Skip to playerSkip to main content
Jhandewalan Temple के पास क्या टूट रहा है? RSS HQ को लेकर Supriya Shrinate का बड़ा दावा | Video
दिल्ली में RSS मुख्यालय के पास एक प्राचीन मंदिर को लेकर विवाद गहरा गया है, कांग्रेस ने लगाया बड़ा आरोप। क्या है 1400 साल पुराने मंदिर के हिस्से की सच्चाई? दिल्ली के झंडेवालान (Jhandewalan) इलाके में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) मुख्यालय के पास चल रहे निर्माण कार्य को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। सोशल मीडिया पर दावा किया जा रहा है कि पार्किंग (Parking) बनाने के लिए एक प्राचीन मंदिर के हिस्से को तोड़ा जा रहा है। कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत (Supriya Shrinate) ने एक वीडियो शेयर कर दावा किया है कि यह स्ट्रक्चर 1400 साल पुराने मंदिर का हिस्सा है।
About the Story:
A major controversy has erupted near the RSS Headquarters in Delhi over the alleged demolition of a part of the ancient Jhandewalan Temple complex for parking space. Congress leader Supriya Shrinate shared a video claiming the structure is 1400 years old. While locals protest citing heritage destruction, the administration claims it is part of a redevelopment drive to remove illegal or dilapidated structures. Watch the full report on Oneindia Hindi.

#JhandewalanTemple #RSS #SupriyaShrinate #DelhiNews #TempleDemolition #OneindiaHindi

~ED.276~HT.408~

Category

🗞
News
Transcript
00:00दिल्ली में एक विवादित मामला सामने आया है, जहां राश्ट्रिय स्वयम सिवक संग, RSS के दिल्ली स्थित मुख्याले के पास पार्किंग की सुविधा बढ़ाने को लेकर एक प्राचीन मंदर के कैंपस के कुछ हिस्से को हटाये जाने का मुद्धा चर्चा में हैं।
00:30अपना जंडे वालान मंदिर में और ये RSS की बिल्डिंग है, जहां पर अपना जंडे वालान मंदिर में, ये मंदिर का इत्यास 14 साल पुराना है, सन 1947 से हम यहां बैठे हैं, और यहां पर मंदिर की सेवा कर रहे हैं, सभी शादालू सेवादारों को दिखा रहे हैं, कि किसी
01:00हिंदुस्तान ने लेखा था, मोटी जी की योगी जी की वोटो हर जगा आई थी और आज मंदिर टूटे कहा है इनकी वोटो, केपय करके इस वीडियो को खलाई है और तक ये वीडियो मोटी जी जी जगा वो योगी जी जग ज़रूब हो थे
01:09सामाजिक समूहों और स्थानिय निवासियों के अनुसार ये मंदिर जंडे वालन मंदिर है लगभक 1400 साल पुराने एक प्राचीन मंदिर का हिस्सा बताई जाती है
01:19हलकी प्रशासनिक दस्तावेजों में इसकी स्पष्ट पुष्टी अभी तक नहीं हुई है
01:23मामले ने अचानक तूल तब पकडाच अप सोशल मीडिया पर कुछ तस्वी हैं और वीडियो वाइरल होने लगे
01:29इन पोस्टों में दावा किया गया कि इस्थान पर मौजूद पुरानी मंदिर को तोड़ कर अब वहां पारकिंग बनाई जा रही है
01:35पोस्ट करने वालों का कहना है कि धार्मिक धरोहरों को सनरक्षित करने के बजाए आधनिक सुविधाओं के लिए हटाया जा रहा है
01:43हालाकि दूसरी तरफ अधिकारियों का कहना है कि ये शेत्रक पुनर स्थापना और पुनर विकास योजना के अंतरगत आता है
01:50जहां अवेद या जरजर सनरक्षनाओं को हटाया जा रहा है
01:53इसी वज़े से इस मुद्धे पर अभी भी कई सवाल खड़े है
01:56इसी बीच स्थानिय लोगों और सामाजिक संगठनों ने ये सवाल उठाया है कि यदि वास्तव में ये सनरक्षना एतिहासिक महत्व की थी
02:04तो इसकी सुरक्षा और सनरक्षा किसकी जिम्मेदारी थी
02:07क्या किसी विभाग ने पहले कभी इसे सनरक्षित धरोहर के रूप में दर्ज किया था और अगर नहीं तो अब इस विवाद का आधार क्या है
02:14सोशल मीडिया पर कुछ समूह इस घटना को धार्मिक पहचान से जोड़ कर विरोध जता रहे हैं
02:20जबकि कुछ लोग इसे सिर्फ एक प्रशासनिक निर्ने बताते हैं जिसमें पार्किंग व्यवस्था सुधारने के लिए जगा की आवशक्ता बताई गई है
02:27दिल्ली जैसे घनी आबादी वाले शहर में पार्किंग की समस्या हमेशा से एक बड़ी चुनोती रही है
02:32विशेशकर उन इलाकों में जहां बड़े कार्याले संस्थान या मुख्याले स्थित हैं
02:37इसी वज़े से कई बार जमीन उप्योग से जुड़े फैसले विवाद खड़े कर देते हैं
02:42अब सवाल उठ रहे हैं कि इस घटना ने एक बार फिर उस बड़े मुद्दे को सामने ला दिया है
02:46कि भारत में धार्मिक और एतिहासिक संरचनाओं की पहचान और सुरक्षक कितनी अन्यमित और अस्पष्ट रहती है
02:53हजारों साल पुरानी संरचनाए कई बार दस्तावेजों में दर्ज नहीं होती और प्रशासनिक कामों के दौरान विवाद खड़े हो जाते हैं
03:01फिलहाल मामला राजनितिक और सामाजिक दोनों स्तरों पर चर्चा का विशय बना हुआ है
03:05कई संगठन इसके बारे में विस्तरित जांच की मांग कर रही है
03:09उधर प्रशासन की रोर से कहा गया है कि जो भी कारिवाईयां हुई है वो नियामों के तहत हुई है
03:14और किसी भी तरह की गलत जानकारी फैलाने पर कारिवाई की जाएगी
03:18सच्चाई क्या है ये तो आधिकारिक जांच या रिपोर्ट आने के बाद ही स्पष्ट होगा
03:22लेकिन फिलहाल इतना तै है कि ये मामला धार्मिक धरोहर प्रशासनिक निर्नयों
03:28और पारदर्शिता के सवालों को एक बार फिर सुर्खियों में ले आया है
Be the first to comment
Add your comment

Recommended