सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के जज जस्टिस सूर्यकांत (CJI Surya Kant) द्वारा रोहिंग्या प्रवासियों (Rohingya Immigrants) को लेकर की गई टिप्पणी पर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. 2 दिसंबर को एक सुनवाई के दौरान पीठ ने पूछा था कि क्या अवैध प्रवासियों का स्वागत किया जाना चाहिए? इस टिप्पणी के बाद कुछ वकीलों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने CJI की आलोचना की थी. अब इस मामले में एक नया मोड़ आ गया है. सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के 44 रिटायर्ड जजों (44 Retired Judges) ने एक संयुक्त बयान जारी कर CJI Surya Kant का खुला समर्थन किया है. About the Story: A major controversy has erupted over Supreme Court Justice Surya Kant's remarks on Rohingya immigrants. While critics called his comments insensitive, a group of 44 retired judges has now issued an open letter in his support. They argue that asking legal questions about illegal immigrants and national security is the court's duty. Watch this video to understand the full debate on Rohingya refugee status in India.
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00:00बंगलदेशी रोहिंग्यों पर CGI सूर्यकांत एक टिपनी करते हैं और देश के मुख्य नयाधीश के खिलाफ मोर्चा खोल दिया जाता है
00:07एक नया बवाल खड़ा हो जाता है जन्दा को तो छोड़ दीजिए बड़े बड़े वकील शुक्षाविद सभी अंदोलन छेट देते हैं
00:14मुद्दा बढ़ जाता है फिर अचानक 44 रिटायर जजज CGI के सपोर्ट में उतर आते हैं
00:20मामला यही शांत नहीं होता है तो कि बंगाल में इसा यार चल रहा होता है और वहां सबसे ज्यादा तादाद में रोहिंग्या रहते हैं
00:27लेकिन CGI सुर्यकांत ने रोहिंग्यों पर ऐसा क्या कह दिया जो बवाल मच गया
00:32और उनके समर्थन में आए जज क्या तर्ग दे रहे हैं नमस्कार मेरा नाम है रिचा और आप देख रहे हैं वन इंडिया हिंदी
00:39सुप्रेम कोट के मुखे नियाधिश सुर्यकांत के रोहिंग्या प्रवासियों को लेकर अदालत में की गई टिपड़ी का मुद्धा गर्माता दिख रहा है
00:47सीजियाई सुर्यकांत के खिलाफ इसे लेकर चलाये जा रहे अभियान के खिलाफ सुप्रिम कोट और हाई कोट के 44 रिटायर जज खुल कर सामने आ गए हैं
00:56इन सभी पूर्व नियाधीशों ने संयुक्त बयान जारी करके सीजियाई पर हो रहे व्यक्तिकत हमलों की कड़ी निंदा की है और इसे नियाई पालिका को बदनाम करने की साजिश करार दिया है
01:06सीजियाई सुर्यकांत ने रोहिंग्यों पर क्या कहा था
01:09दरसल दो दिसंबर को रोहिंग्या समुदाय से जुड़े कुछ लोगों के कथित हरासत में गायब होने के मामले की सुनवाई के दौरान सीजियाई सुर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने रोहिंग्यों को शरनार्थी दरजे को लेकर सवाल उठाया था
01:23मामले की सुनवाई के दौरान सीजियाई सुर्यकांत ने मौखिक टिपणी में सवाल उठाया था कि क्या घुसपैठियों का लाल कालीन बिछा कर स्वागत किया जाना चाहिए
01:33पुर्व जजों ने क्यों की सीजियाई की आलोचना
01:37इसके बाद 5 दिसंबर को हाई कोट के कुछ रिटायर जजों, वरिस्ट अधिवक्ताओं, सीजियाई को एक खुला पत्र लिखकर इन टिपणियों को असम्वेदर्शील और सम्वेधानिक मूल्यों के खिला बता दिया था
01:48अब इसके जवाब में 44 पुर्व जजों के एक दूसरे समूह ने सीजियाई के पक्ष में सामने आकर अपनी बात रखी है और न्याई कारवाई पर संतुलित और तर्ग पुन आलोचना हो सकती है ऐसा कहा है लेकिन मौजूदा बहस सम्वेधानिक असहमती से कही आगे निक
02:18आधी कानून पर सवाल उठाया था आखर किस कानून के तहत रोहिंग्यों को शर्णार्थी का दरजा दिया गया है उनका कहना है कि किसी भी अधिकार या सुविधा पर निर्णय देने से पहले यह कानूनी सवाल उठाना पूरी तरह जायज है
02:3144 पूरे जज़ों में ये भी आरोप लगाया है कि आलोचकों ने पीज की उस सपष्ट टिपणी को नजर अंदाज कर दिया उसमें कहा गया कि भारत की धरती पर मौजूद कोई भी व्यक्ति जबरन गायब किये जाने या अमानविय व्यभार का शिकार नहीं हो सकता और हर �
03:01दाकिल नहीं हुए है कई मामलों में उनकी एंट्री अन्यमित अवैद रही है और केवल दावा करने से उन्हें कानूनी रूप से श्रनार्थी का दरज़ा नहीं मिल सकता पूरो जज़ों ने ये भी आद लाया कि भारत 1951 के संयुक्त राष्ट्र श्रनार्थी सम्मेलन और
03:31अपनाया ही नहीं है पत्र में इस बात पर भी गंभीर चिंता जताई गई है कि अवैद रूप से भारत में दाखिल हुए लोगों को आधार काड राशन काड और अन्या भारती दस्तवेश कैसे मिल गए पुर्वन ने अधीशों के अनुसार ये दस्तवेश सिर्ष नागर
04:01लेकिन आपको क्या लगता है जिस्टिस सुर्यकांद के जो टिपड़ी थी रोहिंग्यों पर वो गलत थी क्या पूरी तरह से गलत थी या फिर जो उनके खिलाफ मुहीम छेड़ी गई है वो गलत है या फिर इसके बीच में कुछ ऐसा रास्ता है जो निकाला जा सकता है आ�
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