00:00नवस्कार मैं हूँ शम्स ताहर खान और आप देख रहे हैं वारदात
00:08पाकिस्तान में भारती सरहत के बिलकुल करीब दो गाउं
00:12इन दोनों ही गाउं में भील समुदाए के लोग रहते हैं
00:16भील समुदाय के बीच एक परंपरा है कि गाउं में रहने वाले लोग आपस में शादी नहीं कर सकते हैं।
00:23लेकिन इसी गाउं के दो लड़कों को दो लड़कियों से प्यार हो जाता है।
00:27वो दोनों गाउं की इस परंपरा को बहुत भी जानते थे।
00:31मगर दोनों को शादी करनी थी। इसलिए दोनों अलग अलग एक फैसला करते हैं।
00:52नफरत की बुनियाद पर खींची गई। सरहत की इस लकीर को दो परवाने महबत से पार करने घर से निकले थे।
01:06सफन लंबा भी था और अच्जान भी। उपर से रास्ता भूल भुलई आपा।
01:12चारों तरफ दूर दूर तक सिर्फ रेत, रेत के दिखते छुपते टीले।
01:22इसी रेतीले दरिया को पार करने के लिए ये दो सिर्भेरे पाकिस्तान से भारत के सफर पर निकल पड़े थे।
01:34मुहबत के इन दिवानों को ये पता ही नहीं था कि इनसान के बनाए इस सरहत को लांगने के लिए इनसान के ही बनाए कुछ जरूरी कावसों तो जरूरत होती है जिसे हम और आप वीजा कहते हैं।
01:50नतीजा ये कि मन्जिल पर पहुँचने से पहले ही खुद मन्जिल ने इने जगण लिया।
01:57पहले जोड़े की कहानी शुरू होती है इसी साल चार अक्तूबर को।
02:03बारत पाकिस्तान इंटरनेशनल बॉर्डर से फक्त दो किलोमेटर की दूरी पर सरहत से लगता दूसरा और आखरी गाउ है ये पाकिस्तान का।
02:12इस पूरे गाउं में भील समुदाए के लोग रहते हैं
02:16इस गाउं के पडोसी गाउं में भील समुदाए के लोगों की ही आपाती है
02:21भील समुदाए के बीच ये रवायत है
02:24कि जो भी गाउं में रहते हैं
02:26वो सभी एक दूसरे के रिष्टेदार है
02:28लहाजा इन में आपस में शादी नहीं हो सकते
02:32और पस इसी रवायत ने टोटो और मीना को बागी बना दिया
02:36ये दोनों पाकिस्तान के थार पर करजिले के इसी लासरी गाउं के रहने वाले
02:42टोटो और मीना एक दूसरे से प्यार करते हैं
02:45पर इन्हें मालूम था कि दोनों की शादी यहां रहते हुए नहीं हो सकती
02:50लहाजा ये एक फैसला करते हैं
02:52पाकिस्तान के अपने इस गाउं से हिंदुस्तान जाने का
02:56वो भी तार के नीचे से
02:58बस अब इन्हें इन्तिजार था आस्मान पर चोधवी के चांद का
03:04ताकि उसकी रौश्णी में या आसानी से रास्टा पार कर सके
03:08दोनों जानते थे कि लास्री गाउं और भारत की सीमा के बीच एक चोटी सी पहाड़ी
03:15जिसका नाम है मेरीडो डूंगर
03:17मेरीडो डूंगर से दोनों को रतना पर पहुँचना था
03:20रतना पर पाकिस्तान की सीमा पार करते हैं भारतिय सरहत में मौजूद पहले गाओं का नाम है
03:28सारी जानकारी और रूट जानने के बाद अब दोनों पूर्णिमा की राद चार अक्तूबर को अपने अपने बैग में रोटी गुड़ और एक पड़े से बोतल में पानी रखते हैं और अपनी मन्जिल की तरफ निकल पड़ते हैं
03:42पूरे तीन दिन और पचास किलो मिटर का सफर तैकर आखिरकार साथ अक्तूबर की शाम टोटों और मीना भारती सीमा में दाखिल हो जाते हैं और रतना पर पहुँच जाते हैं
03:55पहली बार रतना पर गाउं के लोगों की नज़र दोनों पर पड़ती हैं दोनों बुरी तरह निढ़ाल थी और भूके भी
04:04गाउंवालों ने उन्हें खाना खिलाया रात सोने के लिए चार पाई दी और सुबहा दोनों की पुलिस को खबादी
04:11चुकि दोनों सरहत पार से बिना काख़ात क्या आए थे लहादा कच्छ पुलिस के अलावा सेंटरल एजन्सियों में भी दोनों से बूच ताच की
04:22दोनों ने यही कहानी बताई कि वो एक दूसरे से प्यार करते हैं और शादी कर अपनी मर्जी से जिन्दगी चीना चाहते हैं इसलिए भारत आड़े फिलाल दोनों कानून की गिरफ्त में
04:34टोटो और मीना के यू भारत आने के तेड़ महीने के बाद दूसरी कहानी चन लेती है इस बार पाकिस्तान से आए इन दो प्रेमी जोगों के नाम पोपट और गौरी थे
04:48हैरत की बात ये कि पोपट और गौरी भी पाकिस्तान के उसी थार पकर जिले के थे
04:55बस इनका गाउं अलग था, इनके गाउं का नाम था मुगरिया, इस गाउं में भी भील सा मुदाय के लोग ही रहते हैं
05:02इन दोनों की कहानी भी टोटो और मीना की तरह ही थी, दोनों एक दूसरे से प्यार करते थे
05:08पर एक ही ब्रादरी के होने की वज़ा से शादी हो नहीं सकती थी, लहाज भारत जाने का फैसला कर लिया
05:15इत्वाक से इन्हों ने भी ठीक वही रूट लिया जो टोटो और मीना ने लिया था
05:21नवंबर के महीने में उसी पहाडी मेरिड और डूंगर के रास्ते ये दोनों भी रतना पर गाओं की तरह पड़ते हैं
05:29लेकिन इस से पहले कि ये रतना पर में दाखिल हो पाते हैं
05:32बार की सीमा में घुसते ही बियसिफ ने दोनों को पकड़ लिया
05:36इन दोनों से भी सेंट्रल एजिंसियों ने बूचता आच की
05:39इन दोनों ने भी टोटा और मीना वाली ही कहानी सुनाई
05:43ये दोनों भी फिलहाल गानून की गिरफ्त में
05:46ये कहानी छे महीने पुरानी है
05:49तोटो मीना पोपट और कौरी बेशक पकड़े गए
05:52पर शुक्र है जिन्दा तो है
05:54लेकिन ये खुशनसीबी रवी और शान्ती के हिस्से नहीं आपाई
05:59बात 28 जून की है
06:06जैसल मेर के गरीब भारत पाकिस्तान सरहत के पास
06:10बारह किलो मेटर अंदर रेगिस्तान से एक चरवाहा गुजर रहा था
06:15अचानक उसकी नजर साधे वाला गाउं के गरीब दो लाशों पर पड़ी
06:19एक लाश लड़के की थी और दूसरी लड़की की
06:25दोनों लाशों को देख कर साफ पता चल रहा था
06:31कि इनकी मौत कई दिन पहले हो चुकी जिसम काला पड़ चुका था
06:36दोनों के चेहरे पर पानी का खाली जर्किन यानी कैन रखा हुआ था
06:42इस जर्किन में करीब पांच लीटर पानी आता है
06:45जिस जगह पर इन दोनों की लाश मिली
06:48वहाँ इन दिनों तापमान पचास बिग्री से भी उपर है
06:52उपर से गर्म रेट चरवाहे ने फौरन लाश की खबर भारत पाक बॉर्डर पर मौजूद तनोट पुलिस स्टेशन को दी
07:01लाश के पास से पुलिस ने मुबाइल फोन और दो आईडी कार्ट भी परामत की
07:07फोन सैमसंग का था और सिम पाकिस्तान का
07:10दोनों आईडी भी पाकिस्तान के ही थे
07:13इस आईडी से ये पता चला कि दोनों लाशे पाकिस्तानी नागर्टी है
07:18आईडी कार्ट पर दोनों के नाम भी लिखे थे पर इसके लावा लाश के आसपास से और कोई भी चीज बरामन नहीं हो
07:27मौक्टे पर हमें जो दुब्धी के पास से दो पाकिस्तान बेस आईडी मिले हैं जिसमें ओल दो हम आईडी की जात कर रहे हैं
07:36लड़के का जो नाम आईडी में रवी है और बुच्ची का नाम शान्ती है उनके जेटो बर्ट भी 2008-2010 की मिली हैं उसके अलावा उनके पास में एक सेंसंग मॉबाइल और पाकिस्तानी बेस सिम भी मिली है
07:50जो कि मामला बॉर्डर के करीब का था इसलिए जैसल मेर पुलिस ने बेस एफ यानि बॉर्डर सेक्रिटी फोर्स को दोनों लाशों की जानकारी दी
08:00लाश को मुर्दा घर भेजने के बाद पुलिस अब दोनों के बारे में जान शुरू करती है
08:06इस दोरां पता चलता है के न दोनों की मौथ पानी न मिले यानि ब्यास की जासे हो
08:15तेज करमी और तबते रेगिस्तान में पाकिस्तान से भारत की सरहत में दोनों करीब 35 कילोमीटर पैदल चले थे
08:23रेगिस्तान में रास्ता भटकने की वज़ा से शायद वक्त ज्यादा लग गया और मन्जिल दूर रह गई
08:31जितना पानी वो साथ लेकर चले थे उसकी हर बूंट खत्म हो चुकी थी
08:37शायद इसी वज़ा से दोलों प्यासे बर गए
08:41चुकी मामला गयर गानुनी तरीके से बौर्डरो क्रास करने का था
09:01लहाएज पुलिस अपनी चांच शुरू करती इस चांच के दौरान जो कहानी सामने आती है
09:07वो कलेजा चीर तेरे वाली
09:09रवी और शान्ती भारत पाकिस्तान सरहत के करीब पाकिस्तान के सिंदके घोट की जिला के रहने वाले थे
09:19इन दोनों की इसी साल फरवरी में दोनों परिवारों की मर्जी से शादी हुई थी
09:24रवी और शान्ती दोनों के ही कही रिष्टेदार राजिस्थान के भील इलाके में रहते हैं
09:31शादी के बाद शान्ती ने अपने पती रवी से उसे भारत ले जाने की खाहिश चता है
09:36वो एक बार जैसल मेर अपने रिष्टेदार के पास जाना चाहती थी
09:41रवी ने शानती से वादा किया कि वो उसकी ये खाहिश जरूर पूरी करेगा
09:46शादी के फॉरण बाद उसने वीजा के लिए अपलाई भी कर दिया
09:51पर बतकस्मती देखें कि इसी बीच पहल गाम में टूरिस्टों पर आतंकवादी
10:10हमला हो जाता है ऑपरेशन सिंदूर के तहट भारत पाकिस्तान के आतंके ठिकानों पर हमले करता है
10:17और इसी के साथ भारत में मौझूद सभी पाकिस्तानियों को देश छोड़ने का हुक दिया जाता है
10:24साथ ही साथ पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा देने पर भी रोक लगाने का फर्मा जारी हो जाता है
10:31रवी और शान्ती का दिल टूट जाता है
10:35चुकि रवी ने शान्ती से वादा किया था
10:37इसलिए वो वीजा पर लगी रोक हटने का इंतिजार करने की बजाए
10:42तार के नीचे से शान्ती को भारत ले जाने का फैसला करता है
10:47हाला कि रवी जब ये बात अपने पिता को बताता है
10:50तो पिता से उसका छगड़ा हो जाता है
10:52वो उसे समझाते हैं कि गहर कानूनी तरीके से भारत मत जाओ
10:57लेकिन रवी नहीं मानता
10:59और फिर पानी ना होने के कान इनकी दैट हुई है
11:2921 जून को रवी अपनी बीवी शान्ती के साथ पाकिस्तान अपने घर से मोटर साइकल पर एक बैग में कुछ कपड़े लिए निकल पड़ता है
11:38रवी के गाउं से करीब 30 किलो मिटर दूर नूर पूरी पड़ता है
11:43नूर पूरी में नूर फकीर के नाम से एक दरगा है
11:46दोनों सबसे पहले इस दरगाह पर पहुंचते है
11:49दरगाह में हाजरी लगाने के बाद वो वहां से मोटर साइकल पर रवाना हो जाते है
11:54इन्हें पता था कि इन्हें चोरी छुपे बॉर्डर क्रॉस करना है
11:59लेहाजा दोनों ने बॉर्डर क्रॉस करने के लिए रेगिस्तान का रास्ता चुना
12:03पर रेत पर बाइक नहीं चलती
12:05इसलिए रेगिस्तानी इलाके में पहुचते ही
12:08रवी ने अपनी बाइक और कपनों से भरा बैग वहीं छोड़ दिया
12:12दोनों को पता था जून का महीना है
12:15सूरज सर और तबते रेत पाउं के नीचे होगे
12:19लहाज रवी और शानती ने पांच पांच लीटर पानी के दो कैन खरीदे
12:24और पैदल ही रेगिस्तान उतर पड़े
12:27रेत के रुख को जानने वाले ये जानते हैं
12:33के रेगिस्तान पल में अपना नक्षा बतल लेता है
12:36जिस नक्षे के सहारे रवी और शानती रेगिस्तानी सफर पर निकले थे
12:40वो नक्षा काम ना है
12:42दोनों रास्ता भटकते हैं
12:44पर तब तक पैदल चलते चलते
12:46दोनों भारती सरहत के करीब बारह किलो मिटर अंदर आ चुके थे
12:51दूर दूर तक न कोई बसती ना इनसान ना पानी का ना मौनिशान
12:56अंजाम ये
12:57कि मन्जल पर पहुचने से पहले दोनों प्यासे मर गए
13:01इसे एक तस्वीर को देख कर साफ पता चलता है
13:05कि आखरी वक्त तक दोनों इस कैन के जरीए पानी की एक एक पूंट के लिए तड़ रहे होंगे
13:13विमल भाटिया जैसल मेर आज तक
13:18सरहत पार करने वाले मुहबत के इनमारों का इरादा बेशक खतरनाक नहीं था
13:24लेकिन जिस तरह से उन्होंने पाकिस्तानी सीमा से भारतिय सरहत में कदम रखा
13:30वो सरहत पर सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े करता है
13:33वैसे भी पाकिस्तान हमेशा भारत को लेकर घात लगाए बैठा रहता है
13:38जैसल मेर पुलिस और बीएसफ ने रवी और शानती की पूरी च्छान बीब की
13:44उनके मुबाइल और सिम का सच पी टेटोरा
13:47रवी और शानती के भील डिस्ट्रिक्ट में रहने वाले रिष्टेदारों से भी बात की
13:52रिष्टेदारों ने पाकिस्तान में रवी के पिता से भी बात की और उन्हें सारी सचाई बताए
13:57रिष्टेदारों का पता मिलने के बाद ही जैसल मेर पुलिस ने पोस्ट मॉटम के बाद रवी और शानती की लाश बारत में मौजूद उनके रिष्टेदारों को सौंप दी
14:07जिसके बाद एक जुलाई को राजस्थान के ही भील मेरवी और शान्ती का अंतिम संसकार किया गया
14:14चुकी लासें काफी पुरानी हो चुकी थी और डॉक्टर्स की राय थी कि इसे इन्फेक्शन पहलने की संभावना है
14:23इसलिए उनकी जाती के बारे में पता करके भील जाती के होना हमने यहां ग्यात किया था जो पाप इस्तापित अल्ड़ी यहां पे रह रहे हैं उनसे पता करके
14:34और फिर उनी के परिवार के निकट जो परीजन ने उनसे संपर्ग स्तापित हुआ, उनकी उपस्तिती है, उनकी सहमती से, कल सायकाल को उनका रामगड में ही जो है नीमानुसार, उनकी सामाजी विदी अनुरूप निस्तारण कर दिया गया।
14:50बेशक रवी और शामती का सरहत पार करने का तरीखा घलत था, सरहतों के अपने आगूं होते हैं।
15:20यकीन तार के नीचे से भारत आकर दोनों ने गुनाह किया। लेकिन ये सब कुछ। रवी ने अपनी नई नवेली दुलत शान्ती के दिया था। शान्ती की खौाहिश पूरी करने के लिए किया था। और इसी खाहिश को पूरी करते करते, दोनों ने प्यासे ही दम तोड�
15:50शान्ती की कहानी सुनकर कुछ सीख पाए विमल भाटिया जैसल मेर आज तक
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