Guru Gobind Singh ji History: गुरु गोबिंद सिंह जी की 359वीं जयंती वर्ष 2025 में शनिवार, 27 दिसंबर को मनाई जाएगी। यह सिर्फ एक तारीख नहीं, बल्कि उस दिव्य क्षण की स्मृति है जब एक ऐसे वीर, ज्ञानवान और करुणामय गुरु ने जन्म लिया, जिनकी प्रेरणा आज भी दुनिया को दिशा देती है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि गुरु गोबिंद सिंह जी ने अपने जीवन से अडिग साहस, न्याय के लिए संघर्ष और धर्म की रक्षा का जो संदेश दिया, वह समय के हर पड़ाव पर उतना ही प्रासंगिक है। 27 दिसंबर का यह उत्सव उनके अद्भुत व्यक्तित्व को नमन करने का अवसर है।Guru Gobind Singh ji History: Guru Gobind Singh Ji Kaun Hai,Itihaas,Janm Kab Hua,Kitne Putra They..
00:00गुरु गोबिंद सिंग जी का 379 जैनती साल 2025 में श्रनिवार 27 दसंबर को मनाई जाएगी
00:11ये सर्फ एक तारीख नहीं बलके उस दिव विश्रन की स्मुरती है जब एक ऐसे वीर ज्यानवान और करोणा में गुरु ने जन मिलिया जिनकी प्रेड़ना आज भी दुनिया को दिशा देती है
00:22ये दिन हमें याद दलाता है कि गुरु गोबिंद सिंग जीने अपने जीवन से अडिग साहस न्याय के लिए संघर्ष और धर्म की रक्षा का जो संदेश दिया वो समय के हर पड़ाव पर उतना ही प्रासंगिक है
00:34अब सवाल ही उठता है कि आखर गुरु गोबिंद सिंग है कौन और क्या हर साल उनका जन्म दिन 27 दिसंबर को ही मनाया जाता है
00:43आपको बता दे कि हिंदू पंचांग के अनुसार सब्तमी तिती के शुरवाद 26 दिसंबर की दोपहर एक बचकर 43 मिनट से 27 दिसंबर को दोपहर एक बचकर 9 मिनट तक है
00:55हाला कि आमतार पर लोग 5 जन्वरी को भी याद करते हैं लेकिन जैनती नानक श्राही कैलेंडर के अनुसार मनाई जाती है
01:03इसी वज़े से साल दर साल इनकी तारीख बदलती रहती है
01:08गुरु गोबिंद सिंग सिखों के दस्वे और अन्तिमानव गुरु सिर्फ एक आध्यात्मिक पुरुष नहीं
01:13वो एक योध्धा, कवी, दार्शनिक, आध्यात्मिक मार्ग दर्श और एक महान राष्ट निर्माता थे
01:19वहें गुरु गोबिंद सिंग का जन पतना साहिब बिहार में साल 1606 छाचट में हुआ था
01:27गुरु तेज बहदुर जी और माता गुजरी जी के वो पुत्र थे
01:30बच्पन में उनका नाम गोवंद राय रखा गया
01:33चार साल की उम्र तक वो पतना में ही रहे
01:36फिर परिवार के साथ पंजाब लोटाएं
01:38सक्षा के दोरान उनके अंदर धर्म परोपकार और नयाय के वचार गहराई से विक्सत हुए
01:431665 में उनके जीवन में सबसे बड़ा बदलावाया
01:47जब उनके पिता को मुगल शासक औरंग जेव द्वारा शहीद कर दिया गया
01:52पिता की शहादत का असर इतना गहरा था कि सर्फ नौ साल की उम्र में
01:56गोवंद राय को सिख समुदाय का दस्वा गुरू घोशत किया गया
02:001699 का बैसाखी का दिन सिख इतिहास का सबसे एहम छड माना जाता है
02:06इसी दिन गुरू गोवंद सिंग ने खालसा 25 की स्थापना की
02:10खालसा के 5 ककार, केश, कंगा, कडा, कच्छेरा, कृपान
02:16यह सर्फ धार्मिक प्रतीक नहीं, बलकि एक अनुशासित, साहसी और चरत्रवान जीवन की पहचान थे
02:22गुरू गोविन सिंग का जीवन मानो बलिदान की परिभाशा हो
02:25उन्होंने अपने चारों पुत्र जिन्हें शाहिबजादों के नाम से जाना जाता था
02:29को धर्म और मानवता के लिए समर्पित कर दिया
02:32बाबा अजीत सिंग, बाबा जुझार सिंग, बाबा जोरावर सिंग और बाबा फतेह सिंग
02:38इतिहास में ऐसी मिसाले बहुत कम है
02:40जहां एक ही गुरू ने अपने सभी पुत्रों का बलिदान धर्म के लिए किया हो
02:44गुरू साहब सिर्फ युद्धवीर नहीं थे, बलकि उतकरिष्ट कवी और दार्शनिक भी थे
02:50उनके रचनाव में निर्भैता, दैविय शक्ती और मानवता की गहरी समझ जहलकती है
02:56उन्होंने कुछ खास लेखन भी किये, जिनमें चंडी दावार, जट्थर नामा, बिचित्र नाटक ये गरंत, आत्मबल, धर्म और न्याय का मार्ग दिखाते हैं
03:071707 में और अंगजेब की मृत्यों के बाद गुरु गोबिंद सिंग को बहादूर शाह ने चर्चा के लिए बलाया, लेकिन वास्तविक मुद्दों पर बाच्चीत नहीं हुई
03:16इसी बीच वजीर खान ने अपने साथियों के साथ शड़ियंत्र रच कर गुरु साहब पर हमला करवा दिया, हमले में वो गंभी रूप से घायल हुए
03:24फिर भी उन्होंने हमलावर को मार गिराया, अंत में साथ अक्टूबर 1708 को नांदेड में उन्होंने शरीर त्याग दिया, लेकिन उनसे पहले वो कह चुके थे, अब से गुरु गरंध साहिब ही सिखों का जीवित गुरु होगा
03:39यही सिख परंपरा आज तक कहिम है, इस दिन सिख लोग गुरु गोबिंद सिंग जैनती पर सिख समुदाय, अखंडपाट, प्रभात फेरी, नगर कीर्थन, लंगर और विशेश अरदास करते हैं
03:52फिल्हाल इस विडियो में इतना है, विडियो को लाइक और शेर करें, साथी चैनल को सब्सक्राइब करना ना भूले
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