काशी की गलियां जैसे ही सर्दियों का मौसम छूता है, एक खास मिठास फैल जाती है—मलइयो की मिठास! साल में सिर्फ दिसंबर से फरवरी तक बनने वाली यह अनोखी बनारसी मिठाई ओस की बूंदों में रातभर रखे दूध से तैयार की जाती है।
00:00पिन्यों पीजिए में जाओ खिरे बड़्याओ रुड़ लॉछ राख जाओ er वी थीजिया फिर भीज़ में पिरिया
00:30झाल झाल
01:00यो हम तो करीब चारीश पटारीश साल तो चाल बना टेख्यागर और हमारे कुर्मं भशी उसको बनाते हैं यह ऊ interact
01:14सकavas��ी साहई जिए ऊंर लोगो का पाठो में दूत यह एक तो बोहुतं दिनों से बन रहा है अा है रही बात खासियत की तो इसमें खासित
01:21तो इसको खाईए और फिर इनर्जी फिलाएगा यह जी सबसे पहले तो इसको दूद आप लेके खौलाएए खौलाने के बाद फिर उसको आप छट पर रखिये ठंड़ा होने के लिए
01:49जाते हैं जब दूद तो उसमें जो जहाग निकलते हैं उसको निकाल के एक बरतन में रखते हैं अलग से
02:19इसको एकट्टा जब हो जाता है तो अपने प्रीग रहांकों को परोस्ते हैं तो इसमें जो केसर का रोल है जो पोस का रोल है जो बदाम का रोल है का अपना अपना महत्तों है
02:35केसर हमको जाड़े की दिनों में जो है समरे शरीर को गर्मी परदान करता है काजू पिस्ता जो हमको अदम मुर्जावान बनाता है बदा हमारे शरीर को तेली रखता है तो यह स्वास्त का एकदम मैंट भम है
02:53क्या ते सी लोग तो इसको खाते हैं देशी तो खाने के निजार करते हैं इसको बड़ा थाओं से खाते हैं और सालों भर जोए इसका इंतिजार करते हैं खाने के लिए
03:09आप क्या कार्ति कारियन जी है इसमिती नानी जी है और संकर महादेवन जी है और मालिन अवस्ती जी भी है तो बहुत से लोग आज को एक खा चुके हैं और सबसे बड़े हमारे कासी वासी है
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