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नहीं रहे बॉलीवुड के ही-मैन धर्मेंद्र, श्वेता सिंह के साथ देखें खबरदार

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00:00दिल में बंद कर लो दर्या में फेक दो चावी
00:13मुझ तुम को हो गया तो, होगी बड़ी खरावी
00:28इस तरफ गया तो हो जाओंगा शदाबी कुछ तुम को हो गया तो होगी बड़ी खराबी
00:40नमस्कार मैं हूँ श्पीता सिंग करूडों दिलों पर राज करने वाले सभी दिलों को दर्द की दर्या में डुबो कर चले गए
00:49धर्मेंद्र एक ऐसे अक्टर थे जिनकी आक्टिंग ने बॉलिवूड की फिल्मों के माइने कई तरह से बदल दिये थे
00:59इस कहानी में इमोशन है ड्रामा है ट्राजडी है 1975 की फिल्म शोले में जब ये कहते थे तो सबको अपने कॉमिक अंदाज में हसाते हुए चले जाते थे
01:10लेकिन आज वाकई इमोशनल करके वो चले गए सुमवार दोपहर अपने घर पर उनका निधन हुआ
01:18एक किसान के बेटे से किस तरीके से धरमेंद्र बॉलिवुड के ही मैन बने उनकी हर फिल्म हमेशा यादगार रहेगी
01:29अजय किसमत वाला हूं हर तरह हर रंग में हर धंग में लोग प्यार करते हैं मुझे लमेंस हो
01:39लमेंस में दो जादाए करते हैं महबत आपकी नदेती रोशनी गर मेरे नाम को
01:45कैसे बनता धरम है आपका पहुंचता कैसे इस मकाम को
01:50गरुणों दिलों पर राच करते धरम योकान्त हो गया
02:13राज कुमारी साहबा छे दशक से हिंदुस्तान में सिनेमा प्रेमियों की महबत
02:19जिनके नाम के साथ चुड़ी रखी वो धरमेंद्र सब को अलविदा कह गए चुपके चुपके
02:25इतनी इनायच जरूर कीजिए मेरी मौत पाबले ताजीम जीनत हिंद जनाब छीजा जी कहात होनी चलिए
02:37आवश्य तुम्हारी मृत्यों हमारा हाथों से हो
02:42कोई कहता है कि धरमेंद्र बॉल्योड के पहले ही मैं थे
02:51कोई कहता है कि फिल्मी परदे पर रोमैंस का चेहरा धरमेंद्र बने
02:55लेकिन धरमेंद्र कहते हैं खेल सारा टाइमिंग का है
02:59और वक्त देखी आठ दिसंबर को जो धरमेंद्र अपना नबेवा जन्म दिन मनाते
03:04उससे तेरह दिन पहले अपने फैंस को आखरी बार देखने का मौका दिये बिना
03:09खामोशी से चले गए
03:10मैंने इसको परफेशन नहीं अपनी महभूबा समझा है
03:14अरे मेरा परफेशन नहीं है मैंने नहीं सोचा ता मैं करोडों और मों तक पहुंचूँगा
03:19मुझे नहीं चाहिए तह घाता हूं लोगों की दिलों में जगा हो जाए
03:23कितना अमीर हो जाओं यह नहीं मिल सकता यह सब मेरे चाहने वाले जो मैं इनको चाहता हूं
03:34कि यह निकलता हूं निमें जब हैंसी समाइल सामने से आती है तो दिल ऐसे हो जाताया यह मेरे हैं
03:52देश में हर चहने वाले को अपना समझने वाले धर्मेंद्र बिमार थे यह सब जानते लेकिन फिर अचानक सोंबार दोपहर करीब एक बज़े
04:00धर्मेंद्र के घर के बाहर एंबुलेंस पहुचती है घर के बाहर बैरिकेड सिक्योर्टी पढ़ जाती है एक बच कर दस मिनिट पर न्यूज एजेंसी ने धर्मेंद्र के निधन की जानकारी थी तब तक मुंबई में विले पारले शमशान घाट की सिक्योर्टी भी बढ़
04:30हबार आती है कि धर्मेंद्र का अंतिम संसकार हो गया है।
04:35जब से जनम लिया हो संबालते ही इनके दिवाने बन गे तो मैं इनी सारी दुनिया दिवानी हैं इनकी।
04:40जब से मालूम पड़ा तब से मैं खाना पिना चप छोड़ दिया है और माल थोड़ा घरब लग रहा है।
04:49वो फैंस जो आम लोग है धर्मेंद्र को जो हर किरदार में चाहते रहे वो अपने आसू रोक नहीं पाए।
04:56मानो यासू कहते ही क्या हुआ जो इतना चुपके चुपके चले गए धरम पाजे।
05:26जिनों अपनी के वाल एक तस्वीर मुंबई में 1958 में भेज कर सुनहरे परदे पर एंट्री करनी चाहिए।
05:32उन्ही धर्मेंद्र का 89 साल के उम्र में निधन होने पर उनके चाहने वाल अंतिम दर्शन नहीं कर पाए।
05:38जिन के लिए धर्मेंद्र कहते रहे लोगों का प्यार ही तो असली ताकत है।
05:42मैं आप से मिंती करता हूँ।
05:48शोरत खोदेने का मुझे दुख नहीं होगा। यह तो नशा है।
05:52चड़ता है तो उतर भी जाता है। यह प्यार महबबत एक ऐसा जजबा है जो दिलों में खर कर जाता है।
05:59मुझे अपने दिलों से मुतने करना कभी।
06:02जिस दिन आप लोगोंने दिलों से निकाल दिया शायद वो सद्मा में बरदाश्टने कर सकूँगा।
06:11धर्मेंद्र को कभी कोई उनका चाहने वाला दिल से निकाल ही नहीं सकता।
06:15धर्मेंद्र जो कुछ समय से उम्र संबंधी बीमारियों से जूचते रहे।
06:19दस नवंबर को उन्हें सास लेने में दिक्कत आई।
06:22जिसके बाद मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में भरती कराया गया।
06:25इस दोरान धर्मेंद्र वेंटी लेटर पर रहे।
06:27बारा नवंबर को हॉस्पिटल से डिस्चार्ज किया गया।
06:30डॉक्टर ने घर पर ही आगये इलाज की बात करे।
06:33फिर और खराब हुई तब्यत ने हमेशा सामने दिखते वक्त मुस्कुराते रहे धर्मेंद्र को सबसे छीन लिया।
06:39इसके बाद लगातार विले पारले के शमशान घाट के बाहर उनके चाहने वाले जुटने लगे।
06:44बड़े बड़े सितारे आखरी बार शद्धानजली देने पहुँचने लगे।
06:48लेकिन तब तक सब को अलविदा कहकर धर्मेंद्र जा चुके थे।
06:52दिलों पर राज करने वाले धर्मेंद्र जो दिल से ही सब कुछ कहते रहे।
07:22दिल की कहते हैं।
07:24भाएंद्र के निधन की खबर आते ही प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने शोक जताया।
07:33लेखा कि धर्मेंद्र का निधन भारतिय सेनेमा के एक युक्यंत का प्रतीक है।
07:37वो एक प्रतिष्ठत फिल्म हस्ती थे एक अधभुत अभिनेता जिनों हर किरदार में गहराई और आकर्शन भरा।
07:43अलग-अलग भूमिकाओं को निभाने का उनका अंदाज अंगिनत लोगों के दिलों को छू जाता था।
07:48धर्मेंद्र को उनकी सादगी विनम्रता और गर्म जोशी के लिए उतना हिसा रहा जाता था।
07:53जिस विनम्रता के लिए धर्मेंद्र जीवन भर याद किये जाएंगे उसका सबूत है कि कभी उनके सिर्फ पर स्टार होने का नशा चढ़ा ही नहीं।
08:00इंसानियत को मैं बहुत महत्तब देता हूं। अच्छे इंसान है तो आप सब कुछ हैं। अब अच्छे इंसान नहीं तो कुछ नहीं सची।
08:09मुझे दुख भी होता है। बढ़ा, I can't go with everybody, I can't take everybody with me,
08:14क्योंकी तैदाद ज्यादा है, हमारी तैदाद कम है।
08:17तो इसमें आप कदर और तारीफ में फर्क देखीगा। कि होती है तारीफ एहमियत की इंसानियत की मगर कदर होती है।
08:34तरजीह ना दे ओहदे को इंसानियत पर, बंदे पर खुदा की तब नदर होती है।
08:40धर्मेंद्र बॉलिवूड का वो नाम रहे, जिनने लोग सिर्फ एक अभिनेता नहीं, एक जुनून, एक संघर्ष, एक साहस के प्रतीक के रूप में देखते हैं।
08:48चमकती स्क्रीन पर जो सुपरस्टार बने, जिनकी शुरुवात बिल्कुल जमीन से जुड़ी थी, बिना पैसों के, बिना गौट फादर के, सिर्फ सपनों के सहारे।
08:57मट्टी का बेटा हूं, मरते मरते भी कुछ कर जाओगा, उखर्ती भूड़ी सांसों से चुराकर चंद सांसे में, चीर के सीना धरती का फसल नई औक बोदूगा।
09:21खेतों में हर्याली की चादर फिर जब बिश जाएगी, उगाएगी जवानी मेरी, सांसों में सांसें भी आ जाएगी, फिर होके लटपद मट्टी में, मैं खेतों के तुम भागूंगा, नाचूंगा, गाऊंगा, और पक्ते पक्ते फसल सुनहरी जब हो जाएगी,
09:48लेके दाती हाथों में, गाता गीत वसाखी के, मैं सोने के धेर लगा दूँगा, मैं सोने के धेर लगा दूँगा, मिट्टी का बेटा हूँ, मरते मरते भी कुछ कर जाओंगा,
10:01सपनों को पूरा करके सूपर स्टार यादों की बारात के सहर
10:06अब सब को छोड़ कर चले गए
10:07अगर आपने मुझे अपने दिल से निकल दिया तो को तो मिनार पे चाड़ जाओंगा
10:16जादों की बारात निकली है आद दिल के द्वारे दिल के द्वारे
10:27धर्मेंद्र को बॉलिवोड की फिल्मों का ही मैन कहा गया
10:34उनकी कद काठी ने उन्हें विशेश पहचान भी दिलवाई लेकिन इतना भी आसान नहीं था
10:40बहुत संगर्शों से गुजरे भूखे पेट मुंबई में किस तरीके से उनका स्ट्रगल रहा
10:45इसकी कहानी खुद उनकी जुबानी कई बार सुनने को मिली है
10:48लेकिन एक दिल्चस्प कहानी हम भी आपको बताते हैं कि जब उनकी पहली फिल्म की
10:52शूटिंग का आखरी दौर चल रहा था तो वो काफी बीमार हुए दुबले पतले हो गए
10:59उन्हें लगा कि उनकी पहली फिल्म में लोग उन्हें पसंद नहीं करेंगे
11:02इसलिए प्रीमियर के बीचों-बीच से वो निकल कर चले गए
11:04लेकिन उनकी वो फिल्म सूपर हिट हुई थी
11:07जीना चाहिए जिंदगी को कहां बार बार मिलती है जिंदगी
11:12लेकिन किसी को हर्ट नहीं करना चाहिए मेरे खाल से
11:16मैंने जिन्मिन किसी को हर्ट नहीं किया कुछ कुछ
11:18बारतिय सिनेमा के बिशाल आकाश में कई सितारे चमके
11:36उनमें धर्मेंद्र वो सितारा जो अपने विनम्रता, संघर्ष और सच्चे दिल के लिए हमेशा याद किये जाएंगे
11:45असली जिन्दिगी मैं आम इनसान हूँ
11:54खुशी में हस पड़ता हूँ, दुख में रो पड़ता हूँ
11:59और यहां तक ही दूसरों के दुख में भी रो पड़ता हूँ
12:06पंजाब के छोटे से गाउं से निकल कर माया नगरी में सुपरस्टार बनने तक था, धर्मेंद्र का सफर किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है
12:17खुशे दशक से ज्यादा बड़े फिल्मी करियर में, तीन सो से ज्यादा फिल्म, अंगिनत सुपर हिट, पद्म भूशन जैसे सम्मान और एक विशाल परिवार वाली धर्मेंद्र का जीवन भारती सिनेमा के स्वर्ण युक की याद दिलाता हूँ
12:36मैं घर में बड़ा था, माबाप को संभलना है, बहने हैं, भाई हैं, तो सावी जिम्मेदारियों को लेके भी मैं यह करता है, यहां तै कि मैंने पहली एक्वेट ली अठारह हजार में, तो मेरा भाई अजीद कहने लगा, पाजी वो हैरल ले लेते, अतनुजा के पास है, �
13:06इस लाइन का भरोसा नहीं, कल हमें मुझे जाना तो नहीं मुझे यहां से, अगर स्रगल करनी पड़ी, तो मैं फियेट की टैक्सी बना लूँगा, टैक्सी बना के चला हूँगा, काम करूँगा, फिर स्रगल करके बन जाँगा, तो सोच के मैं चलता था हमें, चादर से ज
13:36रोमेंस और कॉमेडी के लिए नहीं जाने जाते थे बल्किव अपनी महनत लगन और परिवार से जुडाव की सची मिसाल थे
13:44संगर्ष के पहले का दौर याद आता है वो तस्वीरें जो मैं बना खिंजवाता था एक्टर बनने के लिए
13:58जो तडप थी बेचैनी थी यार एक्टर बनना है पागलपन था उनसे मैं कहता हूँ यार तुम एक्टर बन गए उधर मंदर तो मैं सुचता हूँ उसमें जान आ जाए और सुन ले उस खुशी उसके साथ बांट लूँ वो फील होता है और स्रगल के दिनों को तो मैंने हर म�
14:28है वो जार्ज कद्रेर दागल देके आया था आठ दिसंबर 1935 को पंजाब के छोटे से गाउन नसराली में जन्मिधर मेंदर एक सरकारी स्कूल के हेड्मास्टर के बेटे थे जो बाद में सब के लिए ही मैन बने गाउं की मिटी में पले बढ़े इस लड़के के मन में बच
14:58सब्सक्राइब मेरे खाल से इस वन फाइन एक्टर इनको देखकर मैं इंडस्ट्री में हूं मैं कहूंगा कि फिल्म इंडस्ट्री का वो एक दरख्षां आफ्ताव है जिससे रोशनी चुराकर मैंने अपनी हसरतों के दिये कि लौ को रोशन किया है
15:13दर्मेंद्र ने टेलेंट अंड कंप्टीशन जीत कर हिंदी सिनिमा में कदम रख देवानन तो धर्मेंद्र की शक्सियत देखकर इतने ज्यादा प्रभावित हो गए कि उन्होंने धर्मेंद्र को पिसाथ तब लंच करने का ओफर दे दिया
15:2858 में मुझे फिल्म फे टैलन कॉंटस मैंने जीता उसके छोटी सी कहानी में मेरा किरदार आपको पता चल जाएगा मैं किस घर से पैदा हुआ कहां साया कैसी मिठी शाया के घुर्भत नाम की नंगी तल्वार पर चलकर मैंने जिंदगी का तावाजन सीखा है
15:53अब ये वक्त के नौकीले पत्थर क्या ड्राएंगे मुझे मैं भूला नहीं हूँ मैं अपनी मटी को नहीं भूला मैं अपनी के रहर मैं देखिए साव उन्होंने मुझे फिल्म फेर्वालों ने कहा था ताइमस अफ इंडिया कि कि आपको फर्स क्लास फेर दिया जाएग
16:23अब थर्ड क्लास में चला गए साब कि सेंस अफ रिस्पांसिबिल्टी मेरे अंदर कितनी थी
16:30टैलेंट हंच जीत कर धर्मेंद्र को फिल्म में काम जरूर मिला लेकिन वो फिल्म कभी पूरी नहीं बनी
16:40मुंबई में रहते हुए धर्मेंद्र गुजारी के लिए रिलिंग फर्म में नौकरी करने लगे जहां उन्हें 200 रुपा मिलते थे
16:47महीनों तक प्रोडुक्शन हाउस के चक्कर लगाने के बाद 1906 में धर्मेंद्र को दिल भी तेरा हम भी तेरे फिल्म मिलती है
16:53जिसके लिए उन्हें 50 रुपाए के बल फीस मिली ये फिल्म भीट रही और धर्मेंद्र को पहचान मिली थे
16:59धर्मेंद्र इसके बाद सूरत, सीरत, अनपण, बंदिनी, आई मिलन की बेला जैसी हिट फिल्मों में काम किया
17:06साल 1960 में धर्मेंद्र की फूल और पत्थर आती है
17:15इस फिल्म में पहली बार धर्मेंद्र ने एक्शन सीम किये और बताओर एक्शन हीरो अपनी छवी बना ली
17:22तो मैं फिल्मों में आना चाहता था तो मेरी माने का अर्जी भेज दो
17:34तो बिचारी को नहीं आर्जी से यह जगा नहीं पहुंच मिलती तो शायद भगवान को उनके वो शब भगवान ने सुनी होगे और फिल्म फेर में छपा उसी साल के नए चेहरे चाहिए बिमल राय गुरुदत को तो अर्जी की तरह मैंने भर के भेज दिया और स्लेक्ट ह
18:04श्रीया किसको जाता है मैंने का भगवान को और आप लोगों को कहती हैं यह जो तुमारा मासूम सा चेहरा है और तुरा यह श्रीर है यह कंबिनेशन मैंने दिया है तुम
18:15धरमेंद्र और हिमा मालनी की पहली मुलाकात 1965 में आसमान महल के पीमियर पर हुई इसके बाद दोनों ने कई हिट फिल्मों में काम किया जिसमें सीता और गीता, राजा जानी, शोरे, चरस और ड्रीम गर्ल शामिल है
18:45दरमेंद्र पर उनकी मा सत्वन्त कौर का बहुत प्रभाव था, अक्सर उनकी बातें किया करते थे, उनकी कहानिया सुनाया करते थे, ऐसी एक कहानी उन्होंने सुनाई थी, जब वो कहते थे कि उनकी मा उनके कपड़े गायब कर दिया करती थी, उन्होंने कहा कि मैंने सनी स
19:15गाउं में गरीबों को जरूरत मंदों को दे दिया कर दे थी और ये बताते हुए भी धर्मेंदर अपनी मा को लेकर ये बार-बार कहते थे कि उनके ही बताए रास्ते पर उनके ही आधर्शों पर वो चलते हैं चलना पसंद करते हैं दरसल धर्मेंदर एक आक्शन स्टार जर�
19:45के मारूँगा चंद चंद के मारूँगा कपपर से अलाव में
19:53धर्मेंद्र के आने से पहले फिल्मों में एक्शन सीम डेकोरेशन थे धर्मेंद्र ने इसे इमोशन बना दिया
20:02धर्मेंद्र के आने के बाद वो अन्याय करने वालों के लिए कहर बन गया
20:20मुझे कोई वादा याद नहीं मुझे सिर्फ इतना याद है इस कमीने के आद्मेंद्र ने मेरे चाह की चाह लिए और मैं इसका खून पी दमगा तुम्हारे उसी दोस्त ने मुझसे वादा किया था
20:37फिल्मों में धर्मेंद्र की काम्यावी असाधारन रही क्योंकि उस दौर में आये जब राजकपूर, देवानंद, दिलीब कुमार जैसे सितारे फिल्म इंडस्ट्री पर राज कर रहे थी
20:52राजकपूर से लेकर दिलीब कुमार तक क्या अपने दर्शक थे, इसलिए धर्मेंद्र के लिए जगाह बनाना आसान नहीं था, धर्मेंद्र के पास गाव का दिहाती पन तो था, लेकिन उनके पास से निमाई अभ्यास से गढ़ी शालिंता नहीं थी, फिर भी वो टिके �
21:22एक मुख्लिफ कर सकूँ एक दूसरे से, तो एक बड़ी बात होती है, इसलिए अचीवमेंट वड़ाई फील, कुछ सीखा मैंने, एक्टिंग तो मैंने हमेशे कहता हूं, मेरी महभूबा है, मेरा प्रफेस्टिन नहीं है, I love it.
21:371965 से 60 के दशक में, हिंदी सिनेमा ज्यादा तर शेहरी किस्म कर रहा, हीरो कोट पैंट पहनता था, लेकिन जब धरमेंद राए, तो उनके साथ मिट्टी की महग थी.
22:07मेरा गाउं, मेरा देश, सत्यकाम, अनुपमा, धरमवीर जैसे फिल्मों में, उनका जमीन से जुड़ा किरदा, नकली नहीं लगता था, क्योंकि वो उनका सहच सुभाव था.
22:20लग गए, मच गई, धुम्रे, प्याया सावन, ओ जुम्रे, आप जिन्होंने दफ्तर में सत्य में अपजयते लगा रखा है, घर में बच्चों को सच बोलने का सबक देते, जरा आपने सीने पर हाथ रख कर कहिए, रोज कमाता, रोज खाता, रुपया दो रुपय कमाने व
22:50धर्मेंद्र कलहजा, डैलो, और अदाईगी में दर्शकों को भारत नजर आता था, जिसमें उन्हें सिनेमा में अपनी जगा बनाने में मदद की
22:58मैंने इनसे नफरत की थी, लेकन तुमने इनका क्या बेगारा था, जो तुम्हारी इज़त पर ठीच बड़ाने लगे, ठाकर मैं आगया हूँ, तुम्हें अपनी जबान का पास होना चाहिए
23:28धर्मेंद्र के आने से पहले और उनके आने के कुछ दशक बाद भी हीरो सहसी तो होते थे, मगर उनके जितने सुन्दर नहीं थे, ये कैसा गुड़ था, जो इश्वर ने उन्हें दिया था
23:40शुक्र है आपने पहचान दूलिया
23:50हाँ तो राज कुमारी सहवा अगर हमने आपके इस शेर को हरा दिया तो ये नाम में क्या मिलेगा
23:59जो तुम मांगोगे
24:00उन से पहले और उनके साथ के हीरोज के पास खूबसूर चेहरा तो फिर भी था
24:09मगर ऐसी मजबूत काठी नहीं था, जिस क्या अपना एक अलगा करशाद
24:13अच्छा हुआ आप आगई परनमा कसम आपके इस भूद जैसे भाई से मार खाने में बिल्कुल मज़ा नहीं आता
24:26आज हम तुमें वो मज़ा चखाएंगे कि तुम जैनम जैनम तक याद रखोगे
24:30जन जनमांतर तक साथ निभाओगे इसलिए तो भरी सभा में तुम्हारा हाथ मांगा था
24:36तर आपने माथे से पसीना तो पोच लीजिए
24:39राज कुमारी सहबार आपने तो हमें एलाम नहीं दिया लेकिन हम
24:44यह धर्मेंद रही थे जिनके हीरो वाले दमखम डोले और चौड़ी छाती को कैमरा दर्शकों के सामने पेश करता था
24:51अब धाई किलो से ज्यादा भारी हाथ किसका रहेगा तीरों में सबसे भारी हाथ किसका रहा है पापा के यह मेशा रहा है
25:02अब दारा जी की फोटो चबी थी मेरी बालिश इंसे थोड़ी बड़ी थी
25:16धर्मेंद्र का सहस भाव उनके डायलॉग और अदायकी में जो अपना पंजह लगता थी
25:25वो सिनेमा में बाकी जगहों पर कम दिखता थी मगर थीटर में टिकेट खुब बिखता था और इसके बाद आया धर्मेंद्र का एक्षन जो उनकी पहचान बन गया
25:34धर्मेंद्र के फिल्मी करियर में 1971 में आई मेरा गाव मेरा देश मील का पत्थर साबित हुई
26:02इस फिल्म में धर्मेंद्र ने अजीद का किरदार निभाया जो एक सुधरा हुआ क्रिमिनल है
26:06वो एक ऐसे गाव में खेत पर काम करना शुरू करता है जहां डाकू जब्बार सिंग का आतंक
26:11अजीद डाकू से लड़ने और समाज को डाकू के आतंक से छुकारा दिलाने का फैसला करता है
26:15यह फिल्म सफल रही जिसने उनकी सबसे सफल फिल्म शोले की नीव रखी
26:20धर्वेंद्र अपनी मा को लेकर एमोशनल रहते थे उनसे बहुत ज्यादा लगाओ था
26:41तो धर्वेंद्र के दोनों बेटों को उनसे बहुत अधिक लगाओ रहा
26:45सनी देवल, बॉबी देवल, अपने पिता को लगबग पूजा करते
26:50इन तीनों से मैंने एक दफा एक इंट्रव्यू साथ में किया था
26:55आप उस बातचीत के कुछ अंश देखेंगे तो आप समझेंगे बाप और बेटों का रिष्टा
27:00सीधी बात हमें एक ऐसे व्यक्ति के साथ कर रहे हैं जो अपने किरदारों की वज़े से नहीं
27:06अपने व्यक्तित्व की वज़े से हम सब के दिल में वसता है
27:09लेकिन अब सिर्फ धर्मेंद जी नहीं बलकि उनकी सूपर फामिली जिसके लिए हमने कहा था
27:14वह हमारे साथ है आज के दौर में बहुत सारी हीरोस को हम देखते हैं शर्टलिस होते हुए अपना शर्ट लूज करते हुए स्क्रीन पर शुरुआत तो आपकी ही रही है
27:23हाँ बहुत शुरु तो नहीं की थी वह लखी ली बन गया मैं कलब से दारुपी के आ रहा हूं वह शीशे से पी पहमाने से पी गाना था
27:34तो बहार लीला चिटने से एक बैगर थी तो मैंने रलन ओपी रलन से का रलन अगर मैं शर्ट इस पे डाल दूँ इत राट तो माई करेक्टर
27:45अगरु है बन गया मैं कमले में बन गया रहा है जो такие से व्यासे है
28:02पिर गोंगा से मोठेटा है वह मुडी जैने वह अघूरा दूट क्ते के साथ हाह लगता है
28:09तो फिल्म में वाकई उसमें चार चांद लगे उसी वज़े से और I respect that lady, she's a widow, तो मैं जाता हूं उसको कंबल उड़ा के बाहर जाके लेड जाता हूं, उस शर्ट ने बहुत अच्छा सीन बनाती है तो तब बॉड़ी भी ठीक थी, मैं कबड़ी का प्लेयर था
28:27ने उसके बादी तो शुरुवात हुई है तो heroes को कभी कहा माना जाता था कि अच्छी गॉड़ी होनी चाहिए, आज देखिए आपकी विरासत, आपके साथ है, बहुत कम ऐसा होता है कि एक परिवार में सारे के सारे hit heroes बैठे हुए हो, otherwise balance नहीं बनता है ऐसा, लेकिन जो रिष
28:57पापा के लिए और obviously वो डर जादा हो जाता है, मुझे लगता था कि मैं पर कुछ शरार्ती था, बहुत चीज़े करता था, तो सब्सक्राइब पापा को पता है चल गया हो, तो शायद उसकी वज़ा से मैं आज डान पड़ेगी, उनने कुछ नहीं पता होता था लेकिन उस
29:27डर है, लेकिन कहता नहीं है, लेकिन डर तो ये मजाग की बात है, लिहाज है दर से अच्छाम, यही रिष्टा कारण है कि यमला पगला दिवाना एक फ्रैंचाइजी के तौर पर इतने दिन से हम देख रहे हैं और जब भी लोटता है तो कोई नहीं नहीं नया एंटिन्मन
29:57यह भी है, बैसिकली इन कारें फिर लोग आपस में हैं और जिस तरह से हम लोग आपस में हैं और जब करके पोर्ट्रेट करने जाते हैं तो इसके नहीं अपन भी है शरारत भी आजाती है और आपस में क्या एक सिमिलारिटी लगती है?
30:22We are down to earth. We are from the village.
30:26हम ने वो रूट्स नहीं छोडी, हम बंबे में रहकर भी हमें वो पहजी वो तमद्दन जो माबापने मुझे सिखाया था मैंने नहीं सिखा दिया.
30:38तो वो चल रहा है. That is the common thing whatever you say.
30:44तो वो वो हमारे अंदर रच गया है हमारे फैमिले आगे इनके बच्चे भी वैसे ही हैं.
30:51अच्छा संस्कारों के साथ पूरा.
30:53हमारा इज़त करना लड़की की और अरत की बहु बेटी की लिहाद जो हमारा पहजीब थी वो बहुत खुबसूरत है.
31:04तो हम तो तरता सा स्रेशन वालीवाल के स्रेशन पर जाना एक रिवाज हो गया था तो भाई धरम यह गठरी उटा ले ना बच्चे को ले ले तो मैं लेकर घर छोड़ाता था तब ऐसा सिस्रम था इतना प्यार था अपस में बेपना एक अपना पन था गाउं के लोगों मे
31:34अपना इतना रिवाज गयाँता है अपना है कि झाल था तना था पर जो अपाला के अपना है यह गया दाड़ प्ली पर जो हम है जो हम पसंद करते हैं आप इतनाS विप्रिंगी को जो इन भी माँ हम खो में था बीडियों को यह खों था जो भी मैं हूं इस प्यों स्व tu ल
32:04यह बुन हमसे है कि era का मेर� दराजी कि फोटो चाबी ती
32:18मेरी भालिष इनसे थोड़ी बढ़ी थी बता ओच्छ 대�filhelp
32:25ए अच्छ थो प्रके सेट कि कम दो लोगों में एक सिमिलेरिटी तो
32:33छिन है लिए या तरह जी है और भॉब भॉब है लिए शेर करें लो
32:41दान्स को हम शेर समझें खर प्रॉड़ दे अगर जीए बेड़ा जीए इसको गाबो से मुआ यहाँ या दे मुआ हो तो ने आट इसका ने धर इसको ची जीए जीए खांडिया
32:49मैं तु शेर को मारता था तु पुグ preciso, इसको मार दो
32:51शेर को
32:52भी यह बेर बिमार हो जाते है
32:54शुटिंग होते है जब गाने की
32:56अगले दिन मालो मैं पहले द तो कैंसलो न बाली शुटिंग
32:59सच मच
33:01क्ति दिन बीज गाना ओदा, तो पहले दеци act
33:02तो मैं बैटके देखा हूँ मैंसे कुछ करवाना वाँ आप लोग करते है रहो
33:07पिर आप कहां से आलग निकल गए?
33:08पता रहीं कहां से आलग निकला है
33:11मैं को शॉक था आई इस तो लव
33:12पच्पन से उसको फीडम थी तोड़ा आना जाना
33:15थे इस थी है तो अपॉद्य करते हैं अज़ न कुछी दिना इसा है यह मैंना सब्सट्रोफ है तो घर मोधी multi ना ब시면 भाड प्रूदीकरिंस
33:25आईया थी यहार सब्सकी डिदावा निया उते
33:31उनकोई इस तो अख भे निकल दाइगा
33:34घ्र्णू बोरियें दो उत्ना बोर्म कर देते हैं अच्छा उत्क जाते हैं तक जाते हैं और सुना नहीं नहीं
33:46कौसर कर घ्रणहते हैं नियुक्द हाम का में थे पूली आफ इस दो
33:52दर्म जी कि कौन सी एक ऐसी फिल्म जो तीनों की फेवरेट हो इसलिए के रिवेंज पिक्चर थी मेरी मावा को मार दिया था पुलिस वाल को डिकाइट ने
34:17और मैं रिवेंज पे निकला हूँ और थ्रूआट मैं जर्नी मैं लोग हंसते गए मैं नहीं हसा रहा था मेरा किरा किरदार जो था मेरा जो रास्ता था उसमें situation ऐसी थी उन situation को मैं जी गया
34:36पुछती है थाने साब यह बंदूक क्या हमने पहले देखी नहीं कभी तो LMG थी तो उसमें भाव काने के लिए बड़े राज की बात है हम बताते हैं किसी को तुमें बता देता है इसको कहते है अटको मैटक मालूम था उसको
34:58सिद्धाटिक आप मालूम था एक अटको मैटक मालूम था उसको तो अटको मैटक मालूम करके निकल गया
35:10तो मैं पुलिश माटक हरे हुड़ आया लगया
35:12करनों होनी बात की है तो सारे ऐसी चीजें मजा आता था और डरेक्टर हूइ
35:19एक तुर्फ, दुलालुबभा ऐस थैए ये आपकी विल्में जो होती है
35:27आप लोग तीनों झिसमें रहते हैं हमेशे
35:29क्या महाल क्या रहता है आप लोगोगों को ऐसे बात करते हैं तो जो सब दर्शक हमारे देख रहोंगे
35:34उन्हें भी लग रहा होगा कि क्या शूट के दौरान भी यार शूट के दौरान भी यार शीरिस्ट रहती है हूं लिए हम एक फिल्म की शूटिंग कर रहा है
35:41I mean इस वत ओबिसली हम भी है सीडिस के थे सेट इसने हो बट्रेक्टर होते हैं
35:46जैसे डिरेक्टर चाहता है, उसी हिसाब संदुख होते हैं.
35:50About the scene you're asking?
35:52जी, mahal बातलो.
35:53Mahal, mahal.
35:54अब क्यों बात और है? हमारे वक्त में तो mahal और था.
35:58It depends on the person.
36:01मुझे देखके, लोग, even dancer girls, boys, fighters,
36:06सब पाजी है, यार, मज़ा आ जाएगा, outdoor मज़ा गया.
36:10क्यों मैं शाम को उनके लिए महिया करता है, बैठो गपे, उनसे काने सुनने,
36:17I used to enjoy.
36:18और रात को डराना किसी को, एक कमरा था, अकेला, उसमें हमने, किसी को मत सोना,
36:24यह भूत हैं, यह सुना है, तो, नहीं हम नहीं डरते हैं जी भूत से, हम क्याद रहेंगे,
36:31दो थे उनको भूत की और रात को गए तो हमने मैंने भूत हो आवाज बना के लिपास के चिलाया मैं, तो उनकी हालत कराब मैंने देखा
36:41धर्मेंद्र के बाद अब बात धर्म की, धर्म ध्वजा की, अयोध्या में, श्री राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा
36:49दो हजार चौबीस की जनवरी महीने में ही हो गए, लेकिन उसके बाद से प्रतीक्षा थी शिखर के पूर्ण होने की, और उस पूर्ण शिखर पर धर्म ध्वजा के लहरानी की, क्योंकि ये बात बार-बार कही जा रहे थी कि दूर से भी उस धर्म ध्वजा को देखकर पत
37:19सियावर राम चंद्र की जार है, हमारे राम आ गए है, सद्यों की प्रतिक्षा के बाद हमारे राम आ गए है, हमारे प्रभु राम आ गए है
37:49ये राम के रूपे राष्ट्र चेतना का मंदीर है, राम भारत की आस्ता है, राम भारत का आधार है, राम भारत का विचार है, राम भारत का विधान है
38:1022 जन्वरी 2024 को अयद्ध्या के चिस्त राम मंदिर में राम लला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा होई
38:19वहीं प्रधान मंत्री नरेंद्र मोधी मंगलवार को राम मंदिर के शिखर पर धर्म धजा रोहन करने पहुंच रहे
38:27आयुद्ध्या में राम मंदिर पर धर्म ध्जा फहईराने की तैयारियां पूरी हो चुकी है
38:55शहर को एक हजार क्विंटल फूलों से सजाया गया है
38:58मंदिर पर फैराई जाने वारी धर्म ध्वजा जन्म भूमी पहुंच चुकी है
39:02मंगलवार को प्रधान मंत्री मोदी मंदिर के 191.5 पूचे शिखर पर पहली बार ध्वजा फैराएंगे
39:09इससे पहले मुख्यवंत्री योगिया दित्यनाथ और संग प्रमुख मोहन भागवत भी सोमवार को राम मंदिर पहुंचे
39:14योगिया दितनाथ ने यहां हाँ जोड़कर मोहन भागवत का स्वागत किया
39:18इसके बाद हनुमान गड़ी और राम जन्म भूमी मंदिर का दर्शन करके पूजा अर्चना की
39:22एक तरफ आयोध्या में राम जन्म भूमी और आसपास की सुरक्षा बढ़ा दी गई
39:28हेलिकॉप्टर से निगरानी की जा रही है
39:30ATS NSG कमांडों ने मंदिर को घेरा है
39:32इसके लाव S.P.G.C.R.P.F.P.A.C. के जबान तैनाथ है
39:35पांच लेयर में मंदिर का सुरक्षा घेरा है
39:38दूसरी तरफ जिस धर्म ध्वजा को राम मंदिर पर फहराने के विशेश मूर्थ पर
39:43प्रधान मंत्री मंगलवार को पहुँच रहे है उसका एक प्रयूक किया गया
39:46ठीक मेरे पीछे अगर देखें तो राम मंदिर का शिखर आपको दिखाई देगा
39:52और शिखर के पास वो जो भगवा ध्वज लहरा रहा है दरसल यही धर्म ध्वज है
39:5822 फुट उचा और 11 फुट चोड़ा यह धर्म ध्वज आज इसे रहलसल के तौर पर इस राम जन भूमी के शिखर पर फहराया गया है
40:11लेकिन प्रधान मंत्री मोदी कल यानि कि 25 तवंबर को इस धर्म ध्वज को इसका ध्वजा रोहन करेंगे
40:19और इसके साथ ही सदियों से जिसकी कलपना की जा रही थी वो मंदिर पूर्ण हो जाएगा
40:26यानि कि पूर्णता की ओर ये भगवान राम का राम जन भूमी मंदिर इस वक्त दिखाई देगा
40:33आपके मन में सवाल होगा कि जनवरी में जब प्रधान मंत्री पिछले साल प्राण प्रतिष्ठा में आ चुके हैं तो अब राम मंदिर के शिखर पर धर्म ध्वज पहराने के आयोजन में क्यूं पहुंच रहे हैं और ये आयोजन क्यूं हो रहा है इसका जवाब आपको हम
41:03जो स्रिष्ठी का मूल है और कोविदार का व्रिक्ष जो एक छ्वाकुवंच का राजिचिन है भज को मंदिर के 161 फीट उचे शिखर पर लगे बायालीस फीट के ध्वजदंड में फैराया जाएगा
41:12केसरिया रंग की का धर्मदवज है और वीरता का और श्रीराम का पूरा जीवन त्याग पर स्वाभिमान पर मरयाधा परादार्यित है
41:35कोविदार विक्ष उसमें अंकित क्या गया परी विशिश बात है
41:38इस धर्म ध्वज का महत्व समझना है तो आप गोविंद गिरी महराज को सुनिए जिन से हमने सारे जवाब आपके लिए पूछे हैं
41:45मुख्यतया ध्वज का ही बड़ा महत्व होता है हमारी परंपरा में चाहिए सेना ही चलती है ध्वज लेकर के चलती है
41:55सेना में सब का ध्यान ध्वज के संवरक्षन की ओर होता है मंदिर का निर्मान होता है मंदिर में शिखर सबसे उंचा होता है लेकिन ध्वज उससे भी उंचा होता है तो ध्वज को उस संपूर्ण
42:11बात का प्रतीक मना जाता है धज का सम्मान राफ्टर का सम्मान मना जाता है यानि धारुंध्वज सद्यों तक इंतजार करके बने राम मंदिर की पूर्णता का संदेश देता है
42:25बात का से अरा को किस दो बोल्टर के यहां मेना थी गाना हो जारी आध को यहां मेना थिकाना हो
42:45चारी आध के यहां मेना थी गाना हो
42:54शिखर पर लगा ध्वज भगवान की उपस्थति का संकेत है और दूर से ही भक्तों को ये संदेश देता है कि स्थानब दिव्यता से भरपूर है और तब राम मंदिर पर धर्म ध्वज का रोहन इस महान निर्मान यात्रा की पूर्ण होने की घोशना है जो करोडों लोगों क
43:24की महराज इन सब के विग्रह वांपर स्थापिता है इन मेंसे लीला सहचरों के विग्रह का दर्शन तो वे अवश्र करेंगे अन्य विग्रहों का उन्हें पहले किया भी है और उसके प्रश्ट्यात भगवान शीराम लदा की आरती होकर के धजा रोहन की और वे अग्रसर ह
43:54है और समापन एक बजे होगा इसके अंतराल में वहाँ पर भजा रोहन होना अपेक्षित है वह वैसा होगा और उसके प्रश्चात मंच से प्धान मंत्री महोदा है हमारे राष्ट को उद्बोदीद करेंगे
44:08राम जी कल कौन से वस्त्र धारण करेंगे किस रूप में नजर आएंगे इन सारी चीजों के बारे में मैंने जो राम लला के पोशाग तयार करते हैं उनके वस्त्र तयार करते हैं उन मनीश्त्र पाठी से खास बातचीत की है सुनिये
44:22प्रभू की पोशाग की सेवा का सौभाग प्राप्त हुआ है उस इन से लगातार एक मन में विचार एक सोच रही कि भगवान की जो पोशाग है वो इंडियन ट्रिशनल टेक्साइल क्यों नी चाहिए भारती प्रमपरगत टेक्साइल क्यों नी चाहिए और उस वजह से ल�
44:52वागवान की डिजाइन करने का सब्हाग मिला उस समय हम लोग वैशन चिनों का प्रोक आज भी कर रहे हैं और कर रहे थे तो हम लोग चैन जब अपने टेक्साइब कर रहे थे तो वह फैब्रिक
45:03अब देखते हैं कि उसमें वैशन चिन हैं की नहीं है उसमें शंग शक्र गदा मयूर ऐसे मोटिफ्स हैं दीमे दीमे करते करते हैं इस प्रक्रिया में जब हम आगे बढ़े और इस क्रम में हमने एक तरीके से एक पुरा एक एक राम भक्तों का एक अनियायों का एक बड़ा
45:33भगवान के जो वस्त रहें उन्हें फिर हम एक शिरुवात करें जहां पर वापस से जो वैशन चिन है उनको इस्तमाल करके भगवान के वस्तों को बुना जाए और इस क्रम में कई सारे वस्त पहले भी आए और भगवान की चरणों में रपित हुए लेकिन एक मौका और ख
46:03किस रंग के वस्तर में दिखेंगे और किस प्रांत के वस्तर में दिखेंगे भगवान की जो वस्तर हैं भगवान के जो जितने भी फाब्रिक्स हैं वो अलग-अलग प्रांतों से आ रहे हैं लगातार बंते चले आ रहे हैं चूंकि यह मौका काफी खास था और लेके कलर मे
46:33कामरे के माध्यम से और लोग देख पाएंगे
46:36कल सुबह लगभग 10 बजे के बाद प्रधान मंत्री नरेंदर मोदी
46:39श्रीराम जन्म भूमी अयोध्या में
46:42श्रीराम मंदर के परिसर में पहुँच जाएंगे
46:46वहाँ पर पूजापाट का जो कारिक्रम है जो आयोजन है
46:49वो कई दिनों से चल रहा है विशेश पूजापाट जो है कई दिनों से चल रही है
46:53और कल इसका समापन जब होगा तो उसके साथ ही प्रधान मंत्री की मौझूदगी में
46:59वहाँ धर्म ध्वजा देखेगी आज तक पर विशेश कवरिज हम आपको इससे जुड़ी दिखाएंगे
47:04अभी के लिए इतना ही देश और दुनिया के बाकी खबरों के लिए देखते रही है आज तक और हर्दम रही है
47:09खबरतार
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