गोवा के Birch by Romeo Lane नाइटक्लब में लगी भीषण आग में 25 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई। लेकिन इससे भी बड़ा सवाल यह है कि — क्लब मालिक सौरभ लूथरा और गौरव लूथरा हादसे के कुछ ही घंटों में देश से कैसे भाग गए? क्या पुलिस ने समय पर LOC जारी नहीं किया? क्या प्रशासन की लापरवाही ने एक और Uphaar Cinema जैसी त्रासदी दोहरा दी? सिस्टम कब सुधरेगा? हादसे से पहले कार्रवाई क्यों नहीं होती? इस एक्सप्लेनर में देखें: ✔ हादसे की पूरी टाइमलाइन ✔ क्लब के मालिकों का देश छोड़ना — Minute-by-Minute Detail ✔ LOC और Interpol की देरी ✔ सुरक्षा उल्लंघन, NOC की कमी, फायर एग्जिट बंद ✔ भारत में बार-बार आग की घटनाओं के पीछे प्रशासन की विफलता ✔ Uphaar Cinema केस जैसी समानताएँ ✔ और सबसे बड़ा सवाल — लोगों की जान की कीमत आखिर कब समझेगा सिस्टम? अपनी राय हमें कमेंट में बताएं। The massive fire at the Birch by Romeo Lane nightclub in Goa killed 25 people, but the biggest shock came later — club owners Saurabh Luthra and Gaurav Luthra fled India within hours of the tragedy. Why was the LOC not issued on time? How did they manage to leave the country so easily? Is this another example of India's recurring pattern of safety failures and delayed action? In this detailed explainer, we break down: ✔ Full timeline of the Goa fire tragedy ✔ How the Luthra brothers escaped before the police acted ✔ Delay in LOC and Interpol notice ✔ Fire safety violations, missing NOC, overcrowding ✔ Why such tragedies keep repeating — from Goa to Delhi’s Uphaar Cinema ✔ The real questions India must ask Share your thoughts in the comments.
00:00नमस्कार आप देख रहे हैं वान इंडिया मैं हूँ शिवेंगोड गोवा में वर्च वाय रोमियो लेन नाइट किलम में लगी भीसर आग देश के सामने एक बार फिर वही कड़वा सवाल खड़ा कर गई है
00:26आकिर हमारे सिस्टम को लोगों की जान की परवा कब हो दो आज हासा गोवा में हुआ है लेकिन कहानी नहीं नहीं है और दुरबाट की बात ये है कि 24 गंटे भी नहीं बीते थे कि 25 जिन्दियों के खात्मे के जिम्मेदार किलम के मालिक सौरब लूतरा और गलब लूतरा दे�
00:56भगदलमची और लोग जुलसने लगे एफाई यार में बताया गया कि आग लगी फाइर वर्ट्स या पाइरो शो से जिसमें जुलस कर 25 लोगों की मौत हो गई इसके अलाबा कई लोग घैल हुए
01:09सुरक्षा नियमों की अंदे की अनोसी ना होना और फाइर सेफटी प्रोटोकाल फेल होना भी बड़ी बज़े रही
01:17यह वही जगह है जहां बेहत जरूरी सवाल खड़े होते हैं
01:22आकिर हमारे सिस्टम को लोगों की जान की परवा कभ होगी सिस्टम की विफलता का क्या पैठा है
01:29देखिए आज गोवा में हाथसा हुआ लेकिन कहानी नहीं नहीं है दिल्ली का उपार से निमा याद है
01:35उन सट लोगों की मौत और जिम्मेदारों को सजा पूरा जुर्माना लगने में पूरे बीस साल लगे
01:43बीस साल यानि एक पूरी पीड़ी लेकिन सिस्टम की चाल जराबी नहीं बदली
01:48देश के किसी भी कोने में जाईए माराश के अस्पताल में आग उत्तर प्रदेश के बांदा का मामला लगनो के होटल में आग हर बार कहानी बही होती है
02:03फायर सेप्टी अंदेखी, अभैद निर्मान, बिना पर्मीशन, चल रहे सैट अप और कारवाई सिर्फ तब जब दरजनों जाने जलकर राख हो जाती है
02:13धीमों की ये याद हर बार मौत के बाद ही क्यों आती है
02:18परिच्ण, निरीच्ण और कारवाई हर बार हाथ से के बाद ही क्यों होती है
02:24क्या हमारे सिस्टम को इनसानी जान की कोई कीमत नहीं
02:28क्या सरकारें और प्रिशासन सिर्फ फायल बंद करने और बयान देने के लिए बनें
02:33गोआ का ये हाथ सा भी उसी पुरानी स्क्रिप्ट का नया एपिसोड है
02:38फायर एपजिक्ट बंद थे, भीर सीमा से ज्यादा थी, सुरक्षा के नाम पर सिर्फ कापजी खाना पूर थी
02:44और सबसे हैरान करने वाली बात, हाथ से के तुरंद बाद पुलिस मालिकों को पकड़ ही नहीं सकी
02:51क्यों? क्योंकि एलोसी समय पर जारी ही नहीं है
02:56अब सवाल ये है, जब आरोपी देश छोड़ कर जा चुका, तब लुकाउट नोटिस का क्या मतलब?
03:03एलोसी यानि वो नोटिस जिसे एरपोर्ट और बॉर्डर और किसी संदिक्त को रोकने के लिए जारी किया जाता है
03:11लेकिन यहां तो दोनों आरोपी गोवा से मुंबई पहुचे, मुंबई से फिलाइट पकड़ी और सीरे थाइलेंड चले
03:17जब तक एलोसी लगती है तब तक सांप जा चुका था, लकीर पीटते रहो
03:22फिर किर्या भी बाद में सुरूई यानि पहले आरोपी गया, फिर कागज चले, फिर सिस्टम जागा
03:28कमाल की बात यह है कि साल दर साल एक जैसी तराजदियां हर बार वही लापरवाई
03:33लोग बरते हैं, फिर जाँच बैठती हैं, फिर निर्मार नियमों की धक्या मिलती हैं, फिर कुस दिन चर्चा, और फिर वही सब कुस थख ढख के तीन पार
03:44दिल्ली का उपार सिनिमा अगनी कांट जहां 69 लोग मारे गए, जिम्मेदारों को सजा मिलने में 20 साल लग गए, अदालत में साफ लेका, सुरक्षा नियमों की अंदेखी, दोश्रियों की लापरवाई और सरकारी उदासीनता ने जान दी, लेकिन उपार के फैसले के बाद
04:14हाथ से के बाद ने दुशा निर्देश बनते हैं, लेकिन प्रभाव कंचोर, नियम कागश पर, पर जमीन पर अक्सर लागुन नहीं, गवाकेस इसका जीता जाकता उधान है, सबसे बड़ा सबाल मालिक दोसी थे या नहीं, ये बाद में साबित होता है, लेकिन पुलिस का
04:44क्या एजन्सियों का फ़ज नहीं था कि इतने बड़े आग हास्से के तुरंद बाद पहले कारवाई सीमा पर उन्हें रोकने की होती है, गवा की आग सिर्फ एक हास्सा नहीं, ये हमारे सिस्टम की चड़ता और लापरवाई का सबूत है, सुरक्षा नियम बाद में आद �
05:14पी लखन उकान पूर दर्जों ऐसे केस, लेकिन सिस्टम बही पुराना, बही सुस्त, बही बे परवाई, देश पूछ रहा है, नियों का पालन पहले क्यों नहीं होता, निक्षन पहले क्यों नहीं होते, कारवाई हरवार हास्से के बाद ही क्यों होती है, और सबसे जरूर
05:44नियम क्यों नहीं देखे जाते आप क्या मानते हैं कि आख की हर घटना के बाद पुलिस और परसासन का यही रभईया क्यों रहता है बीसियों सालों में क्यों कुछ नहीं सीखा गया और अब वो हास्से के बाद क्या कुछ बदलेगा आप अपनी राए कमेंट में दीजिए ध
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