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  • 15 hours ago
उत्तराखंड में वन्य जीवों की समुचित देखभाल और चिकित्सा के लिए पशु चिकित्सकों की भारी कमी है

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00:00ुट्राखंड में जंगली जानवरों के लिए भी डॉक्टरों की कमी महसूस हो रही है
00:17दरसल राज्जी स्थापना के इत्ते सालों बाद भी
00:21वन महकमे में वाइल लाइप की सेहत के लिए
00:24चिकित्सकों की स्थाई वियोस्था नहीं हुई है
00:26हालात ये हैं कि जब तक पशुचिकित्सक वन्यजीओं पर काम का उनुभव हासिल कर पाते हैं
00:33तब तक उन पर प्रतिन्यूक्ति खत्म होने की तलवार लटकने लगती है
00:37फिलाल ये बात इसलिए भी चर्चाओं में आई है
00:40क्योंकि राज्य में इन दिनों इंसानों के साथ वन्यजीओं का संघर्स चरम पर पहुँच गया है
00:45ऐसे हालात में चिकत्सकों की भूमिका भी एहम हो गई है
00:50उधर दूसरी तरफ वाइल्ड लाइफ के सेत्र में काम करने वाले
01:02राजाजी टाइगर रिजोरो के ओन्रेरी वार्डन कहते हैं
01:06कि ये मामला बहत गंभीर है इस पर काम होना चाहिए
01:09आई अब आपको बताते हैं
01:37उत्राखंड में कहां कहां वाइल्ड लाइफ के लिए पशु चिकित्सक तैना थें
01:42उत्राखंड में वाइल्ड लाइफ के लिए फिलहाल सिर्फ आठ पशु चिकित्सकों की तैनाती है
01:48इनमें गड़वाल मंडल में
01:50राजाजी टाइगर रिजोरो में एक
01:52चिडियापूर वानर बंध्याकरण केंदर में दो, देहरादून चिडियागर में एक, कॉर्बेट टाइगर रिजवरू में एक, मेनीताल चिडियागर में एक, अलमोडा वानर बंध्याकरण केंदर में एक, और पश्चिमी विरित हल्द्वानी में एक पशुचिकित्सक की
02:22पिथोरागर और चमपाउत में एक, गड़वाल और रुद्रप्रियाग फोरेस्ट डिवीजन में एक, केदानात वन्य जीव प्रभाग और चमोली जिले में एक, उत्तरकाशी जिले और गंगोत्री राष्टी पार्क में एक पशु चिकित्सक की जरूरत है.
02:41सरकार के पास, मध्य प्रदेश की तरह ही, वन्य विभाग में पशु चिकित्सकों का एक, अलग केडर बनाने का भी विकल्प मौजूद है, लेकिन राज्य स्थापना के 25 साल बाद भी, न तो विभाग में वाइल लाइफ की सिहत के लिए इस्थाई समाधान हो पाया है, और
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