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ये वीडियो 09 अगस्त 2025 के गीता सत्र से लिया गया है|
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Transcript
00:00और पहले एक वेवस्था चलती थी, उस वेवस्था में पूरा समाज प्रतिभागी नहीं होता था पर कम से कम कुछ लोग उसमें रहते थे, कि माबाप समझते थे, कि शरीर से हमने जन्म दे दिया है, पर हम ऐसे नहीं हैं कि हम एक चैतन्य वयस्क युवा, इस्त्री या पु
00:30और पच्चीस साल तक वो बच्चा गुरू के पास ही रहता था, माबाप घर परिवार इन सब के संस्कारों से एकदम दूर, कि घर का कोई प्रभाग कोई छाया बच्चे पर नहीं पड़ेगी, बच्चा अभी उसके साथ है, उसकी शरण में है, जो बच्चे को बड़ा कर
01:00कि माबापी स्विकार तो करते थे, कि हम नहीं इसको बड़ा कर पाएंगे, इसको दे दो किसी दूसरे को, जिसको कुछ ग्यान हो, कुछ समझ हो, तो अभी तो चलता है, माबापी गुरू है, भगवान है, गुरू तो गुरू भगवान है, माबापी भगवान है, हम ही बत
01:30सुनने वाला नहीं, कुई ने गुनने वाला नहीं
01:32तुले दे कर के घर में एक नन्ही सी जान
01:36इनको मिलती है जाके उसके उपर चड़ जाते है
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