगिंग वेब साइट मीडियम पर छपे एक लेक के अनुसार इसलाम धर्म में नए साल के जशन को शिर्क माना गया है।
01:08शिर्क वो विश्वास या आचरण है जिसमें अलाह की इबादत में किसी इनसान, मूर्ती, पैगंबर, फरिष्टे, पीर, मजार या किसी और सत्ता को अलाह के बराबर या उनके साथ शामिल कर दिया जाए।
01:20और बहुत सारे लोग मानते हैं कि नए साल का जशन भी शिर्क के ही समान है।
01:50जिसकी वज़े से इसलाम धर्म में नए साल के जशन को शिर्क मान लिया गया।
02:20महीने में आता है। इसलाम धर्म में इसे हिजरी क्यालेंडर कहा जाता है।
02:24जिसका हिंदी भाषा में अर्थ होता है प्रवास करना या एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना।
02:30इस कालेंडर चंद्रमा की चाल पर निर्भर करता है और इसमें अंग्रेजों के कालेंडर के मुकाबले 11 दिन कम होता है।
02:35अंग्रेजों के कालेंडर में एक साल में 365.2422 दिन होता है।
02:43जबकि हिजरी कालेंडर में 354.36 दिन होता है।
02:48एक अनुमान के अनुसाद दुनिया के 190 करोड मुसल्मानों में से 100 करोड से ज्यादा मुसल्मान आज भी एक जन्वरी को नया साल नहीं मनाते।
02:58और ये अनुमान आटिफिशल इंटेलिजेंस का है।
03:28हालनकि यहां इस पूरी खबर का एक दूसरा पहलू भी है और वो पहलू ये है कि भारत एक धर्म में पेक्ष्ट देश है जहां सभी धर्मों, उनकी परमपरां, उनकी मानताओं का सम्मान किया जाता है।
03:38और जब हमारे देश में नए साल के जश्न के खिलाफ फत्वे जारी होते हैं तो इससे सही नहीं माना जा सकता।
03:44आप भारत के अलग-अलग शेहरों की तस्वीरें देखिए, जहां नए साल के मौके पर हिंदू मंदिरों में जन सैलाब आपको दिख सकता है।
03:54ये स्थिती तब है जब हिंदू धर्म में भी एक जनवरी को नए साल का शुभारम नहीं माना गया है।
04:02नए साल के लिए एक जनवरी के तिथी ग्रेगोरियन कैलेंडर से आई है और ये नाम इसाई शासक पोप ग्रेगरी के नाम पर पड़ा है जिन्नोंने 1582 में ग्रेगोरियन कैलेंडर को लागू किया।
04:17ये वही कैलेंडर है जो कई बार संशोधित हुआ और शुरुवात में इसे रोमन कैलेंडर कहा जाता था जिसमें एक साल 12 महीने या 365 दिनों का नहीं होता था बलकि ये 10 महीने या 304 दिनों का होता था।
04:30और इस 10 महीनों के साल में पहला महीना मार्च का होता था, आखरी महीना मौजूदा कैलेंडर की तरह दिसंबर का होता था।
04:38इसके बाद इसमें कुछ बदलाव हुए, इनमें काल की गणना के हिसाब से जन्वरी और फर्वरी के महीने को जोडा गया, बाद में यही कैलंडर जूलियन कैलंडर बना और फिर इसी में बदलाव करके इसे मौझूदा कैलंडर का रूप दे दिया गया
04:52बड़ी बात यह है कि हिंदू धर्म में आज भी दीपावली और हूली से लेकर सभी छोटे बड़े त्योहारों की तारीख और शादी जैसे शुब कारिय ग्रिगोरियन कैलेंडर के हिसाब से नहीं मनाया जाते
05:02लेकिन फिर भी भारत की धर्म निर्पेक्षता ऐसी रही है कि हमारे देश में एक जनवरी को नए साल के जशन पर विवाद नहीं किया जाता है
05:09भारत के लोग ग्रेगोरिन कैलेंडर के हिसाब से एक जनवरी को भी नए साल का जशन मनाते हैं
05:15और विक्रम समवत कैलेंडर के हिसाब से चैत्र महीने के शुकलपक्ष की पहली तिथी को भी नए साल का जशन मनाते हैं
05:22और यहीं हमारी धर्म निर्पेक्षता की सबसे बड़ी सुन्दरता है जिसे कुछ फत्मू में नहीं बांधा जा सकता है
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