00:00जब मार्स के लोग पोँचेगे, कसमेल प्रमु तो जैक्ली क्या होगा
00:04पोँचेगे नि जब जाने का समय आएक जब जाने का समय आएगा
00:08जब जाने का समय आएगा तो मार्स की ओर जब रोकेड जा रहा होगा
00:11उसमें ये सब दिनेनेयर और ठिलेनेयर घुस रहे होंगे, मुठी भर लोग, बहुत मुठी भर लोग, धरती की अबादी का हजारवा या लाखवा हिस्सा, ये घुस रहे होंगे, और नीचे पूरी प्रत्वी पर आग लगी होगी, जो आग उनहीं लोगों लगाई होगी, �
00:41तो ये रॉकेट है, ऐसे जा रहा है, उसके भीतर, ये सब बैठे हुए हैं, जिनको वास्तों में विधर्मी और नास्तिक कहा जाना चाहिए, या कि समाज की भाशा में कहो तो शोशक कहा जाना चाहिए, ये लोग बैठे हुए है, और रॉकेट जा रहा है, मारस की और, और
01:11और आम आत्मी को तब भी अकल नहीं आने बाद है।
01:23I love the way you speak. I love the way you accumulate wealth. I love the way you accumulate power.
01:31Sir, autograph please sir. और वो मुस्कराते हुए autograph दे करके मारस के ओर उड़ रहा है और यहां आदमी जल रहा है, जलते जलते autograph ले रहा है.
01:42जब भीतर समझ नहीं होती ना, जब आदमी महीं जान रहा होता है कि वो कौन है, भीतर से उसकी कामना कहां से आ रही है, तो बाहर वालों से वो जल्दी भावित हो जाता है.
02:00तो हम दोश किसी बाहरी शोशक को भी दें, उससे पहले स्वयम को दोश देना ज़रूरी है, आप लुटने को तयार हो तो कोई लुटने वाला चला ही आएगा, तो ज्यादा मूल प्रश्णी है कि आप लुटने को तयार थे ही क्यों?
Be the first to comment